आंकड़ों में सपा, संगठन में भाजपा मजबूत, बसपा प्रत्याशी न आने से स्पष्ट नहीं हो पा रही है तस्वीर

आंकड़ों में सपा, संगठन में भाजपा मजबूत, बसपा प्रत्याशी न आने से स्पष्ट नहीं हो पा रही है तस्वीर

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में दो योद्धा खुल कर सामने आ गये हैं। समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को मैदान में उतार दिया है। हालाँकि माना जा रहा है कि प्रत्याशी उनके बेटे आदित्य यादव उर्फ अंकुर यादव होंगे, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को कमान सौंप दी है। बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जिससे अभी किसी की हार-जीत को लेकर दावे नहीं किये जा सकते हैं।

बदायूं लोकसभा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर ही बात करें तो, आँकड़े सपा-भाजपा दोनों के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। हालाँकि सपा का गढ़ होने के दंभ को पिछले चुनाव में डॉ. संघमित्रा मौर्य चूर-चूर कर चुकी हैं, उन्होंने धर्मेन्द्र यादव को आसानी से धूल चटा दी थी। हाल-फिलहाल 14 लाख मतदाताओं में यादव मतदाताओं की संख्या 4 लाख एवं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 3.5 लाख है अर्थात, लगभग पचास प्रतिशत मतदाता समाजवादी मानसिकता के हैं, इसके अलावा दलित मतदाताओं की संख्या पौने दो लाख के आस-पास बताई जाती है, ऐसे में बसपा ने अगर, मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतार दिया तो, समाजवादी पार्टी का खेल बिगड़ सकता है।

हाल-फिलहाल आंकड़ों में समाजवादी पार्टी भारी दिखाई दे रही है लेकिन, संगठन की दृष्टि से समाजवादी पार्टी बेहद कमजोर दिखाई दे रही है। भारतीय जनता पार्टी का संगठन बेहद मजबूत है, उनके शक्ति केंद्र तक संगठन है, पन्ना प्रमुख तक हैं पर, समाजवादी पार्टी बिल्सी विधान सभा क्षेत्र में पूरी तरह नेतृत्व विहीन है, इसी तरह बिसौली क्षेत्र से सपा विधायक आशुतोष मौर्य “राजू भैया” सपा से किनारा कर के भाजपा की ओर रुख कर चुके हैं, इन दोनों क्षेत्रों में सपा के पास नेतृत्व न होने का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भारतीय जनता पार्टी का संगठन मजबूत है पर, प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य क्षेत्र के लिए एक दम नये हैं, वे बदायूं जिले के मूल निवासी कहने भर को ही हैं, उनका गाँव आंवला लोकसभा क्षेत्र में है, साथ ही वे बरेली में वर्षों से रहते हैं, वे यहाँ राजनैतिक रूप से सक्रिय नहीं थे, साथ ही उनका पहला चुनाव है, उन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है, जिससे वे पूरी तरह भाजपा पर ही निर्भर दिखाई दे रहे हैं, उनकी निजी पहचान सिर्फ भाजपा प्रत्याशी के रूप में ही है।

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में अभी आंकड़े किसी के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं, किसी के पक्ष में मजबूत संगठन है, किसी का कद बढ़ा है तो, किसी को अभी पहचान बनाने का संघर्ष करना है लेकिन, चुनाव की तस्वीर बसपा प्रत्याशी के मैदान में आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी, यहाँ  7 मई को चुनाव होना है और मतगणना 4 जून को होगी, सो हार-जीत का पता 4 जून को ही चल सकेगा।

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