गुस्ताख-ए-रसूल मस्त, कठघरे में आमिर अंसारी, सीजेएम ने मांगी आख्या

गुस्ताख-ए-रसूल मस्त, कठघरे में आमिर अंसारी, सीजेएम ने मांगी आख्या

बदायूं जिले में गुस्ताख-ए-रसूल का प्रकरण समाप्त नहीं हो पा रहा है। अभियुक्त मस्ती कर रहा है, वहीं वादी कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। प्रकरण नये सिरे से न्यायालय में पहुंच गया है, जिससे कयास लगाया जा रहा है कि प्रकरण लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है।

पढ़ें: धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा की जंग के बीच समर्थक ने किया निंदनीय कमेंट

उल्लेखनीय है कि धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच अघोषित जंग चल रही है। प्रकरण काफी दिनों से फेसबुक पर भी छाया हुआ है, दोनों के समर्थक आक्रामक अंदाज में हैं, इसी से संबंधित एक पोस्ट पर रामेश्वर यादव नाम के यूजर ने सांसद धर्मेन्द्र यादव के पक्ष में निंदनीय कमेन्ट कर दिया था। धर्म, पैगंबर और छोटे-बड़े सरकार पर की गई टिप्पणी को हिंदू-मुस्लिम सहित हर धर्म के लोगों ने बुरा माना। प्रकरण को बेहद गंभीरता से लेते हुए आमिर अंसारी ने सदर कोतवाली में यूजर रामेश्वर यादव के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या- 556/18 धारा- 295 ए आईपीसी एवं 66 आईटी एक्ट के अंतर्गत दर्ज करा दिया था।

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निंदनीय कमेंट को लेकर राजनैतिक वातावरण गर्मा गया था। जिले भर में आरोपी के विरुद्ध प्रदर्शन किया गया, उसका पुतला भी फूंका गया। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा ने एक दिन भूख हड़ताल भी की और आरोपी पर एनएसए लगाने को कहा, साथ ही पुलिस आरोपी को पकड़ने में जुटी हुई थी। सांसद धर्मेन्द्र यादव ने भी आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की थी एवं समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि मंडल एसएसपी से मिला था, जिसने आरोपी पर एनएसए लगाने की भी मांग की थी, इस सबके बीच पुलिस ने आरोपी को 20 नवंबर को रोडवेज बस अड्डे से गिरफ्तार दर्शाते हुए न्यायालय में भेज दिया था, जहां से उसे तत्काल जमानत पर रिहा कर दिया गया।

आमिर अंसारी अपने बचाव में कई दलीलें दे रहे हैं और स्वयं को सही बता रहे हैं, साथ ही अंसारी समाज ने भी उन्हें सही बताया पर, आम जनता का रोष कम नहीं हो रहा है।

उक्त प्रकरण में आमिर अंसारी की ही ओर से पुलिस ने 17 नवंबर को आरोपी के विरुद्ध धारा- 506 के अंतर्गत एक और मुकदमा अपराध संख्या- 579 दर्ज किया था, जिसमें आरोपी का चालान किया गया था, साथ ही मुकदमा अपराध संख्या- 556 का उल्लेख ही नहीं किया गया था, इसीलिए उसे तत्काल जमानत मिल गई थी। गिरफ्तारी का खेल आम जनता की समझ में आया तो, पुलिस के साथ वादी आमिर अंसारी भी कठघरे में खड़ा कर दिए गये। आमिर अंसारी अपने बचाव में कई दलीलें दे रहे हैं और स्वयं को सही बता रहे हैं, साथ ही अंसारी समाज ने भी उन्हें सही बताया पर, आम जनता का रोष कम नहीं हो रहा है।

उक्त प्रकरण में सरताज पुत्र असगर द्वारा मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वाद दायर किया गया है। न्यायालय ने न सिर्फ वाद स्वीकार कर लिया बल्कि, प्रकरण को गंभीर मानते हुए सदर कोतवाली पुलिस से आख्या भी मांगी है। मदरसा बरकातिया रजिया में एक बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें गुस्ताख-ए-रसूल को पुनः गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग की गई, साथ ही आमिर अंसारी को भी कठघरे में खड़ा किया गया। बैठक में यह भी कहा कि गुस्ताख-ए-रसूल के मददगार को शरीयत के अनुसार सजा दी जायेगी। बैठक में तमाम गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

उधर पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा का कहना है कि गुस्ताख-ए-रसूल की जमानत में पुलिस-प्रशासन ने राजनैतिक दबाव में खेल किया था, जमानत का रास्ता जान-बूझ कर आसान किया गया था। गुस्ताख-ए-रसूल को दोबारा जेल भिजवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि हम पूरे जिले के मुसलमानों से जुड़े इस मामले को जल्द ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी लेकर जायेंगे। गुस्ताख-ए-रसूल को हर हाल में जेल भिजवा कर सजा दिलवाने का काम करेंगे।

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