गंगा यात्रा: डॉ. राममनोहर लोहिया के सुझाये मार्ग को अपना रहे हैं मोदी-योगी

गंगा यात्रा: डॉ. राममनोहर लोहिया के सुझाये मार्ग को अपना रहे हैं मोदी-योगी

अरविंद विद्रोही

गंगा यात्रा की योजना कब और कैसे बनी? दरअसल, 14 दिसम्बर को कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत परिषद के अन्य पदाधिकारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”जो भी मंत्रालय गंगा से जुड़े हैं, उनको अपने विभागीय कार्य से हटकर कुछ ऐसा भी करना चाहिए, जिससे गंगा के जरिए अर्थ प्राप्ति के साधन भी लोगों को मुहैया कराए जा सकें।” मोदी का उपरोक्त कथन ही यूपी में “गंगा यात्रा” की योजना के रूप में हमारे सम्मुख आया।

पत्रकार, लेखक, समाजवादी चिंतक डॉ. राममनोहर लोहिया ने यूँ ही नहीं कह दिया था कि “लोग मेरी बात सुनेंगे जरूर लेकिन, मेरे मरने के बाद”। युगदृष्टा थे डॉ. लोहिया: लोहिया की दृष्टि में राष्ट्र प्रथम, उसके पश्चात् राजनैतिक दल और फिर खुद, अपनी विचारधारा थी। डॉ. लोहिया ही उस दौर के वो राजनेता चिंतक थे, जो देश में व्याप्त बुराइयों की जननी कांग्रेस और पंडित नेहरू ( तत्कालीन प्रधानमंत्री) को मानते-कहते थे। लोहिया अगर, देश में व्याप्त बुराइयों को इंगित करते थे तो, साथ ही साथ उन बुराइयों से निपटने का कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते थे। डॉ. लोहिया के विचार, लेख और भाषण, उनके द्वारा प्रस्तुत सप्त क्रांति आज ऐतिहासिक दस्तावेज के तौर पर हमारे पास उपलब्ध हैं। बशर्ते, हम उनका अध्ययन करके उनसे कुछ सीख लेना चाहते हों।

” नदियाँ साफ़ करो” डॉ. लोहिया का एक विचार है, जो जीवन की शुद्धता और मूलभूत आवश्यकता, अनिवार्यता की पूर्ति को लेकर है। डॉ. लोहिया ने अन्याय का विरोध करने तथा नदियाँ बचाने/साफ़ रखने, कल-कारखानों से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन को अपने द्वारा प्रतिपादित सप्त क्रांति में प्रमुख स्थान दिया था। पुलिसिया जुल्म की बर्बरता के खुद बुरी तरह शिकार रहे डॉ. लोहिया व्यक्ति पर होने वाले जुल्म की पीड़ा को बखूबी समझते थे। पर्यावरण और नदियों के सवाल पर 24 फरवरी 1958 को वाराणसी में डॉ. लोहिया ने अपने भाषण में कहा था कि, “आज हिंदुस्तान में 40 करोड़ लोग बसते हैं। एक-दो करोड़ के बीच रोजाना किसी न किसी नदी में नहाते हैं और 50-60 लाख लोग पानी पीते हैं, उनके मन और क्रीड़ायें इन नदियों से बंधे हैं।

नदियाँ हैं कैसी? शहरों का गंदा पानी इनमें गिराया जाता है। बनारस के पहले जो शहर हैं, इलाहाबाद, मिर्जापुर, कानपुर, इनका मैला कितना मिलाया जाता है इन नदियों में। कारखानों का गंदा पानी नदियों में गिराया जाता है- कानपुर के चमड़े आदि का गंदा पानी, यह दोनों गंदगियां मिलकर क्या हालात बनाती हैं? करोड़ों लोग फिर भी नहाते हैं और पानी पीते हैं। “इसी दिन अपने भाषण में डॉ. लोहिया ने सवाल उठाया था कि , “क्या हिंदुस्तान की नदियों को साफ रखने और करने का आंदोलन उठाया जाये? अगर, यह काम किया जाये तो, दौलत के मामले में भी फायदा पहुंचाया जा सकता है। मल-मूत्र और गंदे पानी की नालियाँ खेतों में गिरें, उनको गंगामुखी या कावेरीमुखी न किया जाये, खर्च होगा। दिमाग के ढर्रे को बदलना होगा। मुमकिन है ,इस योजना में अरबों रूपये का खर्च हों। 2200 करोड़ रूपये तो सरकार हर साल खर्च करती ही है।

“समाजवादी पुरोधा डॉ. राम मनोहर लोहिया अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहते हैं, ” आज राजगद्दी चलाने वाले हैं कौन? नकली आधुनिक विदेशी लोग- दिमाग जरा भी हिंदुस्तानी नहीं, नहीं तो हिंदुस्तान की नदियों की योजना बन जाती। मैं चाहता हूँ कि इस काम में, न केवल सोशलिस्ट पार्टी के बल्कि, और लोग भी आयें, सभायें करें, जुलूस निकालें, सम्मेलन करें और सरकार से कहें कि नदियों के पानी को भ्रष्ट करना बंद करो। फिर सरकार को नोटिस दें कि 3 से 6 महीने के भीतर वह नदियों का गंदा पानी खेतों में बहायें, इसके लिए खास खेत बनायें और अगर, वह यह न करें तो, मौजूदा नदियों को तोड़ना पड़ेगा। ” डॉ. लोहिया की नज़र में पानी ही तीर्थ है। उन्होंने कहा भी था कि पानी को साफ करने के लिए आंदोलन होना चाहिए। लोगों को सरकार से कहना चाहिए- बेशर्म बंद करो, यह अपवित्रता।

डॉ. लोहिया की इच्छा और कथन यह भी था कि नदियाँ साफ़ करो, आंदोलन में सामाजिक संगठन, राजनैतिक दल, सरकारों के साथ-साथ धार्मिक व्यक्तियों को भी आगे आना चाहिए। दशकों बाद अद्भुत और आश्चर्यजनक तरीके से या, यूँ समझिये कि ईश्वरीय अनुकंपा से ही नाथ सम्प्रदाय के गोरखनाथ मन्दिर/पीठ के पीठाधीश्वर महंत आदित्यनाथ योगी महाराज वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के दायित्व का भी निर्वहन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के काशी-बनारस संसदीय सीट से पहली बार 2014 में सांसद निर्वाचित हो कर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद प्रमुख रूप से जीवन दायनी गंगा की संपूर्ण सफाई के संकल्प को पूर्ण करने में जुटते हैं, नमामि गंगे योजना की शुरुआत करते हैं। गंगा की संपूर्ण सफाई का संकल्प उत्तर प्रदेश में 2017 में आदित्यनाथ योगी मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सफलता की तरफ बढ़ पाता है।

अब विशेष ध्यान देते हैं हालिया आयोजित गंगा यात्रा पर, 27 जनवरी को गंगा यात्रा का शुभारंभ बिजनौर से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने और बलिया से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया। उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार द्वारा गंगा यात्रा के माध्यम से गंगा किनारे 1358 किलोमीटर में बसे 27 जनपदों, 21 नगर निकायों, 1038 ग्राम पंचायतों में विकास से जुड़ी कई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत किया गया है। विंध्यवासिनी धाम में गंगा यात्रा स्वागत कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने देश मे नमामि गंगे परियोजना की सफलता हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद-आभार प्रकट करते हुए गंगा यात्रा के स्वागत के लिए उपस्थित सभी जनों का हृदय से अभिनंदन भी किया। आदित्यनाथ योगी ने अपने सम्बोधन में कहा कि “हम सबके धर्म से लेकर मोक्ष तक की यात्रा की साक्षी मां गंगा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए आप सब एकत्रित हुए, मैं सभी को साधुवाद देता हूँ। आप सबके बीच आकर मुझे मां विंध्यवासिनी के पवित्र धाम में दर्शन पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

एक तरफ मां गंगा का आशीर्वाद और दूसरी तरफ मां विंध्यवासिनी का पवित्र अंचल हमें समेट कर हमारे जीवन को पवित्र और धन्य करते हैं। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति हेतु मां गंगा को स्वर्ग से उतारकर धराधाम पर गंगासागर तक पहुंचाया था। आज आधुनिक भगीरथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की निर्मलता के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई है, इसलिए हम सबका दायित्व है कि इस अभियान से जुड़ें। मां विंध्यवासिनी का यह धाम आने वाले समय में आध्यात्मिक, सुंदर पर्यटन स्थल और बहुत बड़े धाम के रूप में विकसित किया जाएगा, इसके लिए जन-सहभागिता की आवश्यकता होगी, इस धाम की पवित्रता और नाम के अनुरूप स्तर बनाए रखने के लिए हम सब अपना योगदान दें। जनप्रतिनिधियों के सहयोग से इस क्षेत्र की हर समस्या का समाधान होता दिखाई दे रहा है। 1973 से लंबित बाण सागर परियोजना को हमने 2018 में एक साथ पूरी योजना के लिए पैसे देकर यहां के किसानों को समर्पित कर दिया। आस्था और अर्थव्यवस्था से जुड़ी इस गंगा यात्रा के प्रति इस विश्वास के साथ मैं आप सबको शुभकामनाएं देता हूँ कि हम सब मां गंगा और मां विंध्यवासिनी के अंचल में रहते हुए स्वयं को सौभाग्यशाली समझेंगे व इनके विकास के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे।”

फिर प्रयागराज में गंगा यात्रा पहुँचती है और वहाँ आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी कहते हैं कि “प्रयागराज की इस पावन धरती पर आस्था और अर्थव्यवस्था के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्पों को जमीन पर उतारने के लिए कृत-संकल्पित इस ‘गंगा यात्रा’ के प्रयागराज की धरती के आगमन पर मैं आप सभी का ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।” मुख्यमंत्री ने गंगा यात्रा मार्ग में जन-सहभागिता को इंगित करते हुए कहा कि गंगा यात्रा के मार्ग पर हज़ारों की संख्या में स्वतः स्फूर्त भाव के साथ भारत की आस्था का दर्शन अगर, आपको करना है तो, गंगा यात्रा के स्वागत में उमड़ रहे जन-सैलाब को देखिए। जिन्हें भारत की संस्कृति का ज्ञान नहीं, जिन्होंने देश की कीमत पर राजनीति की हो, जिन्होंने गरीबों को उनकी सुविधाओं से वंचित किया हो, जिन लोगों की भाषा भारत के दुश्मनों जैसी है, वे ‘गंगा यात्रा’ के महत्व को नहीं समझ पाएंगे। जिन्हें भारत की परंपरा और संस्कृति का ज्ञान नहीं, वे इस ‘गंगा यात्रा’ पर प्रश्न खड़ा करने का दुस्साहस कर सकते हैं। फिर समापन के दिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के साथ पूरे मंत्रिमंडल के सदस्यों ने अटल घाट, कानपुर पर माँ गंगा की पूजा-अर्चना एवं आरती की, यहाँ कानपुर में गंगा यात्रा समापन के अवसर पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नदी संस्कृति को बचाने के लिए ‘नमामि गंगे’ का संदेश दिया था। उनकी अपेक्षा थी कि गंगा के साथ हमारा समन्वय पुरुषार्थ, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को जोड़ते हुए किसानों, नौजवानों, गंगा भक्तों एवं जन-प्रतिनिधियों द्वारा एक अभियान चलाया जाए। यह 5 दिन की यात्रा उसी अभियान की एक कड़ी है।

जरा ध्यान दीजिए कि क्या डॉ. लोहिया का नदियाँ साफ करो का विस्तार या, यूँ समझिए कि साकार मूर्त रूप देने का सद्-प्रयास नरेंद्र मोदी की नदी संस्कृति बचाने के लिए नमामि गंगे का संदेश नही है? इसीलिए लिखना पड़ता है कि डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों, सिद्धांतों, नीतियों का अनुपालन वर्तमान सरकारें कर रही हैं। वे जनपद, जिनका जिक्र डॉ .लोहिया ने “नदियाँ साफ करो” में किया था, उन जनपदों से गंगा यात्रा होकर गुजरी और जब आदित्यनाथ योगी इस गंगा यात्रा को आस्था और अर्थव्यवस्था का अभिनव संगम बनाने के लिए सभी गंगा भक्तों का हार्दिक स्वागत करते हैं तो भी यह स्पष्ट दिखता है कि इस पुनीत कार्य में जन-सहभागिता को पूरा महत्व दे रहे हैं, जो उनके व्यक्तित्व की श्रेष्ठता की परिचायक है।

नमामि गंगे योजना का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी डॉ. राममनोहर लोहिया के “नदियाँ साफ़ करो” विचार, नीति, सिद्धांत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को सफल बनाते हैं। डॉ. लोहिया ही कहते थे कि जिनके दिमाग विदेशी सोच से ग्रस्त हैं, वो देश की नदियों की सफाई के लिए योजना नहीं बना सकते। आज हर्ष की बात है कि नदियाँ साफ़ करने की योजना नरेंद्र मोदी की सरकार में तो बनी ही, वो योजना सफल भी हुई।

डॉ. लोहिया के चिंतन-विचार के अनुरूप ही जीवनदायनी माँ गंगा की सफाई के साथ-साथ राष्ट्र प्रथम, जन चेतना जागरण, रोजगार सृजन, समग्र विकास, जनजीवन में कर्तव्य बोध के पथ पर आदित्यनाथ योगी की सरकार उत्तर प्रदेश में और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार अग्रसर है। सिर्फ डॉ. लोहिया ही नहीं बल्कि, देश की राजनीति में सशक्त हस्ताक्षर रहे विभिन्न धाराओं के नेताओं, विचारकों, चिंतकों की राष्ट्र हित की नीतियों-विचारों को ग्रहण करके अपनी सरकार की योजनाओं में शामिल करना, इन सरकारों की उपलब्धि शक्ति बन चुकी है। (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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