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सवाल : पत्र-पत्रिकाओं में लोग क्या पढ़ना चाहते हैं?

जवाब :  ख़बरें!

खंडन : वे तो घटना आधारित होती हैं और सभी पत्र-पत्रिकाओं में होती हैं, किसी में भी पढ़ी जा सकती हैं …

दूसरा सवाल : फिर एक व्यक्ति किसी खास अखबार को ही क्यों पसंद करता है?

जवाब : वास्तव में पाठक केवल खबर ही नहीं पढ़ना चाहता … उसके अंतर्मन में भी हर घटना की एक प्रतिक्रिया उमड़-घुमड़ रही होती है, हर पाठक इसी भूख को शांत करना चाहता है और जब मन में चल रही प्रतिक्रिया का ही एक रूप उसे किसी पत्र-पत्रिका में दिखता है, तो वह उसकी पसंद बन जाता है, इसीलिए कहा जाता है कि अखबार आम आदमी की ही आवाज़ होता है … मंहगाई, भ्रष्टाचार, भूख, बेरोज़गारी, अशिक्षा, गरीबी और भय आदि के चलते अधिकाँश नागरिक अपनी बात तक नहीं कह पाते, जबकि अपने चारों ओर फैली अव्यवस्थाओं से व्यथित अधिकाँश लोग अपनी बात कहना चाहते हैं … आम आदमी के वह विचार, जो आवाज़ नहीं बन पाते, उनको महसूस कर हम उन्हें शब्दों में ढाल देते हैं, इसीलिए हम सिर्फ अखबार ही नहीं, बल्कि सशक्त आंदोलन हैं किसी भी तरह का आंदोलन चलाते रहने के लिए पंक्ति में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति से भी सहयोग की अपेक्षा रखना स्वाभाविक ही है, मूल्यों को और ऊपर स्थापित करने की दिशा में सहयोग और सुझाव आमंत्रित हैं …

(विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र दिल्ली न्यायालय होगा)

                                                                                                         बी.पी.गौतम

                  new-logo                                                     संपादक

                                                   bpgautam99@gmail.com

                                                            मो. 08979019871

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