शाजेब और गुलशन की सहमति के बिना न्यायालय में घुस कैसे गया संतोष?

शाजेब और गुलशन की सहमति के बिना न्यायालय में घुस कैसे गया संतोष?

बदायूं स्थित किशोर न्याय बोर्ड में हुए घपले में अनधिकृत कर्मचारी संतोष उर्फ छोटू के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो गया है लेकिन, इतना बड़ा घपला छोटी मछली नहीं कर सकती। प्रकरण की जाँच थाना पुलिस की जगह बड़ी एजेंसी द्वारा की गई तो, मगरमच्छों के नाम न सिर्फ उजागर हो जायेंगे बल्कि, असली अपराधी सलाखों के पीछे भी नजर आयेंगे।

उल्लेखनीय है कि जनपद न्यायालय के प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार सिंह द्वारा थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिसमें आरोप है कि बिसौली क्षेत्र के वाद सरकार बनाम धर्मेन्द्र, रवेन्द्र में पांच लाख रूपये रिश्वत लेकर फर्जी आदेश पारित कर दिया गया, इसी तरह अलापुर थाना क्षेत्र के वाद सरकार बनाम झब्बू, इस्लामनगर थाना क्षेत्र के वाद सरकार बनाम रिहान और सिविल लाइन थाना क्षेत्र के वाद सरकार बनाम मन्नू सागर में भी घपले किये गये हैं। घपले करने का मुख्य आरोपी अनधिकृत कर्मचारी संतोष उर्फ छोटू को बनाया गया है, जबकि यह संभव नहीं है, क्योंकि सबसे पहला सवाल तो यही है कि संतोष उर्फ छोटू किशोर न्याय बोर्ड के कार्यालय में घुसा कैसे?

किशोर न्याय बोर्ड के एसीजेम (द्वितीय) अध्यक्ष हैं, दो सदस्य होते हैं। बोर्ड के कार्यालय की देख-रेख का दायित्व जिला प्रोबेशन अधिकारी का होता है। कार्यालय में स्टैनो के रूप में शाजेब हसन, पेशगार के रूप में गुलशन जमाल और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में गंगादीन तैनात है, इन सबके साथ संतोष उर्फ छोटू अनधिकृत रूप से कार्य कर रहा था। स्पष्ट है कि शाजेब हसन और गुलशन जमाल की सहमति के बिना संतोष उर्फ छोटू कार्यालय में घुस भी नहीं सकता। वर्तमान में जिला प्रोबेशन अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार डीआरडीए के पीडी पर है पर, पूर्व में तैनात रहे जिला प्रोबेशन अधिकारी की भी संलिप्तता हो सकती है।

पूर्व में बोर्ड के अध्यक्ष रहे न्यायाधीश कुंदन किशोर के फर्जी हस्ताक्षरों से फर्जी आदेश पारित कर दिया गया, जो बेहद गंभीर अपराध है। न्यायिक प्रणाली में हुए गंभीर अपराध को गंभीरता से ही लेना चाहिए। संतोष उर्फ छोटू का एक फोटो सामने आया है, जिसमें वह लगभग एक लाख रूपये कीमत की सोने की चेन पहने नजर आ रहा है, जो सिद्ध करने को काफी है कि वह बोर्ड के कार्यालय में रहते हुए अनैतिक तरीके से मोटी रकम पैदा कर रहा था लेकिन, वह अवैध कमाई में कुछ प्रतिशत का साझीदार भर रहा होगा। अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा कोई और रख रहा होगा, उसकी पहचान तभी उजागर हो सकती है जब, प्रकरण की जाँच बड़ी एजेंसी द्वारा की जाये।

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