शातिर कृष्ण पाल कभी बेचता था छोले-कुल्चे, जो बाद में बन गया चिन्मयानंद

शातिर कृष्ण पाल कभी बेचता था छोले-कुल्चे, जो बाद में बन गया चिन्मयानंद

शाहजहाँपुर का बहशी कुख्यात कथित संत चिन्मयानंद सलाखों के पीछे चला गया है। चिन्मयानंद की अय्याशी की निंदा देश भर में की जा रही है। अब हर कोई यह भी जानना चाहता है कि चिन्मयानंद असलियत में कौन है और यह कहां से आया है, साथ ही यह प्रतिष्ठित संस्थाओं का मठाधीश कैसे बन बैठा। गौतम संदेश चिन्मयानंद के बारे में गहनता से पूर्व में ही पड़ताल कर चुका है।

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गोंडा जिले के छोटे से गाँव रमईपुर त्योरासी में भुवनेश्वरी सिंह और राम श्री के पांच पुत्र और एक पुत्री पैदा हुए थे। राम पाल, राम कृपाल, कृष्ण पाल, राम भवन, तुंगनाथ और पुत्री का नाम सावित्री रखा गया। तीसरे नंबर का कृष्णपाल ही यौन उत्पीड़न का आरोपी कथित संत चिन्मयानंद है, जो 3 मार्च 1947 को पैदा हुआ था। चिन्मयानंद और इसके परिजन अलग तरह की ही कहानी सुनाते हैं लेकिन, असलियत कुछ और ही बताई जाती है।

बताया जाता है कि 20 वर्ष की उम्र में कृष्ण पाल ने मोहल्ले की ही किसी लड़की से छेड़-छाड़ कर दी थी, जिसका खुलासा होने से कृष्ण पाल फरार हो गया, इस प्रकरण की पुलिस से शिकायत नहीं की गई थी। बताते हैं कि इधर-उधर भटकते हुए कृष्ण पाल दिल्ली पहुंच गया और यहाँ आजीविका के लिए छोले-कुल्चे बेचने लगा। कृष्ण पाल कई वर्षों तक फुटपाथ पर ही रहा।

बताते हैं कि किसी तरह कृष्ण पाल एक संत के संपर्क में आ गया और उनके साथ वृन्दावन आ गया। वृन्दावन स्थित आश्रम में कृष्ण पाल को गायों की सेवा का कार्य सौंप दिया गया, यहाँ इसने कई वर्षों तक गायों को चारा डाला और गोबर साफ किया, साथ ही भोजन बनाना भी सीख गया तो, यह रसोई में प्रवेश पा गया।

कृष्ण पाल भोजन अच्छा बनाता था, जिससे संत धर्मांनंद सरस्वती कृष्ण पाल को अपने साथ ले जाने लगे। वृंदावन वाला आश्रम शाहजहाँपुर स्थित आश्रम से ही संबद्ध है। धर्मांनंद कृष्ण पाल को शाहजहाँपुर, हरिद्वार, ऋषिकेश, कनखल और बरेली सहित सभी जगह साथ ले जाने लगे। संतों के बीच रहने से कृष्ण पाल संतों के बारे में जान-समझ गया। धर्मांनंद सरस्वती भले और भोले संत बताये जाते हैं। उन्होंने प्रभावित होकर कृष्ण पाल को दीक्षा दे दी और नाम रख दिया चिन्मयानंद सरस्वती।

धर्मांनंद सरस्वती वृद्ध हुए तो, सर्वाधिक करीबी होने के कारण चिन्मयानंद हावी हो गया, उनके शरीर त्यागते ही ट्रस्ट भी कब्जा लिया। ट्रस्ट से सभ्रांत लोगों को किनारे कर दिया और अपने इशारों पर काम करने वाले अधीनस्थों को पदाधिकारी बना लिया, इसके बाद मनमानी खुलकर करने लगा। बताते हैं कि जवानी के दिनों में चिन्मयानंद भांग के साथ शराब का भी नियमित सेवन करता था और यह सब आश्रम में ही किया जाने लगा लेकिन, अब सिर्फ भांग खाता है।

शातिर दिमाग चिन्मयानंद गोरखपुर पीठ के योगी अवैधनाथ जी महाराज के पास जाने लगा। योगी अवैधनाथ जी महाराज सच्चे संत थे, उनमें छल-कपट नहीं था, वे चिन्मयानंद को समझ नहीं पाये, उनके संबंधों को आधार बना कर चिन्मयानंद राजनीति में सक्रिय हो गया और भाजपा से टिकट लेकर वर्ष- 1991 में बदायूं लोकसभा क्षेत्र से सांसद बन गया, साथ ही मछली शहर और जौनपुर से भी सांसद चुना गया, इसके बाद चिन्मयानंद की दबंगई और नीयत खुल कर सामने आ गई। जिन कुकर्मों को चिन्मयानंद पर्दे के पीछे करता था, वे अब खुलेआम करने लगा। कुकर्मों के बल पर ही राजनीति में आगे बढ़ गया और फिर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जैसा दायित्व भी पा गया। चिन्मयानंद जब योगी अवैधनाथ जी महाराज के पास जाता था तब, योगी आदित्यनाथ की आयु कम थी, इसीलिए योगी आदित्यनाथ इसे सम्मान देते थे।

राजनैतिक रूप से शक्तिशाली होने के बाद चिन्मयानंद सुंदर और कम उम्र लड़कियों को खुलेआम साथ लेकर चलने लगा। सरकारी और गैर सरकारी कार्यक्रमों में भी लड़कियों को खुलेआम साथ लेकर जाता था और सरकारी गेस्ट हाउस में लड़कियों के साथ खुलेआम सोता था। भगवाधारी के साथ राजनैतिक रूप से शक्तिशाली होने के कारण कोई कुछ नहीं कहता था। बताते हैं कि चिन्मयानंद की रखैलों की सूची बहुत लंबी है। मुंबई, दिल्ली, बरेली, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, कलकत्ता ही नहीं, बल्कि देश के हर राज्य में इसकी रखैलें रहती हैं।

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चिन्मयानंद को कम उम्र लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाने की बीमारी है, इस बीमारी के चलते ही वह लड़की को चार-पांच वर्ष के बाद किनारे कर देता है। तमाम लड़कियों के विवाह अपने अधीनस्थों से ही करा चुका है। चिन्मयानंद के कितनी लड़कियों से संबंध रहे हैं, इसकी निश्चित संख्या कोई नहीं बता सकता पर, बताते हैं कि सैकड़ों लड़कियों में से दो-चार ऐसी भी रही हैं, जो इसकी गले की हड्डी बन गई थीं, ऐसी ही एक उच्च शिक्षित लड़की इस पर वर्ष- 1999 में मुकदमा दर्ज कराने को तैयार हो गई थी तो, इसने उससे गोपनीय तरीके से 12 मार्च 1999 को शादी कर ली थी, उसका सन्यासी के रूप में अमिता आनंद नाम रखा गया था लेकिन, वह लड़की कुछ वर्षों बाद अचानक लापता हो गई, उसके बारे में अब कोई कुछ नहीं जानता।

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चिन्मयानंद लंबे समय से अय्याशी कर रहा है, हर आश्रम में करता रहा है, इसके रसोईया, अंगरक्षक, चपरासी और आस-पास रहने वाले संत व निकट संबंधी सब कुछ जानते हैं। चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा तो, कोई स्तब्ध नहीं हुआ। हाल ही में चिन्मयानंद की नंगई के वीडियो की सीरिज वायरल हुई, इस पर भी कोई नहीं चौंका, क्योंकि इसके बारे में सबको सब कुछ पहले से पता था। सैकड़ों लड़कियों के जीवन को तबाह करने वाला चिन्मयानंद अब सही जगह पहुंच गया है।

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