लूट की वारदात का खुलासा करते समय नजर रखें एडीजी और डीजीपी साहब

लूट की वारदात का खुलासा करते समय नजर रखें एडीजी और डीजीपी साहब

बदायूं जिले की पुलिस फर्जीवाड़ा करने में मास्टर डिग्री लिए हुए है। जघन्य वारदातों को रोकने में असफल साबित हो चुकी पुलिस वारदातों का फर्जी खुलासा कर देती है, जिससे असली बदमाश मस्त रहते हैं और वे वारदात-दर-वारदात करते रहते हैं। लूट की अधिकांश वारदातों का खुलासा फर्जी ही किया जा रहा है, इसीलिए वारदातें रुक नहीं पा रही हैं। बड़ी वारदातों की निगरानी एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी स्वयं करते हैं, ऐसे में वारदातों का फर्जी खुलासा होना चौंकाने वाली बात ही कही जायेगी।

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पिछले दिनों पेट्रोल पंप के स्वामी महेश चंद्र माहेश्वरी पुत्र कन्हैया लाल माहेश्वरी से सहसवान में चार लाख रूपये लूटे गये थे। पुलिस ने वारदात का खुलासा कर दिया लेकिन, पूरे रूपये बरामद नहीं हुए, जिस बैग में रूपये थे, वह भी लापता है। पुलिस का कहना है कि शेष रूपये और बैग फरार चल रहे अभियुक्तों के पास है।

सोमवार को सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला पटियाली सराय में पंजाब पेट्रोल पंप के प्रबंधक से 13 लाख 50 हजार रूपये लूट लिए गये थे। एसएसपी और डीआईजी ने मौका मुआयना कर घटना का शीघ्र खुलासा करने का दावा किया था, एडीजी भी आये और उन्होंने अधीनस्थों को घटना का खुलासा करने के निर्देश दिए थे लेकिन, 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।

अब बात करते हैं सदर कोतवाल ओमकार सिंह की तो, यह फर्जीवाड़ा करने के मास्टर कहे जाते हैं। सहसवान के मोहल्ला पठान टोला निवासी नजर कुरैशी की इंडिगो कार वाहन निरीक्षण के दौरान मथुरिया चौराहे पर 18 जून को सीज कर दी गई थी, उसी दिन कुछ देर बाद सदर कोतवाली पुलिस ने छापा मार कर घंटा घर से प्रतिबंधित मांस बरामद किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस स्थान पर भी नजर कुरैशी की इंडिगो कार बरामद दर्शाई गई, उसमें 110 किग्रा मांस भी बरामद दर्शाया गया, साथ ही कार स्वयं नजर कुरैशी चलाता हुआ दर्शाया गया, यह चमत्कार कैसे हुआ, इस बारे में आज तक किसी को कुछ नहीं पता। प्रकरण अफसरों के संज्ञान में भी है लेकिन, कोतवाल ओमकार सिंह और अन्य के विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ऐसे कोतवाल ओमकार सिंह से लूट की वारदात का सही खुलासा करने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। लूट की वारदात का खुलासा तभी सही माना जायेगा जब लूट की पूरी रकम सही थैले के साथ बरामद हो। एडीजी और डीजीपी स्तर से यह ध्यान रखा जाये कि सहसवान पुलिस की तरह कुछ रकम दिखा कर लूट की वारदात का फर्जी खुलासा न कर दिया जाये, ऐसा हुआ तो, एक बार फिर असली बदमाश बच जायेंगे, जो जघन्य वारदातों को अंजाम देते रहेंगे।

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