अफसरों के संरक्षण के चलते सरकार की छवि खराब कर रहा है विवादित डॉ. महेश

अफसरों के संरक्षण के चलते सरकार की छवि खराब कर रहा है विवादित डॉ. महेश

बदायूं जिले के कस्बा उझानी में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात विवादित एमओआईसी डॉ. महेश प्रताप सिंह विभागीय और प्रशासनिक संरक्षण के चलते लगातार उल्टी और हास्यास्पद हरकतें कर रहा है। डीएम को स्पष्टीकरण देने की जगह पुलिस और सोशल साइट्स के द्वारा मीडिया पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है, जिससे विभाग, प्रशासन और शासन की छवि खराब हो रही है।

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डॉ. महेश प्रताप सिंह की कार्य प्रणाली और व्यवहार से तंग आकर आशा वर्कर लंबे समय से आंदोलन कर रही हैं। आशाओं ने पीएचसी पर धरना प्रदर्शन किया, जिसकी सुनवाई न होने पर आक्रोशित आशा वर्कर जिला मुख्यालय पर सीएमओ कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गईं और बदतमीज डॉक्टर को हटाने की मांग करने लगीं लेकिन, उनकी अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।

आशाओं के आंदोलन से संबंधित खबरें प्रकाशित करने पर बदतमीज डॉ. महेश अब तक चार पत्रकारों के विरुद्ध मनगढ़ंत कहानियाँ बना कर उझानी कोतवाली में तहरीर दे चुका है, इसकी तहरीर पर पुलिस भी पत्रकारों पर निरर्थक दबाव बनाने लगती है, इस बीच एक वीडियो भी सामने आ गया, जिसमें साईकिल पर आवाज लगाकर महेश हींग बेचता नजर आ रहा है। वीडियो महेश ने खुद ही बनवाया है। वीडियो बनवाते समय मौके पर बाहरी व्यक्ति नहीं था, इसके बावजूद वीडियो वायरल हो गया, इससे स्पष्ट है कि वीडियो इसने स्वयं अथवा, इसके स्टाफ द्वारा ही वायरल किया गया।

वीडियो डीएम कुमार प्रशांत के संज्ञान में पहुंचा तो, उन्होंने डॉ. महेश की हरकत को गलत मानते हुए स्पष्टीकरण मांग लिया। अपनी हरकत पर शर्मसार होने की जगह महेश उल्टी और हास्यास्पद हरकतें लगातार कर रहा है। डीएम को स्पष्टीकरण देने की जगह सोशल साइट्स पर जवाब दे रहा है। मीडिया पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। ड्यूटी के दौरान सोशल साइट्स का दुरूपयोग कर रहा है। वरिष्ठ अफसरों से निर्देश लेने की जगह स्वयं ही पत्रकारों के विरुद्ध तहरीर दे देता है, इससे स्पष्ट है कि यह स्वयं को सर्वोच्च मान रहा है।

सूत्रों का कहना है कि डॉ. महेश को विभागीय और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है तभी, वह लगातार उल्टी हरकतें कर रहा है। हालाँकि बुधवार को बरेली से एडी हेल्थ डॉ. राकेश दुबे भी जाँच करने पहुंचे थे। डॉ. राकेश दुबे का कहना है कि अभी जाँच चल रही है। आशा वर्कर के आंदोलन के चलते स्वास्थ्य सेवायें प्रभावित हो रही हैं। विभाग, प्रशासन और शासन तक की छवि खराब हो रही है, इसके बावजूद त्वरित निर्णय नहीं लिया जा रहा है।

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