कद्दावर नेता आबिद रजा के कारण छुटभैयों की धड़कनें और सांसें थमीं

कद्दावर नेता आबिद रजा के कारण छुटभैयों की धड़कनें और सांसें थमीं

बदायूं जिले के कद्दावर नेता पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा को लेकर जिले भर में कई तरह की चर्चायें चल रही हैं। जिले भर के लोग टक-टकी लगाये हुए देख रहे हैं कि आबिद रजा क्या निर्णय लेंगे। पिछले कुछ घंटों के राजनैतिक घटनाक्रम को लेकर कई लोगों की सांसें भी थमी हुई हैं।

आबिद रजा पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के संगठन में कम रूचि ले रहे थे एवं जिले भर में ही नहीं बल्कि, प्रदेश भर में मुस्लिमों को राजनैतिक रूप से जागरूक करने का अभियान चला रहे थे, जिससे माना जा रहा था कि एक बार फिर आबिद रजा और सांसद धर्मेन्द्र यादव के बीच संवाद बंद हो गया है। हालाँकि दोनों नेताओं की ओर से सार्वजनिक रूप से संवादहीनता के संकेत तक नहीं दिए गये थे, इस बीच आबिद रजा का निर्माणाधीन बारात घर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया, उन्हें तमाम नेताओं और आम जनता ने करोड़ों का नुकसान होने के कारण सांत्वना दी थी पर, अपने नेता के पक्ष में समाजवादी पार्टी की ओर से न बयान दिया गया और न ही कोई उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने गया, इसके बाद लोगों को लगने लगा कि आबिद रजा और समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच दूरियां हो गई हैं।

कयास यह भी लगाये जाने लगे कि आबिद रजा बदायूं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं, उनके दल बदलने की भी अफवाहें उड़ने लगी थीं लेकिन, आबिद रजा ने दल बदलने की अफवाहों का खंडन करते हुए कहा था कि वे समाजवादी पार्टी के सिपाही हैं, व्यक्ति विशेष से संवादहीनता होने का आशय समाजवादी पार्टी से नाराजगी होना नहीं होता। तमाम तरह की बातों के बीच समय गुजरता रहा और फिर पिछले दिनों कांग्रेस प्रत्याशी सलीम इकबाल शेरवानी उनके आवास पर पहुंच गये, इस मुलाकात के बाद एक बार फिर यह अफवाह फैल गई कि अब आबिद रजा सलीम इकबाल शेरवानी को समर्थन देंगे पर, आबिद रजा ने कुछ नहीं कहा।

लखनऊ में तीन दिन पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, वरिष्ठ नेता आजम खान और सांसद धर्मेन्द्र यादव के साथ आबिद रजा की बैठक हुई, इस दौरान बदायूं के तमाम लोग आवास के आस-पास ही घूम रहे थे, जिन्होंने उक्त चारों लोगों को बैठक करते देखा तो, जिले भर में यह अफवाह फैल गई कि सांसद धर्मेन्द्र यादव और आबिद रजा के बीच बंद हुई वार्तालाप की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसे आम जनता की भाषा में फैसला कहा जा रहा है। लोग फेसबुक और वाट्सएप भी चर्चा करते नजर आ रहे हैं लेकिन, दोनों नेताओं की ओर से किसी तरह की पुष्टि नहीं की जा रही है।

आबिद रजा ने चुनाव लड़ाने के सवाल पर कहा कि देश और प्रदेश की तरह ही जिले के भी हालात खराब हैं, वे कट्टरपंथी ताकतों को हराने वाला निर्णय लेंगे और सेकुलर हिंदू-मुस्लिम के साथ मिल कर कट्टरपंथी ताकतों को हरायेंगे। दल और प्रत्याशी को लेकर वे अभी खुलासा करने को तैयार नहीं हैं। हालाँकि लोग कयास लगा रहे हैं, जिससे तमाम लोगों की धड़कनें बढ़ने के साथ सांसें थम सी गई हैं।

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