घपला: चेयरमैन और ईओ नियम विरुद्ध आउट सोर्सिंग कर्मचारी से कराते हैं ई-टेंडर और पेमेंट

घपला: चेयरमैन और ईओ नियम विरुद्ध आउट सोर्सिंग कर्मचारी से कराते हैं ई-टेंडर और पेमेंट

बदायूं जिले में कई नगर निकाय भ्रष्टाचार, मनमानी और लापरवाही का अड्डा बन गई हैं। जिले में डीएम आईएएस कुमार प्रशांत और अपर जिलाधिकारी (प्रशासन)  ऋतु पुनिया न सिर्फ तेजतर्रार हैं बल्कि, ईमानदार भी हैं, इसके बावजूद चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी जमकर न सिर्फ मनमानी और लापरवाही करते नजर आ रहे हैं बल्कि, खुलेआम सरकारी धन को अपनी जेबों में भरते नजर आ रहे हैं, जिससे संबंधित निकायों में हाहाकार मचा हुआ है।

बात फिलहाल नगर पंचायत उसहैत की हो रही है, यहाँ पूर्व चेयरमैन गौरव कुमार “गोल्डी” की पत्नी और भारतीय जनता जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष अशोक भारती की बेटी सैनरा वैश्य चेयरमैन हैं एवं विनय शंकर अवस्थी अधिशासी अधिकारी हैं। सैनरा वैश्य निर्दलीय चुनाव जीती थीं लेकिन, बाद में भाजपा में शामिल हो गईं। सैनरा वैश्य स्वयं को भाजपा का बड़ा नेत्री मानने लगी हैं, साथ ही पिता जिलाध्यक्ष हैं, सो नियम-कानून और शासन का डर न होना स्वाभाविक ही है। नगर पंचायत उसहैत के हालात बेहद भयावह बताये जाते हैं। हालात अफसरों के संज्ञान में हैं। शिकायतें भी होती रहती हैं पर, अधिकारी कार्रवाई करने से बचते रहते हैं।

उसहैत नगर पंचायत में बरती जा रही मनमानी, लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर युवा मंच संगठन के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर शिकायत की है। शिकायत मंडलायुक्त से की गई है, उन्होंने जाँच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि अधिशासी अधिकारी विनय शंकर अवस्थी नगर पंचायत कार्यालय कई-कई हफ्ते नहीं जाते हैं। विकास कार्यों की गुणवत्ता की हालत बेहद दयनीय है। सभासदों के साथ नियमानुसार बैठकें आयोजित नहीं की जाती हैं। नगर पंचायत की सीमा से बाहर निजी हितों के चलते कार्य कराये जाते हैं।

उसहैत नगर पंचायत में लिपिक नहीं है। नियमानुसार लिपिक के डिजिटल हस्ताक्षर के बिना ई-टेंडर और पेमेंट नहीं किया जा सकता लेकिन, यहाँ मनमानी का आलम यह है कि आउट सोर्सिंग से तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर से डिजिटल हस्ताक्षरों का दुरूपयोग कराया जा रहा है, जबकि तेजतर्रार अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ऋतु पुनिया मौखिक रूप से कई बार चेतावनी दे चुकी हैं, इसके बावजूद मनमानी पर अंकुश नहीं लग रहा है।

इसके अलावा उसहैत में करोड़ों रूपये की लागात से कान्हा पशु आसरा योजना के अंतर्गत गो-शाला बनाई गई है, जिसकी गुणवत्ता बेहद घटिया बताई जाती है, साथ ही गो-शाला में गायें नहीं रखी जा रही हैं। नगरवासियों ने विरोध जताया तो, कुछ गाय पकड़ कर श्मसान की भूमि पर जमा कर दीं, जिससे चेयरमैन और ईओ की और ज्यादा फजीहत हुई। अब लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि जब पिता कोतवाल हैं तो, डर काहे का, फिर भी देखते हैं कि मंडलायुक्त के निर्देश पर तेजतर्रार अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ऋतु पुनिया क्या कार्रवाई करती हैं।

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