सोत नदी के किनारे बना आबिद रजा का विवादित भवन धराशाई

सोत नदी के किनारे बना आबिद रजा का विवादित भवन धराशाई

बदायूं विधान सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक महेश चंद्र गुप्ता का सबसे बड़ा चुनावी वादा पूरा हो गया है, वहीं जिले के कद्दावर नेता व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा को बड़ा झटका लगा है। सोत नदी के किनारे बना आबिद रजा का विवादित भवन प्रशासन द्वारा गिरा दिया गया है। मौके एडीएम (प्रशासन) और एएसपी (नगर) के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है।

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उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में सदर क्षेत्र के पूर्व विधायक व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के सोत नदी के किनारे बने भवन का प्रकरण उछला था लेकिन, जाँच में आबिद रजा का भवन सोत नदी की सीमा से बाहर पाया गया। पुनः रिपोर्ट मांगी गई तो, जाँच के बाद तहसीलदार ने 23 सितंबर 2016 को रिपोर्ट में पुनः वही लिखा कि अवैध कब्जा नहीं किया गया है। विधान सभा चुनाव में महेश चंद्र गुप्ता ने आम जनता के बीच आबिद रजा का भवन तुड़वाने का वादा किया था। भाजपा सरकार आने पर सोत नदी की फिर जाँच हुई, जिसमें तहसीलदार ने 10 मई 2017 को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि नदी अपने दायरे में है और अतिक्रमण नहीं किया गया है, इसके बाद भाजपा विधायक महेश चंद्र गुप्ता के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने डीएम को निर्देश दिया तो, सीडीओ की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 12 जून 2017 को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि आबिद रजा का भवन सोत नदी के रकवे से बाहर है।

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अंत में महेश चंद्र गुप्ता ने सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को पूरा प्रकरण बताया। मंत्री के निर्देश पर सिंचाई विभाग भी सक्रिय हुआ। सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय से आबिद रजा के भवन के विरुद्ध आदेश पारित कर दिया गया, जिसके विरोध में आबिद रजा ने जिलाधिकारी के न्यायालय में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद जिलाधिकारी ने आबिद रजा की अपील 22 अक्टूबर को निरस्त कर दी, जिससे सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा किया गया आदेश प्रभावी हो गया। जिलाधिकारी न्यायालय से 30 दिन का समय दिया गया था, इस दौरान आबिद रजा ने भवन नहीं तोड़ा, जिससे आज प्रशासन ने स्वयं भवन तोड़ दिया। मौके पर एडीएम (प्रशासन) और एएसपी (नगर) के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। प्रशासन की कार्रवाई से शहर भर के लोग स्तब्ध हैं, वहीं महेश चंद्र गुप्ता की लोकप्रियता का ग्राफ और बढ़ गया है। बता दें कि रविवार को सिंचाई मंत्री आये थे, जिनसे पत्रकारों ने सवाल किये थे, साथ ही महेश चंद्र गुप्ता से ज्यादा उनके बेटे विश्वजीत गुप्ता सक्रिय थे, उन्हें जनता के बीच जवाब देना पड़ता था, जिससे विश्वजीत गुप्ता प्रशासन पर लगातार दबाव बनाये हुए थे।

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