महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने को सीडीओ ने दिए अधीनस्थों को निर्देश

बदायूं में बैंकों के शाखा प्रबंधकों की एक दिवसीय कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में विकास भवन स्थित सभागार में अयोजित की गयी। बैठक में अग्रणी जिला प्रबंधक पंजाब नैशनल बैंक, क्षेत्रीय प्रबंधक सर्व यूपी ग्रामीण बैंक, सचिव जिला सहकारी बैंक, जिला समन्वयक बीओबी/एसबीआई, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, परियोजना निदेशक, जिला स्तरीय अधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, समस्त सहायक विकास अधिकारी (आईएसबी), जिला मिशन प्रबंधक, ब्लॉक मिशन प्रबंधक एवं समस्त पीआरपी, एनआरएलएम द्वारा उक्त कार्यशाला मेें प्रतिभाग किया गया।

बैठक में उपायुक्त (स्वतः रोजगार) बृजमोहन अम्बेड द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्वंय सहायता समूह, ग्राम संगठन एवं सीएलएफ के सम्बन्ध में सभी बैंकर्स को अवगत कराया गया कि समूहों के माध्यम से निर्धन ग्रामीण महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में लाते हुये उनका चहुंमुखी विकास करना हैं, उन्हें आजीविका से जोड़कर आर्थिक रूप से स्वाबलम्बी बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना हैं लेकिन, इस प्रकिया में बैंको का अपेक्षित सहयोग ना मिल पाने के कारण आशानुरूप प्रगति नहीं हो पा रही हैं।

मुख्य विकास अधिकारी निशा अनंत ने समीक्षा बैठक में सबसे अधिक सीसीएल पत्रावलियां पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक एवं बैक आॅफ बड़ौदा की शाखाओं पर लम्बित पायी गयीं, जिस पर उनके द्वारा रोष व्यक्त करते हुये समस्त शाखा प्रबंधकों को कठोर निर्देश दिये गये कि दिनांक 23 फरवरी 2019 तक समस्त लम्बित पत्रावलियों का निस्तारण करते हुये प्रत्येक दिन की प्रगति से अवगत कराना सुनिश्चित करें। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा दिनांक 26 फरवरी 2019 को प्रातः 11: 00 बजे से पुनः इन्हीं बिन्दुओं पर विकास भवन सभागार में समीक्षा बैठक का आयोजन करने के निर्देश दिये गये हैं। बैठक में समस्त बैंक मेनेजर को यह भी निर्देश दिये गये कि तकनीकी कमियों का भी तत्काल निराकरण करायें ताकि, समूह की महिलाओं को अनावश्यक परेशानी न उठाना पड़े। अग्रणी जिला प्रबंधक पंजाब नैशनल बैंक द्वारा सभी लम्बित पत्रावलियों के निस्तारण कराने का आश्वासन भी दिया गया।

कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य गरीब ग्रामीण महिलाओं को समूह से जोड़कर उनके कौशल के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उनके रहन-सहन के स्तर को आर्थिक रूप से समृ़द्ध करना हैं ताकि, गाँव में रहने वाली महिलायें, जो आर्थिक रूप से पिछड़ीं हुयी हैं, उन्हें आजीविका से जोड़ते हुये समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जा सके। गरीबों का आर्थिक स्तर सुधारने के प्रयास मात्र कागज पर नहीं होना चाहिये। यह तभी सम्भव हैं जब, समस्याओं का समाधान करते हुये सही निर्णय लेकर अपने क्षेत्र में अतिरिक्त प्रयास किया जाये। सरकारी सेवा के माध्यम से हम सभी को यह अवसर मिला हैं कि हम सब मिलकर अपने कार्यों से किसी के जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं, जिससे देश में एक बड़ा बदलाव आयेगा। सम्भावनायें बहुत हैं, बस हम सभी को अपनी सोच, कार्यशैली, उद्देश्य और भावना में परिवर्तन करना हैं।

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