यौन शोषण के आरोपी चिन्मयानंद के साथ खड़ी हुई सरकार

यौन शोषण के आरोपी चिन्मयानंद के साथ खड़ी हुई सरकार

शाहजहाँपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता, भाजपा नेता एवं पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद यौन उत्पीड़न के आरोपी हैं, उन्हें बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और सरकार ने अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है। अधिकार न होने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार स्वामी चिन्मयानंद का मुकदमा न्यायालय से वापस लेने का आदेश जारी कर चुकी है, जिस पर पीड़ित ने आपत्ति दर्ज करा दी है।

उल्लेखनीय है कि 30 नवंबर 2011 को शाहजहाँपुर की सदर कोतवाली में पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध उनकी ही शिष्या ने मुकदमा अपराध संख्या- 1423/2011 दर्ज कराया था, उस समय तक पीड़ित आरोपी की शिष्या एवं मुमुक्षु आश्रम की प्रबन्धक थी। सन्यास देने के नाम पर बहलाने-फुसलाने, बंधक बनाने, लंबे समय तक यौन उत्पीड़न करने, गुलामी कराने के साथ जान से मारने का प्रयास करने की प्रमुख धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया गया था। मुकदमे की विवेचना शाहजहाँपुर सदर कोतवाली के इंस्पेक्टर को ही दी गई थी, लेकिन पीड़ित का आरोप है कि आरोपी को लाभ पहुँचाने की नीयत से पुलिस ने विवेचना में खास रुचि नहीं दिखाई, जिसका सीधा लाभ आरोपी को मिला भी। गवाह और सुबूत के अभाव में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने में कामयाब हो गया, इसके बाद पीड़ित ने स्वयं जाकर शाहजहाँपुर स्थित सीजेएम के समक्ष अपने धारा- 164 के तहत बयान दर्ज कराये।

शाहजहाँपुर सदर कोतवाली पुलिस ने विवेचना में फिर भी कोई रुचि नहीं दिखाई, तो पीड़ित के कहने पर एसपी शाहजहाँपुर ने विवेचना जलालाबाद के इंस्पेक्टर को दे दी तभी, विधान सभा चुनाव आ गए और जलालाबाद इंस्पेक्टर ने व्यस्तता का बहाना बना कर विवेचना पुनः लटका दी। चुनाव बाद जलालाबाद के इंस्पेक्टर श्री आरएस थामा का तबादला हो गया, जिससे विवेचना में प्रगति नहीं हुई।

पीड़ित ने उस समय के डीआईजी बरेली से विवेचना में तेजी लाने और शाहजहाँपुर पुलिस के अलावा किसी अन्य जिले की पुलिस से विवेचना कराने की मांग की, जिस पर डीआईजी एंटनी देव कुमार ने विवेचना बदायूं जनपद की पुलिस के हवाले कर दी। बदायूं की उस समय की एसएसपी मंजिल सैनी ने एसआईएस को विवेचना सौंप दी। तीन दिन बाद ही विवेचनाधिकारी सीओ सिटी को बना दिया गया, इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाजहांपुर के सीजेएम की देखरेख में तीन महीने में विवेचना पूरी करने के कड़े आदेश पारित कर दिये।

हाईकोर्ट का आदेश संज्ञान में आते ही सीओ सिटी ने विवेचना करने में असमर्थता जता दी, तो एसएसपी ने सहसवान के सीओ को विवेचना दे दी। सहसवान सीओ पर आरोपी से मिलीभगत का आरोप लगा तो, एसएसपी ने बिसौली सर्किल के सीओ को विवेचना पूरी करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। हाईकोर्ट द्वारा दिये गए समय की सीमा पूरी होने के बाद भी विवेचक ने गवाह व सुबूत नहीं जुटाये।

पीड़ित का आरोप है कि तत्कालीन सीओ- बिसौली व विवेचक एमएस राणा भी आरोपी से मिल गये थे तभी, मुख्य आरोपी के सहयोगियों तक को नहीं पकड़ा गया और न ही घटना स्थल से जरूरी चीजों को बरामद करने का प्रयास किया गया। विवेचनाधिकारी सीओ बिसौली एमएस राणा ने मोटी रकम लेकर धाराओं को कम कर दिया एवं सहयोगियों को दोष मुक्त कर दिया। मुख्य आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिसके विरुद्ध आरोपी चिन्मयानंद उच्च न्यायालय की शरण में चले गये और वर्ष- 2012 में जिला न्यायालय की कार्रवाई पर रोक लगवाने में सफल हो गये।

पीड़ित ने उच्च न्यायालय में मुकदमा संख्या- 43082/2012 में समय से जवाब दे दिया लेकिन, चिन्मयानंद ने अंत तक अपना पक्ष नहीं रखा, उनके वकील निरंतर मुकदमा टलवाते रहे। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद आरोपी का मनोबल और अधिक बढ़ गया और आरोपी ने उच्च न्यायालय से अपना मुकदमा वापस ले लिया, यह मुकदमा वापस लेते ही जिला न्यायालय से जारी वारंट सक्रिय हो गया, साथ ही पीड़ित ने भी न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर वारंट जारी कर आरोपी को गिरफ्तार करने की गुहार लगा दी, जिस पर अगली तिथि पर सुनवाई होगी।

उधर उत्तर प्रदेश सरकार के दबाव में अनु सचिव अरुण कुमार राय ने शाहजहाँपुर के जिलाधिकारी को चिन्मयानंद का मुकदमा वापस लेने का निर्देश दिया है। अपर जिला मजिस्ट्रेट ने अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार सिंह को मुकदमा वापस लेने का निर्देश दे दिया और विनोद कुमार सिंह ने भी न्यायालय में मुकदमा वापस लेने की अपनी सहमति दे दी है। हालाँकि अभियोजन अधिकारी के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने कोई आदेश नहीं किया है। पीड़ित का कहना है कि उसका व्यक्तिगत प्रकरण है, इसमें सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती है, सरकार का निर्णय विधि विरुद्ध है।

यह भी बता दें कि शाहजहांपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम में 25 फरवरी को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी आये थे और आरोपी के साथ भोजन किया था, इससे पहले 16 फरवरी को बार एसोसियेशन के शपथ ग्रहण समारोह में आरोपी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुआ था और न्याय विभाग के भी स्थानीय लोग मंच पर मौजूद रहे थे, साथ ही 3 मार्च को आरोपी का जन्मदिन मनाया गया था, इस दिन अपर जिलाधिकारी प्रशासन और सीडीओ ने आरोपी की आरती की थी, इस सबसे स्पष्ट है कि आरोपी को शासन-प्रशासन और न्यायालय का भी खुला संरक्षण प्राप्त है। पीड़ित ने कहा कि मुकदमा की पैरवी बाधित करने को आरोपी ने बदायूं में एक पोर्टल बनवाया है, जो उसके परिवार के संबंध में मनगढ़ंत खबरें लगातार प्रकाशित कर रहा है लेकिन, वह हार नहीं मानेगी और न्यायालय में अंत तक न्याय की लड़ाई लड़ेगी।

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