करोड़ों के भूमि घोटाले का जिन्न फिर बाहर आया, फंस सकते हैं कई कर्मचारी

करोड़ों के भूमि घोटाले का जिन्न फिर बाहर आया, फंस सकते हैं कई कर्मचारी

बदायूं जिले का कस्बा सहसवान भू-माफिया की पसंदीदा जगह है, यहाँ करोड़ों रूपये की जमीनों की हेरा-फेरी हो चुकी है। खुलासे होते हैं, शिकायतें होती हैं पर, मिलीभगत के चलते प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। ताजा प्रकरण को युवा मंच संगठन ने उठाया है। संगठन ने ज्ञापन देकर त्वरित कड़ी कार्रवाई की मांग की है। युवा मंच संगठन द्वारा दिए गये ज्ञापन में कहा गया है कि सहसवान तहसील क्षेत्र के शहवाजपुर की भूमि गाटा संख्या- 118, 119, 120,122,142,143 व जाहिदपुर आलमपुर की भूमि गाटा संख्या- 230 को राज्य सरकार की संपत्ति में निहित किया जाये।

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युवा मंच संगठन के अध्यक्ष ध्रुव देव गुप्ता के नेतृत्व में दिए गये ज्ञापन में कहा गया है कि सहसवान तहसील क्षेत्र में एक बड़ा भूमि घोटाला हुआ है, यहां के शहवाजपुर स्थित भूमि गाटा संख्या- 78 रकबा 6 बिस्वा व गाटा संख्या- 118 रकबा 1 बीघा 1 बिस्वा के मूल खातेदार अयूब अहमद खां व अमीर अहमद खां पुत्रगण अली अहमद खां निवासी मोहल्ला शहवाजपुर थे, गाटा संख्या- 122 रकबा 9 बिस्वा व गाटा संख्या- 142 रकबा 1 बीघा के मूल खातेदार अयूब अहमद खां व अमीर अहमद खां पुत्रगण अली अहमद खां व शमसुल निशा बेवा अली अहमद खां व खुदैजा बेगम, रजिया बेगम, जकिया बेगम पुत्रियां अली अहमद खां निवासी मोहल्ला शहवाजपुर थे, भूमि गाटा संख्या- 119 रकबा 1 बिस्वा 14 बिस्वांसी व गाटा संख्या- 120 रकबा 1 बिस्वा व गाटा संख्या- 143 रकबा 5 बिस्वा व गाटा संख्या- 143 रकबा 5 बिस्वा की तन्हा भूमिधर शमसुल निशा पत्नी अली अहमद खां निवासी मोहल्ला शहवाजपुर थीं।

ग्राम जाहिदपुर आलमपुर के चकबंदी पूर्व गाटा संख्या- 171/1 रकबा 10 बिस्वा एवं गाटा संख्या- 180 रकबा 13 बिस्वा की मूल खातेदार शमसुल निशा बेबा अली अहमद खां निवासी मोहल्ला शहवाजपुर थीं। भूमि गाटा संख्या- 86 रकबा 10 बिस्वा स्थित ग्राम शहवाजपुर की खतौनी वर्ष- 1373 फसली के खाता संख्या- 4 पर गाटा संख्या- 78 व गाटा संख्या- 118 पर अयूब अहमद खां व अमीर अहमद खां पुत्र अली अहमद खां के नाम अंकित हैं।

भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 1955-56 में अयूब अहमद खां, अमीर अहमद खां पुत्रगण अली अहमद खां व शमसुल निशा बेवा अली अहमद खां व खुदैजा बेगम, रजिया बेगम, जकिया बेगम पुत्रियां अली अहमद खां निवासी मोहल्ला शहवाजपुर पाकिस्तान चली गईं, जिसका जिन्सबार भरते समय तत्कालीन लेखपाल द्वारा उक्त आशय की प्रविष्टी की गई, जिसके आधार पर ग्राम जाहिदपुर आलमपुर के खसरा नंबर- 180 खाता संख्या- 21 पर जिलाधिकारी द्वारा मु. नंबर- 7 के माध्यम से दिनांक 30-05-1961 को शमसुल निशा आदि की समस्त भूमि उपरोक्त राज्य सरकार में निहित कर दी गई, जिसका इंद्राज फसली वर्ष- 1366-1367 की खतौनी पर दर्ज है।
ग्राम जाहिदपुर आलमपुर के गाटा संख्या- 180 रकबा 13 बिस्वा, जिसके नये नंबर- 246 व 246 में हबीबुर्ररहमान खां पुत्र यूसुफ अली खां का नाम दर्ज हैं, जबकि पूर्व चकबंदी गाटा संख्या- 180 रकबा 13 बिस्वा पर आदेश दिनांक 30-05-1961 में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि संपत्ति राज्य सरकार की है।

वर्तमान खसरा नंबर- 78, 86, 118, 122, 142,120, 143,145 स्थित ग्राम शहवाजपुर के मूल खातेदारों के पाकिस्तान चले जाने के बाद तत्कालीन चेयरमैन हबीबुर्ररहमान पुत्र यूसुफ अली खां द्वारा अपने पद एवं प्रभाव का गलत इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन पटवारी से साज करके उपरोक्त भूमियों के मूल मालिकों के स्थान पर अपना नाम बतौर सीरदार दर्ज करा लिया, जिसकी जानकारी प्रशासन को होने पर एसडीओ द्वारा दिनांक 22-10-1964 को हबीबुर्ररहमान का फर्जी इंद्राज खारिज करके संपत्ति मूल खातेदारों के नाम पर अंकित कर दी गई। इसके बाद हबीबुर्ररहमान खां द्वारा अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए फसली वर्ष- 1372 की खतौनी में भूमि गाटा संख्या- 143, 145, 120, 122, 123, 142, 212, 118 पर बिना किसी आदेश के एक फर्जी इंद्राज करा लिया, जिसमें शमसुल निशा पत्नी अली अहमद खां का नाम खारिज करके अपनी मौसी हबीबबानो पत्नी अहमद अली खां का नाम दर्ज करा लिया।

अयूब अहमद खां आदि एवं शमसुल आदि के पाकिस्तान चले जाने एवं उनकी काश्त भूमि पर किए जा रहे फर्जीबाड़े व कब्जे को संज्ञान में लेकर खाता संख्या- 4 पर अंकित खातेदारों एवं अयूब अहमद खां आदि से संबंधित सभी खातों व गाटा संख्याओं को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया, जिसका मूल अमल दरामद खाता संख्या- 4 गाटा संख्या- 86 पर तथा शेष खातों पर सांकेतिक आदेश दर्ज किया गया, जो आधार वर्ष खतौनी 1373 फ0 के खातों पर खाता संख्या- 4 पर आदेश दिनांक 01-09-1966 के रूप में दर्ज है।

आधार वर्ष खतौनी 1373 फ0 के खाता संख्या- 4 पर अयूब अहमद खां आदि तथा खसरा- 84 पर शत्रु संपत्ति दर्ज है, जबकि मूल आदेश फाड़ दिया गया है। वर्तमान खतौनी में खसरा संख्या- 78 व 86 शत्रु संपत्ति दर्ज है, जिससे स्पष्ट होता है कि भूमि गाटा संख्या- 118, 119, 120, 143, 142, मि0 122 मि0 पर अंकित हबीबबानो पत्नी अहमद अली खां का नाम फर्जी आदेश दर्ज कर तथा पाकिस्तान चले गए भूमिधरों की जमीन पर दर्ज किया गया है, जबकि उपरोक्त भूमि पूर्व में ही आदेश दिनांक 30-05-1961 के आधार पर संपत्ति राज्य सरकार दर्ज की जा चुकी थी। तत्कालीन चेयरमैन हबीबुर्ररहमवान खां द्वारा राज्य सरकार की संपत्ति में फर्जीवाड़ा करके अपने परिवार का नाम दर्ज करा लिया गया था, जो विधि विरुद्ध कृत्य था।

उक्त तथ्यों एवं फर्जीवाड़े की जानकारी समय समय पर लेखपाल, कानूनगो को रही, इसी कारणवश हबीबबानो पत्नी अहमद अली की मौत के 50 साल बाद भी उनकी विरासत उपरोक्त गाटा संख्याओं पर नहीं की गई। वर्ष- 2019 में करोड़ों रुपये की भूमि पर स्थानीय भू-माफियाओं की नजर पड़ी तो, उन्होंने तत्कालीन तहसील कर्मचारियों एवं सफेदपोश नेताओं से मिलकर हबीबबानो के फर्जी वारिस तलाश करके कनाडा निवासी नवेद अली खान पुत्र मोहम्मद खालिद उमर खान निवासी 96 बी पॉकेट सी सिधारथा एक्सटेंशन आश्रम दक्षिणी दिल्ली हाल निवासी मरीन ड्राइव नार्थ ब्रिटिश कोलंबिया बी 7 पी 3 जी 1 कनाडा का नाम तत्कालीन रा0 नि0 द्वारा दिनांक 20-09-19 को बतौर वारिस दर्ज करवाकर तदोपरांत नवेद अली खान द्वारा दिनांक 22-09-2019 को उक्त भूमि का आदेश पारित कराने के तुरंत बाद बैनामा कर दिया गया, जो स्वयं में एक सवाल है तथा उक्त भूमियों पर बैनामा के आधार पर नामांतरण आदेश भी पारित करा लिया गया, जबकि उक्त समस्त भूमियां राज्य सरकार की शत्रु संपत्ति हैं। इस प्रकार तहसील कर्मचारीगण ने जानबूझ कर शत्रु संपत्ति पर विरासत का आदेश दर्ज कर के शत्रु संपत्ति अधिनियम की धारा- 2, 3 , 3 बी व 6 (1) का खुला उल्लंघन किया है, जो कि दंडनीय कृत्य है। सरकार की संपत्ति का फर्जीवाड़ा करके नवेद खां को क्रेताओं द्वारा दी गई धनराशि का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में तो नहीं किया गया, यह भी जांच का विषय है। यहां यह भी जानना जरूरी है कि इस फर्जीवाड़े में तहसील सहसवान में पूर्व में तैनात कर्मचारी संलिप्त हैं, जिसमें एक कर्मचारी इस समय सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में तथा एक एडीएम प्रशासन के यहां तैनात है, वहीं कुछ कर्मचारी सहसवान तहसील में ही काम कर रहे हैं।

उक्त भूमि को अब बिल्सी के एक प्रॉपर्टी डीलर को एग्रीमेंट के आधार पर बेच दिया गया है, जिसकी कुछ रकम अभी देना बकाया है, यह भी पुष्ट है कि यह सौदा जल्द ही होने वाला है, जिस पर रोक लगाया जाना आवश्यक है। ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले वर्ष तत्कालीन डीएम कुमार प्रशांत ने इस मामले के फर्जीवाड़े में कुछ कार्रवाई भी की थी लेकिन, उनके स्थानांतरण के बाद मामला जहां का तहां रुक गया। इस मामले में सहसवान तहसील के तत्कालीन एसडीएम समेत लेखपाल, कानूनगो आदि की संलिप्तता है, जिसकी जांच कराई जानी आवश्यक है, ऐसा प्रतीत होता है कि अनावश्यक रूप आर्थिक सांठ-गांठ के दम पर उक्त जालसाजी में अधिकारियों कर्मचारियों के बीच समझौता होता आया है।

युवा मंच संगठन के अध्यक्ष ध्रुव देव गुप्ता ने डीएम के नाम सिटी मजिस्ट्रेट को दिए ज्ञापन में फर्जीवाड़े की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई कराने की मांग की, इस दौरान संगठन के संरक्षक सुशील कुमार मौर्य, संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जोशी, लोकसभा क्षेत्र बदायूं के प्रभारी आशीष शर्मा, राजा दिवाकर, मयंक कश्यप, राज वर्मा, रमन पटेल, नितिन दिवाकर, कैलाश पटेल और दीपक सक्सेना उपस्थित रहे।

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