टेंडर डिलीट करने वाले ईओ का फंसना तय, हारुन को बचा रहा है मगरमच्छ

टेंडर डिलीट करने वाले ईओ का फंसना तय, हारुन को बचा रहा है मगरमच्छ

बदायूं जिले में सरकारी धन की लूट जमकर की जा रही है। खुलासा होने पर कुछेक घपलों में त्वरित कड़ी कार्रवाई कर दी जाती है, वहीं कुछेक घपलों को दबा दिया जाता है। साइट हैक होने की अफवाह फैलाने वाले ईओ पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है लेकिन, एनआईसी के मगरमच्छ ने संविदा कर्मी हारून को बचाने की दिशा में जाल फैला दिया है।

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पहले बात उझानी नगर पालिका परिषद की करते हैं, यहाँ चहेते ठेकेदार को टेंडर देने के लिए अधिशासी अधिकारी धीरेन्द्र कुमार राय ने खुले टेंडर को साइट से डिलीट कर दिया एवं उसी टेंडर को व्यक्तिगत टेंडर बना दिया, साथ ही मीडिया के माध्यम से यह अफवाह फैला दी कि साइट हैक कर ली गई थी लेकिन, साइट हैक होने के संबंध में एफआईआर नहीं कराई गई। प्रकरण उच्चाधिकारियों के साथ भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष व दर्जा राज्यमंत्री वीएल वर्मा एवं नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता के संज्ञान में पहुंच गया, जिससे उझानी नगर पालिका परिषद का स्टाफ दहशत में बताया जा रहा है, वहीं जिलाधिकारी कुमार प्रशांत द्वारा जाँच के बाद दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कराने की बात कही जा रही है।

उधर नेशनल इन्फोर्मेशन सेंटर (एनआईसी) में हारून नाम का एक संविदा कर्मी है, जिसने डिजिटल सिग्नेचर बना कर 45 लाख रुपया हजम कर लिया है। ग्राम पंचायतों, नगर निकायों और विकास खंड कार्यालयों में फर्जी बिल दिए गये हैं। हर बिल में भिन्न-भिन्न रेट हैं। डिजिटल सिग्नेचर बनाने के 1750 रूपये से लेकर 4000 रूपये तक वसूले गये हैं।

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बता दें कि गवर्मेंट ई-मार्केट पोर्टल को जैम पोर्टल के नाम से जाना जाता है, इस पोर्टल को संविदा कर्मी हारुन ही संभालता है। रजिस्ट्रेशन करने और उसको एप्रूव करने के भी रूपये वसूले जाते हैं, इस संबंध में गौतम संदेश ने खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद हारुन सतर्क हो गया, जिसके बाद एनआईसी से संदिग्ध चीजें हटा दीं। कंप्यूटर से व्यक्तिगत डाटा भी डिलीट कर दिया गया है लेकिन, जाँच हो तो, स्पेशलिस्ट सब कुछ पकड़ लेंगे पर, जाँच में एनआईसी का मगरमच्छ भी फंस जायेगा, जिससे वह हारुन को निर्दोष साबित करने में जुट गया है और पूरा गोलमाल ई-डिस्ट्रिक मैनेजर धर्मेन्द्र यादव के सिर मढ़ने का प्रयास कर रहा है, जबकि डिजिटल सिग्नेचर और जैम पोर्टल में हो रहे भ्रष्टाचार का प्रकरण ई-डिस्ट्रिक मैनेजर धर्मेन्द्र यादव के बाद का है।

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