ज्योति कांड का कलंक मिटाने वाले राजेन्द्र पाठक को भूल गई भाजपा

बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी के पांच विधायक हैं। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर लहर चल पड़ी थी लेकिन, जिले में पांच विधायकों का चुना जाना स्थानीय समीकरणों पर भी निर्भर करता है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी में आ गये थे, जिसका लाभ भाजपा प्रत्याशियों को मिला लेकिन, सत्ता मिलने के बाद भाजपा विधायक उन नेताओं के योगदान को भूल चुके हैं, जिसका दुष्परिणाम भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिल सकता है।

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फिलहाल बात बिसौली विधान सभा क्षेत्र की करते हैं, यहाँ भाजपा ने कुशाग्र सागर को प्रत्याशी बनाया था। कुशाग्र के पिता पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर ज्योति कांड में आरोपी होने के चलते ब्राह्मणों के आक्रोश का सामना कर रहे थे। कुशाग्र को टिकट मिलते ही ब्राह्मण जिले भर में भाजपा का विरोध करने की योजना बना रहे थे, ऐसे वातावरण में ब्राह्मणों के सर्व मान्य नेता राजेन्द्र पाठक ने कुशाग्र को न सिर्फ समर्थन दे दिया बल्कि, ब्राह्मणों के गांवों में जाकर कुशाग्र का चुनाव तन, मन और धन से लड़ाने का आह्वान किया। ब्राह्मणों का समर्थन मिलते ही क्षेत्र में कुशाग्र छा गये और आसानी से चुनाव भी जीत गये।

राजेन्द्र पाठक समाजवादी पार्टी में प्रांतीय सचिव रह चुके हैं, उनका सपा में सभी बेहद सम्मान करते थे लेकिन, ब्लॉक प्रमुख का दायित्व न मिलने से खिन्न चल रहे थे। भाजपा नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया था कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनके बेटे अमित पाठक को ब्लॉक प्रमुख का दायित्व दिलाया जायेगा, इस पर उन्होंने अमित पाठक को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने की हरी झंडी दे दी थी। 13 नवंबर 2017 में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष अमित पाठक ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, जिसका लाभ भाजपा को नगर निकाय चुनाव में भी मिला, इसके बाद भाजपा नेता राजेन्द्र पाठक को भूल गये, इसका दुष्परिणाम भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिला सकता है।

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