तुम अंक से बिछुड़ कर अब शून्य हो गये हो… नरेंद्र गरल

तुम अंक से बिछुड़ कर अब शून्य हो गये हो… नरेंद्र गरल

प्रसिद्ध कवि, गीतकार और गजलकार नरेंद्र गरल की उन्हीं की जुबानी एक और रचना पेश है। करुणा और अध्यात्म के सटीक तालमेल के चलते रचना अद्भुत हो गई है। प्रसिद्ध रचनाकार नरेंद्र गरल ने सरलता से बड़ी बात कह दी है। बड़ी बात को आसानी कह देना ही नरेंद्र गरल की बड़ी खूबी है।

पढ़ें: … एक चितवन से पराजित हो गई है जिंदगी: नरेन्द्र गरल

लिखा है कि “करुणा भरे आभार हृदय का आभार मानता हूँ, इतना ही काव्य का मैं आधार मानता हूँ। आनंद रूप के तो शिव भी विभुक्षतम हैं, सौंदर्य बोध को ही आहार मानता हूँ। करुणा भरे हृदय का आभार मानता हूँ …। तुम अंक से बिछुड़ कर अब शून्य हो गये हो, हर गीत में तुम्हारा आकार मानता हूँ। करुणा भरे हृदय का आभार मानता हूँ … । निर्मल सरोवरों में निश्छल विहार करना, संसार का कठिनतम आचार मानता हूँ … ।

नरेंद्र गरल की उक्त पूरी रचना वीडियो में है, जो उन्होंने स्वयं सुनाई है। बेहतरीन रचना है, जिसे सुनते हुए आनंद की अनुभूति होना स्वाभाविक ही है। उनकी रचनायें पढ़ने में अच्छी लगती हैं लेकिन, वे स्वयं सुनायें तो, और भी ज्यादा आनंद आता है, इसलिए प्रयास है कि उनकी रचनाओं के वीडियो पाठकों के सामने निरंतर आते रहें।

(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)

Leave a Reply