सरकार जमातियों को खोज कर क्वारंटाइन करा रही हैं, यहाँ छुपा रहे हैं

सरकार जमातियों को खोज कर क्वारंटाइन करा रही हैं, यहाँ छुपा रहे हैं

बदायूं का पुलिस-प्रशासन भारत सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार के विपरीत कार्य करता नजर आ रहा है। कोरोना वायरस समाज में न फैले, इसके लिए भारत सरकार और प्रदेश सरकार तबलीगी जमात के साथ बाहर से आये सभी लोगों को खोज-खोज कर क्वारंटाइन करा रही है लेकिन, बदायूं का पुलिस-प्रशासन तबलीगी जमात वालों को छुपाने का प्रयास करता रहा। झूठी रिपोर्ट भेजने वाले इन्स्पेक्टर हरेन्द्र सिंह के विरुद्ध अभी तक माहमारी अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की गई है और न ही अभी तक निलंबित किया गया है।

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उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल को गौतम संदेश ने खुलासा किया था कि सहसवान में तबलीगी जमात के लोग हैं, इसके बाद एसडीएम लाल बहादुर, सीओ रामकरन के साथ कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने छापा मारा था, वडाला (महाराष्ट्र), बुलंदशहर जिले के और आंध्र प्रदेश के लोग निकले थे, इसके बावजूद कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने एसएसपी को भेजी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि सहसवान में तबलीगी जमात में शामिल होने वाला कोई नहीं है। रिपोर्ट में यह बात छुपा ली गई कि मस्जिद से तमाम लोग हिरासत में लिए गये थे।

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मस्जिद से निकाले गये तबलीगी जमात के लोगों से बात की तो, उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि वे जमात में शामिल होकर लौटे हैं, इसके अलावा मस्जिद से बुलंदशहर के सलमान, सिकंदर, इस्लाम, वकील अहमद, रिहान, वाहिद ताहिर, कामिल, अजरुद्दीन, अजहर, हबीब इमरान, जुनैद, स्लामुर्दान व नोयडा के अकबर भी मिले थे। वडाला (महाराष्ट्र) के सद्दाम हुसैन, मोहम्मद अली जान, अकुब फैज, मोहम्मद गुफरान, उल्लन अंसारी और सरफराज खान भी मस्जिद में मिले थे, इन्हें शुक्रवार को जिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है, इनका सेंपल लेकर जांच को भेजा गया है, इस बात की पुष्टि डीएम कुमार प्रशांत ने भी की है।

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कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने कोरोना माहमारी को लेकर न सिर्फ लापरवाही बरती बल्कि, वरिष्ठ अफसरों को भी झूठी रिपोर्ट भेजी, इसको लेकर उनके विरूद्ध महामारी अधिनियम- 1897 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर निलंबन की कार्रवाई होना चाहिए थी लेकिन, अभी तक उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे स्पष्ट है कि वरिष्ठ अफसर भी कोरोना माहमारी और तबलीगी जमात के लोगों को छुपाने की बात को लेकर गंभीर नहीं हैं।

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