लोकार्पण: सोनरूपा का पिछले बरस लगाया हुआ गुलमोहर बन गया वृक्ष

लोकार्पण: सोनरूपा का पिछले बरस लगाया हुआ गुलमोहर बन गया वृक्ष

बदायूं के एक होटल में मंगलवार की शाम को पर्दा उठाया गया, जिसके पीछे लहलहाता ऐसा गुलमोहर निकला कि देखते ही हर कोई वाह-वाह कर उठा। सोनरूपा विशाल ने चुपके से कभी गुलमोहर रोप दिया था और वे सबसे छुपा कर हर दिन सींचती भी रहीं। पल-पल बढ़ता गुलमोहर बड़ा हो गया तो, सोनरूपा को अहसास हुआ कि इसे अब दुनिया को समर्पित कर दिया जाये। सोनरूपा विशाल के गीत संग्रह “पिछले बरस का गुलमोहर” का मंगलवार को लोकार्पण किया गया।

समारोह का शुभारंभ अतिथियों एवं साहित्यकारों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। सभी अतिथियों का विशाल रस्तोगी द्वारा बुके एवं प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया। अतिथियों एवं वरिष्ठ साहित्कारों द्वारा डॉ. सोनरूपा विशाल गीत संग्रह का विमोचन किया गया, इस अवसर पर सोनरूपा ने अपने लेखन को एक नदी सरीखा बताया, जिसने अपनी राह खुद बना ली, जिसके घाट विषयों की तरह बदलते रहे, उन्होंने अपने भीतर गीतों के स्फुटन को अपने पारिवारिक संस्कारों की परिणिति कहा।

लोकार्पण समारोह में नव-गीतकार माहेश्वर तिवारी, डॉ. कुँवर बेचैन, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, दिनेश प्रभात, डॉ. विष्णु सक्सेना एवं डॉ. सर्वेश अस्थाना उपस्थित रहे। समारोह के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी रहे, दोनों अतिथियों द्वारा डॉ. सोनरूपा विशाल को बधाई देते हुए उनके गीत संग्रह की प्रशंसा की।

समारोह में सोनरूपा विशाल की कृति पर भोपाल से पधारे सुमधुर गीतकार एवं गीत की प्रतिष्ठित पत्रिका “गीतगागर” के सम्पादक दिनेश प्रभात ने कहा अगर बदायूं आकर मुझसे कोई पूछे कि गीत कहाँ रहता है तो, मैं कहूँगा गीत सोनरूपा के कंठ में बसता है, उनकी आत्मा में बसता है, उनके प्रेम में बसता है। हिंदी गीति काव्य को अपने नवगीतों से समृद्ध करने वाले हस्ताक्षर डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि सोनरूपा की सजी-संवरी भाषा, गहरी अर्थवत्ता और सूक्ष्म अंतर्दृष्टि पाठकों को मंत्रविद्द कर देगी।

डॉ. कुँअर बेचैन ने सोनरूपा विशाल को बधाई देते हुए उनके गीतों को विभिन्न छवियों वाला बताया, उन्होंने कहा कि सोनरूपा के गीत तन्मयता के बालेंदु हैं, रसभरे घट हैं, ताजा हवा का झोंका और भावनाओं से भरे बादलों की पहली फुहार हैं। प्रसिद्ध गीतकार डॉ. विष्णु सक्सेना ने आशीष देते हुए कहा कि हमारे गीतों की गुलमोहर प्रिय सोनरूपा विशाल के तृतीय रचना संग्रह पिछले बरस के गुलमोहर पर प्रभु से प्रार्थना है कि हर वर्ष सोनरूपा एक गुलमोहर का पौधा लगायें। हिन्दी नवगीत विधा के वरिष्ठ रचनाकार माहेश्वर तिवारी ने कहा कि सोनरूपा के गीत अनुभवों के विविध सोपानों पर चढ़ते उतरते हुए जीवंत दृश्य हैं, उन्होंने उनको सदा सृजनरत रहने का आशीष दिया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे साहित्यिक पत्र साहित्यगन्धा के सम्पादक लखनऊ से आये डॉ. सर्वेश अस्थाना ने कहा कि सोनरूपा अपने गीतों में एक सुंदर दुनिया बनाने का ख्वाब देखती हैं। प्रेम, समभाव से लबरेज उसके गीत आज की दुनिया की जरूरत हैं।

कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन डॉ. अक्षत अशेष ने किया। फरीदपुर से पधारी विदुषी लेखिका एवं व्याख्याता अंजू शर्मा ने सोनरूपा का संक्षिप्त परिचय दिया, इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी निशा अनंत, अपर जिलाधिकारी प्रशासन राम निवास शर्मा, पुलिस अधीक्षक नगर जितेंद्र श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट कमलेश कुमार अवस्थी, पुलिस क्षेत्राधिकारी राघवेंद्र सिंह राठौर, पूर्व विधायक एवं भाजपा जिलाध्यक्ष प्रेमस्वरूप पाठक, पूर्व चेयरमैन राजीव गुप्ता, उसहैत की चेयरपर्सन सैनरा वैश्य, दातागंज के चेयरमैन आकाश वर्मा  एवं पूर्व चेयरमैन गौरव कुमार “गोल्डी”, पंकज दर्पण, श्यामजी शर्मा, अवधेश पाठक, डॉ. रामबहादुर व्यथित, महेश मित्र ,नवनीत रस्तोगी, डॉ. उर्मिलेश की धर्मपत्नी मंजुल शंखधार, पुत्री रजतरूपा, वधु ऋचा अशेष, अभिषेक शर्मा, अजीत कुमार सिंह, गौरव गर्ग, डॉ. गोपाल मिश्रा, सुभाष अग्रवाल, डॉ. संजीव सक्सेना, डॉ. प्रशांत कोहली, सुमित मिश्रा, सोमेंद्र शंखधार, गुरुचरण मिश्रा, किशन शर्मा, राजीव अवस्थी, भारतेंदु मिश्रा, हितेंद्र शंखधार, अशोक भारती, नरेंद्र गरल, कामेश पाठक, अजीत सिंह, राजन मेहंदीरत्ता, विनीत शर्मा, संजय आर्य, महेश मित्र, अभिषेक अनंत, हसीब सोज, रजनी मिश्रा, डॉ. मधु गौतम, नरेश चंद्र शंखधार, डॉ. सौरभ शंखधार, हरि अग्रवाल, प्रतीश गुप्ता, पीयूष शास्त्री, एनुल हुदा नकवी, आशीष सिंघल, अनिल गौड़, प्रदीप शर्मा, डॉ. इजहार, इकवाल असलम, प्रशांत दीक्षित, नितिन गुप्ता, अजीत शुभाषित सहित तमाम लोग उपस्थ्ति रहे।

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