आइये, जानते हैं रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और युद्ध का कारण

आइये, जानते हैं रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और युद्ध का कारण

रूस और यूक्रेन के बीच काफी दिनों से तनाव चल रहा था पर, आज युद्ध शुरू हो गया। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से समूचा यूरोप प्रभावित हो रहा है, वहीं हालात शीघ्र ही सामान्य नहीं हुए तो, तीसरा विश्व युद्ध होने की आशंका जताई जा रही है। रूस ने यूक्रेन के तमाम सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया है, वहीं यूक्रेन ने भी आत्म समर्पण न करने का दावा किया है, साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की है। अमेरिका के नेतृत्व में नाटो देश भी हालातों पर दृष्टि गढ़ाए हुए हैं।

खैर, बात फिलहाल रूस और यूक्रेन के बीच उत्पन्न हुए हालातों के कारणों की करते हैं। रूस जिस समय विश्व का नेतृत्व कर रहा था, उस समय यूक्रेन भी सोवियत संघ का हिस्सा था, इसके बाद कई देश बने, उनमें से ही 1991 में एक देश बना यूक्रेन, जिसके बाद दोनों एक-दूसरे के दुश्मन हो गये। यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूरब में रूस से मिलती है।

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर- 2013 से बढ़ गया है, उस समय यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ, जबकि उन्हें रूस का समर्थन था। यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी- 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा, इससे आक्रोशित रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और वहां के अलगाववादियों को समर्थन दे दिया, जिसके बाद अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।

वर्ष- 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था। वर्ष- 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ। हालाँकि तनाव कम करने को लेकर वैश्विक स्तर पर कई बार प्रयास किये गये हैं। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति बनाये रखने व संघर्ष विराम का समझौता कराया था।

इधर यूक्रेन ने नाटो से करीबी शुरू कर दी। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हो गये हैं। अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो, नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को चिढ़ाने को काफी थी।

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