एक बार फिर चर्चाओं में है प्रेम, धोखा, झूठ, हत्या और राजनैतिक षड्यंत्रों की कहानी

एक बार फिर चर्चाओं में है प्रेम, धोखा, झूठ, हत्या और राजनैतिक षड्यंत्रों की कहानी

बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को रिहा करने का आदेश दे दिया। आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई, जिस पर रोक लगाने से मना करते हुए न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है, जिससे हत्याकांड एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है।

यह है मूल प्रकरण
लखनऊ की निषादगंज थाना पुलिस को 9 मई 2003 को कंट्रोल रूम से बताया गया कि पेपर मिल कॉलोनी में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस के पहुंचने के बाद पता चला कि शव चर्चित कवयित्री मधुमिता शुक्ला की है, साथ ही हत्या कांड में उस समय के चर्चित मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का नाम आया तो, हड़कंप मच गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने किया स्तब्ध
पोस्टमार्टम के बाद मधुमिता शुक्ला का शव गृह जनपद लखीमपुर भेज दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के पास पहुंची तो, पुलिस-प्रशासन स्तब्ध रह गया, क्योंकि रिपोर्ट में बताया गया था कि मधुमिता शुक्ला गर्भवती थी। शव का पुनः परीक्षण कराया गया। डीएनए सेंपल लिया गया, जिसमें और बड़ा खुलासा हुआ। बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का था। विपक्ष और मीडिया के बढ़ते दबाव के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी।

सीबीआई जांच में खुली परतें
सीबीआई ने जांच शुरू की तो, वारदात में एक और चेहरा सामने आया। अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी भी आरोपी बनाई गई। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने डालीबाग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में रिमांड पर लेकर पूछताछ की। मधुमणि नेपाल भाग गई। मधुमिता का नौकर देशराज भी फरार हो गया, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया, उसने बताया कि अमरमणि और मधुमिता के बीच शारीरिक संबंध थे, जिससे पत्नी मधुमणि त्रिपाठी नाराज थी, उसने ही हत्या कराने की योजना बनाई थी।

देहरादून स्थानांतरित हुआ था मुकदमा
सीबीआई जांच के दौरान कई गवाहों को धमकाया गया, जिससे मुकदमा देहरादून के फास्ट ट्रैक कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया। देहरादून के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उसकी पत्नी मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। नैनीताल उच्च न्यायालय ने बाद में प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जो अब जमानत पर बाहर है।

यह ताजा प्रकरण
अमरमणि और मधुमणि 20 वर्ष एक माह और 19 दिन से जेल में थे, इनकी आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण को दृष्टिगत रखते हुए बाकी बची हुई सजा को उत्तर प्रदेश सरकार ने माफ कर दिया, इस पर मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है, जिस पर न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और आठ हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है लेकिन, रिहाई पर तत्काल रोक लगाने से मना कर दिया।

यह है अमरमणि त्रिपाठी
अमरमणि त्रिपाठी कई दलों में रह चुके हैं। अमरमणि त्रिपाठी ने 1996 में कांग्रेस के टिकट पर नौतनवां क्षेत्र से पहला चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1997 में अमरमणि कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस में सम्मिलित हो गये और फिर कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री भी बन गये। एक अपहरण की वारदात में नाम आने पर उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया, इसके बाद अमरमणि त्रिपाठी बसपा में चले गये। समाजवादी पार्टी में भी रहे और मुलायम सिंह की सरकार में अमरमणि मंत्री भी बने।

डिस्कवरी चैनल ने बनाई है वेब सीरीज
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड इतना चर्चित रहा है कि उस पर फिल्म निर्माताओं की भी दृष्टि चली गई। डिस्कवरी प्लस चैनल ने चर्चित हत्याकांड पर लव किल्स: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड वेब सीरीज बनाई है। वेब सीरीज 2023 में ही 9 फरवरी से ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी प्लस पर स्ट्रीम की गई थी।

मधुमिता की बहन निधि कर रही है संघर्ष
प्रेम, हत्या, धोखा, झूठ और राजनैतिक षड्यंत्रों की कहानी यहाँ मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के कारण पहुंची है। निधि बीस वर्षों से लगातार न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं। निधि ने ही उच्चतम न्यायालय में रिहाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। निधि का कहना है कि बिना किसी वास्तविक बीमारी के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहते हुए जेल की सजा का एक बड़ा समय बिताने वाले को रिहा नहीं किया जाना चाहिए। निधि का आरोप कि अमरमणि और मधुमणि ने समय पूर्व रिहाई पाने के लिए अधिकारियों को गुमराह किया है। निधि ने आरटीआई के अंतर्गत जवाब माँगा था, जिसमें बिमारी के बारे में नहीं बताया गया, जबकि अस्पताल में सभी सुविधायें मुहैया कराई गईं।

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