अंगों का फडक़ना कुछ कहता है

हम और हमारा शरीर अन्य जीवों की तुलना में अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसीलिए भावी घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंकित हो उठता है। शरीर के विभिन्न अंगों का फडक़ना भी भावी घटनाओं के होने का संकेत है। कहने का तात्पर्य यह है कि आम जीवन में रोजाना हमारे साथ होने वाले शकुन-अपशकुन आने वाले भविष्य की कहानी कह देते हैं, बस हमें इनका अर्थ समझना आना चाहिए। विभिन्न अंगों के फडक़ने का क्या अर्थ होता है आइये जानें:


मस्तक के फडक़ने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
कनपटी फडक़े तो इच्छाएं पूर्ण होती है।
दायीं आंख व भौंह फडक़े तो भी अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।
बायीं आंख व भौंह फडक़े तो शुभ समाचार मिलता है।
दोनों भौंहों के मध्य फडक़न सुख देने वाली होती है।
दोनों गाल यदि फडक़ें तो अतुल धन की प्राप्ति होती है।
मुंह का फडक़ना पुत्र की ओर से शुभ समाचार का सूचक होता है।
यदि होंठ फडक़ें तो हितैषी का आगमन होता है और प्रिय वस्तु की प्राप्ति होती है।

यदि लगातार दायीं पलक फडफड़़ाए तो शारीरिक कष्ट होता है।
दायां कंधा फडक़े तो धन-संपदा मिलती है।
बांई ओर का फडक़े तो सफलता मिलती है और यदि दोनों कंधे फडक़ें तो झगड़े की संभावना रहती है।
कंठ के फडक़ने से ऐश्वर्यलाभ होता है।
उदर के फडक़ से कोष वृद्धि होती है,
नाभि का फडक़ना स्त्री को हानि पहुँचाता है।
हथेली फडक़ें तो व्यक्ति किसी विपदा में फंस जाता है।
हाथों की अंगुलियां फडक़ें तो मित्र से मिलना होता है।
दायीं बाजू फडक़े तो धन व यश लाभ तथा बायीं बाजू फडक़े तो खोई वस्तु मिल जाती है।
दायीं ओर की कोहनी फडक़े तो झगड़ा होता है और बायीं ओर की कोहनी फडक़े तो धन की प्राप्ति होती है।
पीठ फडक़े तो विपदा में फंसने की संभावना रहती है।
दाहिनी ओर की बगल फडक़े तो नेत्रों का रोग हो जाता है।
पसलियां फडक़ें तो विपदा आती है।
छाती में फडफड़़ाहट मित्र से मिलने का संकेत है।
ह्रदय का ऊपरी भाग फडक़े तो झगड़ा होने की संभावना होती है।
दायीं जांघ फडक़े तो अपमान होता है बायीं जांघ फडक़े तो धनलाभ होता है।
उक्त फल विभिन्न व्यक्तियों के अनुभव के आधार पर एकत्रित किए गए हैं, जो सामान्यत: सही सिद्ध होते हैं।

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