पिछड़ा वर्ग के हॉस्टल में सवर्णों की छात्राओं को रखता क्यों था चिन्मयानंद?

पिछड़ा वर्ग के हॉस्टल में सवर्णों की छात्राओं को रखता क्यों था चिन्मयानंद?

शाहजहाँपुर का कुख्यात कथित संत व पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह यौन उत्पीड़न के दोहरे आरोपों में फंसा हुआ है। ताजा प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गठित एसआईटी की जाँच अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। चिन्मयानंद को कहीं भी जाने की अनुमति नहीं है, साथ ही उसके दोनों मोबाइल भी टीम ने जब्त कर लिए हैं। चिन्मयानंद के चरित्रहीन होने की जानकारी पहले से ही सबको थी लेकिन, इस बार कुकर्मों के वीडियो सामने आने से चिन्मयानंद समर्पण करने की अवस्था में है, उसके पास अब किसी सवाल का सटीक जवाब नहीं है।

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खैर, चिन्मयानंद संत के रूप में भगवा धारण कर समाज को लंबे समय से मूर्ख बना रहा है, जबकि वह इंसान कहलवाने लायक भी व्यक्ति नहीं है। चिन्मयानंद के अंदर हर अवगुण है। शैक्षिक संस्थाओं के पीछे छुप कर स्वयं को आदर्शवादी दर्शाने का भी निरर्थक प्रयास करता ही रहा है, जबकि शैक्षिक संस्थायें भी इसकी अय्याशी की पूर्ति कराने भर का एक माध्यम ही हैं, इसकी शान-शौकत की भरपाई संस्थाओं से ही की जाती है।

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बताया जाता है कि चिन्मयानंद कार शैक्षिक संस्थाओं के धन से ही खरीदता है। कार में खर्च होने वाले की तेल की भरपाई संस्थाओं से ही की जाती है। दुनिया में कहीं भी कीमती फोन लांच होते ही चिन्मयानंद के पास होता है, उसका पेमेंट भी संस्थाओं से ही किया जाता है। चिन्मयानंद जिस दिव्य धाम में रहता है, उसके एसी, फर्नीचर सहित सब कुछ संस्थाओं के धन से खरीदा गया है, यहाँ का बिजली का बिल भी संस्थायें ही भरती हैं। चिन्मयानंद के रसोईये शंभू का वेतन संस्थाओं से निकलता है। संस्था के नाम पर ही दिव्य धाम के अंदर हॉस्टल बनाया गया है, जो पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित है लेकिन, इस हॉस्टल में अधिकांशतः सामान्य वर्ग की सुंदर छात्रायें ही रही हैं। संस्था के द्वारा बनाये गये हॉस्टल की आड़ में ही चिन्मयानंद अय्याशी कर पाता है। चिन्मयानंद के लिए संस्थायें दूध देने वाली गाय की तरह ही हैं।

अब बात करते हैं चिन्मयानंद की मनमानी की तो, वह मनमानी इसलिए कर पाता है कि उसने अपने राजनैतिक रसूख के बल पर संस्थाओं की कमेटी अधीनस्थों से ही भर ली हैं। चिन्मयानंद का सबसे मजबूत हाथ अवनीश मिश्रा है, जो चिन्मयानंद के लिए किसी भी हद तक जाकर सब कुछ करता है। चिन्मयानंद से ज्यादा संस्थाओं का धन अवनीश मिश्रा खा रहा है, यह दोनों मिल कर ऐसा इसलिए कर पा रहे हैं कि अवनीश मिश्रा डिग्री कॉलेज का प्राचार्य है, साथ ही दूसरी संस्था में पदाधिकारी है। श्रीप्रकाश डबराल लाइब्रेरियन है, यह भी दूसरी संस्था में पदाधिकारी है। चन्द्रभान त्रिपाठी क्लर्क है और दूसरी संस्था में पदाधिकारी है, इसी तरह अन्य चिन्मयानंद के अधीन कार्य करने वाले ही प्रबंध समिति में पदाधिकारी बना लिए गये हैं।

चिन्मयानंद के हस्ताक्षरों से जिनका वेतन निकलता है, उसके हस्ताक्षर से जिन लोगों की नौकरी जा सकती है, वे चिन्मयानंद के सामने बोलने की हैसियत नहीं रखते, इसीलिए चिन्मयानंद मनमानी कर पा रहा है। परिजनों को नौकरी दे देता है। चिन्मयानंद के कई परिजन नौकरी कर रहे हैं, जिनमें ज्योति सिंह नाम की लड़की कभी नहीं आती, वह लखनऊ में रहती है, फिर भी उसका वेतन लगातार आहरित हो रहा है, जबकि उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र भी संदिग्ध बताये जाते हैं। प्रबंध समिति की बैठकें नहीं होती। खर्चे के बिल-बाउचर नहीं हैं। संस्थाओं में करोड़ों रूपये का घोटाला है पर, शिकायत पर भी जाँच तक नहीं होती। चिन्मयानंद सिर्फ चरित्रहीन नहीं है, वह एक कुटिल घोटालेबाज भी है, वह भगवा धारण कर परिवारवाद को भी बढ़ावा दे रहा है, यह हर तरह से सिर्फ और सिर्फ दंड का ही पात्र है।

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उल्लेखनीय है कि शाहजहांपुर की एक छात्रा ने एक वीडियो क्लिप के द्वारा चिन्मयानंद पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वीडियो में छात्रा ने अपने और अपने परिवार पर खतरा होने की बात कही थी, जिसके आधार पर छात्रा के पिता ने 27 अगस्त को शाहजहांपुर स्थित चौक कोतवाली में चिन्मयानंद के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उच्च स्तरीय दबाव के बाद मुकदमा दर्ज किया था।

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उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था, जिसके बाद न्यायाधीश आर. भानुमति और ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी। छात्रा राजस्थान में पाई गई, जिसे न्यायालय ने अपने पास बुलवा लिया और दिल्ली पुलिस की अभिरक्षा में दे दिया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करे। एसआईटी का नेतृत्व आईजी स्तर का अधिकारी करे, जिसकी निगरानी उच्चतम न्यायालय करे, साथ ही छात्रा और उसके भाई का नामांकन अन्य संस्थान में कराये।

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न्यायालय के आदेश पर गठित की गई योग्य अफसरों की टीम शाहजहाँपुर में जाकर विवेचना करने में जुट गई, इस बीच शाहजहाँपुर में पीड़ित छात्रा की ओर से एक दर्जन से अधिक वीडियो वायरल हो गये, जिनमें कुख्यात कथित संत चिन्मयानंद की पीड़ित छात्रा तेल से मालिश करती नजर आ रही है। निर्वस्त्र चिन्मयानंद छात्रा से अश्लील बातें करते हुए भी दिख रहा है, इसी तरह एक वीडियो और वायरल हुआ, जिसमें कई लड़के और छात्रा चलती गाड़ी में रूपये मांगने और मैसेज भेजने की चर्चा करते नजर आ रहे हैं, इसी वीडियो को लेकर चिन्मयानंद और उसके कथित समर्थक उत्साहित हो उठे थे लेकिन, वे यह भूल ही गये थे कि चिन्मयानंद संत है, वह स्त्री के संपर्क में आने की कल्पना भी नहीं कर सकता।

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चिन्मयानंद ने एक और घृणित कार्य करा दिया। हॉस्टल के जिस कमरे में पीड़ित छात्रा रहती थी, उसमें एसआईटी के पहुंचने से पहले ऐसी-ऐसी वस्तुयें रखवा दी, जिन्हें देखने से एसआईटी और समाज छात्रा को चरित्रहीन समझे। एसआईटी चिन्मयानंद के षड्यंत्र से भ्रमित नहीं हुई, वह विवेचना में जुटी रही। गुरुवार की रात चिन्मयानंद से पूछ-ताछ की तो, वह समझ गया कि उसका बचना अब मुश्किल है, सो शुक्रवार की सुबह हरिद्वार भागने की तैयारी करने लगा था पर, सक्रिय टीम ने उसे भागने नहीं दिया।

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शनिवार को छात्रा के पिता ने एसआईटी को 43 वीडियो सौंपे, जिनमें चिन्मयानंद की करतूतों की फिल्म है। चिन्मयानंद पर सुबूतों को मिटाने का भी आरोप लगाया है। रविवार को एसआईटी ने चिन्मयानंद को पुनः तलब कर लिया, उससे देर रात तक कड़ाई से पूछ-ताछ की गई, उसे कहीं जाने की अनुमति नहीं है, साथ ही उसके मोबाइल भी जब्त कर लिए गये हैं।

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