उझानी वालों ने अहंकार और राजशाही से मुक्ति पाने का मन बनाया

उझानी वालों ने अहंकार और राजशाही से मुक्ति पाने का मन बनाया

बदायूं जिले में स्थानीय नगर निकाय चुनाव की स्थिति कुछेक स्थानों पर स्पष्ट नजर आने लगी है। चुनाव से पहले ही लोग पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनके यहाँ कौन जीतेगा। प्रचंड समर्थन मिलने के कारण कुछेक स्थानों पर चुनाव एकतरफा हो गया है।

उझानी नगर पालिका परिषद की बात करें, तो यहाँ शुरुआत में राजनैतिक हालात कुछ और नजर आ रहे थे, पर अब वातावरण पूरी तरह बदल गया है। उझानी में पालिकाध्यक्ष पद का परिणाम अभी से सभी को स्पष्ट नजर आने लगा है। अधिकांश लोगों का मानना है कि उझानी में चुनाव अब औपचारिकता के रूप में ही बचा है, क्योंकि बहुत बड़ा वर्ग खुल कर अपना पालिकाध्यक्ष चुनने का निर्णय ले चुका है।

उझानी में बदले राजनैतिक वातावरण का सबसे बड़ा कारण अहंकार और राजशाही जीवन शैली मानी जा रही है, जिसे मतदाता इस बार पूरी तरह निरस्त करने का मन बना चुके हैं। लोगों का कहना है कि लोकतंत्र की स्थापना हुए लंबा समय बीत चुका है, पर कुछेक लोगों का मन अब भी लोकतंत्र के अनुसार ढलने को तैयार नहीं है, ऐसे लोगों को चुन कर देख लिया, वे फिर भी नहीं सुधरे, पर उन्हें अब स्वीकार नहीं किया जायेगा।

उझानी के लोगों का कहना है कि ऐसा पालिकाध्यक्ष अब कभी नहीं चुनेंगे, जिससे मिलने के लिए पहले कुत्तों से मिलना पड़ता है, उनसे किसी तरह बच कर आगे बढ़ गये, तो नौकर रोक लेते हैं, जो पूरा इंटरव्यू लेने के बाद आगे जाने देते हैं, फिर पीए को पुनः इंटरव्यू देना पड़ता है, उसके बाद वेटिंग रूप में बैठा दिया जाता है, जहाँ पालिकाध्यक्ष सजने-संवरने के बाद दर्शन देती हैं, इसलिए आम आदमी की तो कभी एंट्री ही नहीं हो पाती, ऐसे अपमानित करने वालों को अब पालिकाध्यक्ष नहीं बनाया जायेगा।

अहंकार और राजशाही जीवन शैली से लोग इतने अधिक रुष्ट नजर आ रहे हैं कि उनके साथ घूमने वाले लोग तक नहीं मिल रहे। स्कूल-कॉलेज में नौकरी करने वाले शिक्षक और शिक्षिकायें पढ़ाने की जगह आज-कल वोट मांग रहे हैं। महिलाओं और पिताओं को सोचना चाहिए कि वे अपनी पत्नी और बेटी को किस जॉब के लिये भेज रहे हैं और उनसे क्या कराया जा रहा हैं। वेतन देने का मतलब यह नहीं है कि कुछ भी कराया जाये।

खैर, विधान सभा चुनाव में जनता ने तख्त खींच कर राजशाही अंदाज वालों को जमीन पर खड़ा कर दिया था। निकाय चुनाव में उझानी के लोग ताज भी छीनने का मन बना चुके हैं, यहाँ चौंकाने वाले परिणाम आने वाले हैं। गैर राजनैतिक पृष्ठभूमि के युवा चुनने का जनता मन बना चुकी है।

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