पीड़िता, अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को बताया सीआईए का एजेंट व नक्सली

पीड़िता, अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को बताया सीआईए का एजेंट व नक्सली

शाहजहाँपुर में कथित कुख्यात संत व पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह के समर्थन में अखिल भारत हिंदू महासभा के संतों ने पत्रकारों से बात की। संतों का कहना है कि उन्हें सरकार, एसआईटी और न्यायालय पर विश्वास नहीं है। संतों ने पीड़िता, उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को सीआईए का एजेंट व नक्सली करार दिया। शाहजहाँपुर की लड़कियों को विष कन्या भी बताया।

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अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्वाधान में आयोजित की गई प्रेसवार्ता में विवादित टीवी कार्यक्रम बिग बॉस में जा चुके व कई स्थानों पर पिट चुके संत ओम बाबा ने आपत्तिजनक बयान दिया। उन्होंने पीड़िता, उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को सीआईए का एजेंट व नक्सली करार दिया। उन्होंने कहा कि पीड़ित छात्रा सोनिया गांधी की तरह सीआईए की एजेंट है। उन्होंने पूर्व में आरोप लगा चुकी शिष्या को भी सीआईए का एजेंट बताया और कहा कि ऐसा लड़कियाँ पैसों के लिए करती हैं। उन्होंने कहा कि वे चिन्मयानंद को न्याय दिलाने के लिए देश भर में आंदोलन करेंगे।

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डॉ. राकेश शरण ने एक और कदम आगे चलते हुए पीड़िता, सरकार और न्यायालय पर सवाल उठाये, साथ ही उन्होंने शाहजहाँपुर की लड़कियों को विष कन्या करार दे दिया, जिस पर एक जागरूक पत्रकार ने कड़ी आपत्ति की तो, उन्होंने माफी मांगते हुए बयान में सुधार कर लिया। उक्त प्रेसवार्ता की आम जनता में कड़ी निंदा की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि शाहजहांपुर की एक छात्रा ने एक वीडियो क्लिप के द्वारा चिन्मयानंद पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वीडियो में छात्रा ने अपने और अपने परिवार पर खतरा होने की बात कही थी, जिसके आधार पर छात्रा के पिता ने 27 अगस्त को शाहजहांपुर स्थित चौक कोतवाली में चिन्मयानंद के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने उच्च स्तरीय दबाव के बाद मुकदमा दर्ज किया था।

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उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था, जिसके बाद न्यायाधीश आर. भानुमति और ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू कर दी। छात्रा राजस्थान में पाई गई, जिसे न्यायालय ने अपने पास बुलवा लिया और दिल्ली पुलिस की अभिरक्षा में दे दिया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करे। एसआईटी का नेतृत्व आईजी स्तर का अधिकारी करे, जिसकी निगरानी उच्चतम न्यायालय करे, साथ ही छात्रा और उसके भाई का नामांकन अन्य संस्थान में कराये।

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न्यायालय के आदेश पर गठित की गई योग्य अफसरों की टीम शाहजहाँपुर में जाकर विवेचना करने में जुट गई, इस बीच शाहजहाँपुर में पीड़ित छात्रा की ओर से एक दर्जन से अधिक वीडियो वायरल हो गये, जिनमें कुख्यात कथित संत चिन्मयानंद की पीड़ित छात्रा तेल से मालिश करती नजर आ रही है। निर्वस्त्र चिन्मयानंद छात्रा से अश्लील बातें करते हुए भी दिख रहा है, इसी तरह एक वीडियो और वायरल हुआ, जिसमें कई लड़के और छात्रा चलती गाड़ी में रूपये मांगने और मैसेज भेजने की चर्चा करते नजर आ रहे हैं, इसी वीडियो को लेकर चिन्मयानंद और उसके कथित समर्थक उत्साहित हो उठे थे लेकिन, वे यह भूल ही गये थे कि चिन्मयानंद संत है, वह स्त्री के संपर्क में आने की कल्पना भी नहीं कर सकता।

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चिन्मयानंद ने एक और घृणित कार्य करा दिया। हॉस्टल के जिस कमरे में पीड़ित छात्रा रहती थी, उसमें एसआईटी के पहुंचने से पहले ऐसी-ऐसी वस्तुयें रखवा दी, जिन्हें देखने से एसआईटी और समाज छात्रा को चरित्रहीन समझे। एसआईटी चिन्मयानंद के षड्यंत्र से भ्रमित नहीं हुई, वह विवेचना में जुटी रही। गुरुवार की रात चिन्मयानंद से पूछ-ताछ की तो, वह समझ गया कि उसका बचना अब मुश्किल है, सो शुक्रवार की सुबह हरिद्वार भागने की तैयारी करने लगा था पर, सक्रिय टीम ने उसे भागने नहीं दिया।

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शनिवार को छात्रा के पिता ने एसआईटी को 43 वीडियो सौंपे, जिनमें चिन्मयानंद की करतूतों की फिल्म है। चिन्मयानंद पर सुबूतों को मिटाने का भी आरोप लगाया है। रविवार को एसआईटी ने चिन्मयानंद को पुनः तलब कर लिया, उससे पूछ-ताछ जारी है। सूत्रों का कहना है कि टीम पीड़िता के सामने भी पूछ-ताछ करेगी।

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