ब्रजपाल शाक्य के दोषियों को बचा रहा है प्रशासन, पीड़ितों से मिले धर्मेन्द्र यादव

ब्रजपाल शाक्य के दोषियों को बचा रहा है प्रशासन, पीड़ितों से मिले धर्मेन्द्र यादव


बदायूं का प्रशासन बकायादार ब्रजपाल शाक्य की मौत के प्रकरण में कठघरे में खड़ा नजर आ रहा है। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर आंशिक कार्रवाई कर घटना को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। घटना के बाद मृतक के पिता का भी नाम काट कर सही कर दिया गया है, जिससे स्पष्ट है कि दोषियों को बचाने का ही प्रयास किया जा रहा है।

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सहसवान तहसील क्षेत्र के गाँव जरीफनगर निवासी ब्रजपाल शाक्य पर दुकान में बिजली चोरी करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था, साथ ही 81 हजार 947 रूपये का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना जमा न हो पाने के कारण ब्रजपाल के नाम 3 नवंबर 2018 को आरसी जारी कर दी गई। 23 सितंबर को तहसील प्रशासन ने ब्रजपाल को गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया था।

हवालात में बंद ब्रजपाल की 3 सितंबर को मंजन करते समय हालत बिगड़ गई थी। सूचना मिलने पर तहसीलदार ब्रजपाल का नाटक बताते रहे। हालात गंभीर होने पर प्रशासन ने सुध ली पर, चाबी न मिलने के कारण काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही। हवालात का ताला ईंटों से तोड़ा गया, जिसके बाद ब्रजपाल को सीएचसी लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद ब्रजपाल को जिला मुख्यालय के लिए रेफर कर दिया गया पर, ब्रजपाल ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। ब्रजपाल की मौत की खबर घर पहुंची तो, कोहराम मच गया। परिजन प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाने लगे, इसके बावजूद ब-मुश्किल पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कोई कारण स्पष्ट नहीं हो सका, जिससे विसरा प्रिजर्व कर दिया गया।

गौतम संदेश ने खुलासा किया कि ब्रजपाल के पिता का नाम आरसी में गलत दर्ज था, फिर भी उसे गिरफ्तार कर लिया गया। ब्रजपाल को बकायादार मान भी लिया जाये तो, उसे 14 दिन हवालात में रखना अमानवीय कृत्य है। नियमानुसार बकायेदार को जिला कारागार भेजना चाहिए था, क्योंकि तहसील परिसर में बनी हवालात मानकों के अनुसार नहीं होती।

ब्रजपाल के पिता का नाम आरसी और वारंट में गलत था, इसकी भनक लगते ही प्रशासन ने सर्व प्रथम बिजली विभाग के अफसरों से मिल कर गलत नाम काट कर उसकी जगह सही नाम लिख लिया और संबंधित अफसर के काटने की जगह हस्ताक्षर करा लिए, जबकि ब्रजपाल का मौत से दो दिन पहले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह प्रशासन पर आरोप लगा रहा है, साथ ही वारंट भी दिखा रहा है, जिसमें कुछ भी कटा नजर नहीं आ रहा है। घटना के बाद गलत तरीके से नाम को सही कराने को लेकर बिजली विभाग के अफसरों पर भी कार्रवाई होना चाहिए।

भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य और ठा. विनय कुमार सिंह पीड़ित परिवार के घर पर गये थे, उन्होंने दोषियों पर कार्रवाई कराने और परिवार की हर संभव मदद कराने का आश्वासन दिया था। हरीश शाक्य की पहल पर तहसीलदार धीरेन्द्र कुमार और नायब तहसीलदार राजकुमार सिंह को जिला मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है, इन दोनों से एसडीएम द्वारा स्पष्टीकरण भी माँगा गया है।

इसके अलावा एसडीएम ने नायब नाजिर मदन मोहन को दोषी माना है, जिसको लेकर उन्होंने डीएम से कठोर दंड देने और निलंबित करने की संस्तुति की है, साथ ही अमीन आशाराम, संग्रह अनुदेशक रामनिवास और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कन्हई लाल को निलंबित कर दिया गया है। सवाल उठता है कि प्रथम दृष्टया प्रशासनिक अफसर दोष भी मान रहे हैं तो, दोषियों पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया जा रहा है?

उधर धर्मेन्द्र यादव पीड़ित परिवार के घर पहुंचे, उन्होंने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी और 50 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी, साथ ही दोषी अफसरों को निलंबित करने व पीड़ित परिवार को तत्काल 25 लाख रुपया आर्थिक सहायता देने की मांग की, उन्होंने कहा कि 9 अक्टूबर तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो, समाजवादी पार्टी धरना देगी, इस दौरान पूर्व राज्यमंत्री व विधायक ओमकार सिंह यादव, सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव, पूर्व विधायक रामखिलाड़ी सिंह यादव, डीसीबी के पूर्व चेयरमैन ब्रजेश यादव, नरोत्तम यादव, अमित यादव, प्रभात अग्रवाल, किशोरी लाल शाक्य और रवेन्द्र शाक्य सहित तमाम सपाई मौजूद रहे।

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