एडीजी का आदेश नहीं मानती पुलिस, आरोपी कोतवाल ही है सुप्रीमो

एडीजी का आदेश नहीं मानती पुलिस, आरोपी कोतवाल ही है सुप्रीमो

बदायूं जिले में अराजकता का माहौल है। आपराधिक वारदातों का खुलासा नहीं हो पा रहा है। रंगदारी और अपहरण जैसी जघन्य वारदातें घटित होने लगी हैं। मुकदमा खत्म करने के अभियान में जमकर लूट की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के हालात दयनीय हैं ही लेकिन, शहरी क्षेत्र में भी खुलेआम मनमानी की जा रही है। दलित महिला के यौन उत्पीड़न के प्रकरण में कोतवाल ओमकार सिंह ने बीस हजार रूपये लेकर मुकदमा दर्ज किया और आठ लाख रूपये लेकर कुछ ही घंटों में मुकदमा खत्म कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि अपर पुलिस महानिदेशक ने एसएसपी को कार्रवाई करने का आदेश दिया था लेकिन, उनका आदेश भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है।

सदर कोतवाली में दलित महिला द्वारा 2 सितंबर को मुकदमा अपराध संख्या- 465/18 धारा- 376 आईपीसी एवं 3 (5) एससी एक्ट के अंतर्गत दर्ज कराया गया था, इस मुकदमे को कुछ ही घंटों में खत्म कर दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि मुकदमा दर्ज करने के कोतवाल ओमकार सिंह ने उसके पति से बीस हजार रूपये लिए थे एवं आरोपियों से आठ लाख रूपये लेकर मुकदमा खत्म कर दिया।

सदर कोतवाल और जिले के अफसरों ने पीड़िता से बात तक करना बंद कर दी तो, पीड़िता बरेली में अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश से मिली। एडीजी ने एसएसपी को आदेश दिया कि प्रकरण को स्वयं देखें एवं पीड़िता के धारा- 164 के अंतर्गत न्यायालय में बयान दर्ज करायें, साथ ही एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर अवगत कराया जाये। एडीजी ने 27 सितंबर को एसएसपी को आदेश दिया था, जिसके बाद से पीड़िता हर दिन पुलिस मुख्यालय आती है, कभी उसकी मुलाकात हो जाती है और कभी नहीं होती लेकिन, उसकी बात अब भी कोई सुनने को तैयार नहीं है।

एडीजी के आदेश के बावजूद पीड़िता के न्यायालय में आज तक बयान दर्ज नहीं कराए गये हैं। कुछ ही घंटों में गंभीर प्रकरण को फर्जी करार देने वाले कोतवाल ओमकार सिंह के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि एडीजी का आदेश मिलते ही आरोपी कोतवाल ओमकार सिंह को निलंबित कर देना चाहिए था। उक्त प्रकरण में पुलिस की भूमिका शुरू से ही चौंकाने वाली रही है और अब एडीजी का आदेश भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है।

बता दें कि थाना उघैती पुलिस ने फर्जी तरीके से एससी एक्ट लगा कर हाल ही में एक युवक को जेल भेजा है और उक्त प्रकरण में पुलिस पीड़िता को ही झूठा बता रही है। सवाल यह है कि पुलिस को पहले से ही सच पता था तो, मुकदमा दर्ज ही क्यों किया। थाना इस्लामनगर पुलिस डकैती की वारदातों का खुलासा नहीं कर पा रही है। शहर में रंगदारी के साथ अपहरण की वारदात भी चर्चा का विषय बनी हुई है। कानून व्यवस्था दुरुस्त करने की जगह पुलिस सिर्फ रिश्वतखोरी में जुटी हुई है। अब प्रकरण तेजतर्रार एडीजी के संज्ञान में पहुंच गया है तो, उम्मीद की जा रही है कि भ्रष्ट कोतवाल ओमकार सिंह के विरुद्ध शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई हो सकती है। यह भी बता दें कि आरोपी कोतवाल ओमकार सिंह ने वजीरगंज एसओ के रूप में बरेली जिले के थाना अलीगंज क्षेत्र में गुंडई की थी, उस समय आईजी के निर्देश पर ओमकार सिंह के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी, इसके बावजूद ओमकार सिंह को सदर कोतवाली का प्रभारी बना दिया गया।

(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)

Leave a Reply