ताकत का दुरूपयोग कर प्रशासन ने रौंद दी फसल, छीन ली जमीन

ताकत का दुरूपयोग कर प्रशासन ने रौंद दी फसल, छीन ली जमीन

बदायूं जिले में पीड़ित किसानों की कोई बात तक सुनने को तैयार नजर नहीं आ रहा। प्रशासन ने पुलिस की ताकत से किसानों को घरों में कैद कर लगभग डेढ़ करोड़ रूपये की फसल नियम के विरुद्ध रौंद दी। तमाम छोटे किसान बर्बाद हो चुके हैं। जो जमीन के छोटे से टुकड़े के सहारे भैंस पाल कर परिवार का भरण-पोषण करते थे, वे पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। शोक के चलते तमाम घरों में मातमी सन्नाटा है लेकिन, कोई किसानों का दर्द तक बांटने नहीं गया।

गौतम संदेश ने बुधवार को किसानों का पक्ष जानने का प्रयास किया। पीड़ित किसानों का कहना है कि लगभग 52% किसानों ने मजबूरी में मुआवजा ले लिया है। चूंकि मुआवजा लेने वालों का प्रतिशत ज्यादा है, सो प्रशासन मनमानी पर उतर आया है, जबकि लगभग 17 किसानों का मुकदमा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, जिसमें गुरूवार को सुनवाई होना तय है।

किसानों का कहना है कि उनके यहाँ जमीन की कीमत 35 से 40 लाख रुपया प्रति बीघा है लेकिन, प्रशासन डेढ़ लाख रूपये बीघे के दाम दे रहा है, वे पहले तो जमीन ही नहीं देना चाहते और जमीन देना जरूरी है भी तो, उन्हें बाजार भाव के अनुसार दाम दिए जायें। पीड़ित किसान ने बताया कि वे अपना पक्ष जिलाधिकारियों और अन्य बड़े अफसरों के सामने रखते थे तो, अफसर उनकी बात सुनते थे और न्याय करने का प्रयास करते थे पर, अब उनकी बात तक सुनने को कोई तैयार नहीं है। पीड़ित किसानों ने कहा प्रशासन ने मदद नहीं की और प्रशासन की मनमानी पर नेता भी सुनने को तैयार नहीं हैं, उन्हें अब सिर्फ न्यायालय का ही सहारा है।

यह भी बता दें कि प्रशासन ने मंगलवार को शक्ति का दुरूपयोग करते हुए जमीन पर खड़ी फसल को रौंद दिया था और इससे पहले कोई नोटिस भी नहीं दिया। नियमानुसार फसल को नहीं रौंद सकते। प्रशासन बुआई के समय किसानों को बीज बोने से रोकता अथवा, अब फसल कटने का इंतजार करता। प्रशासन ने किसानों के साथ शक्ति का दुरूपयोग किया है।

किसान के लिए जमीन क्या होती है, यह अफसर महसूस भी नहीं कर सकते। जमीन किसान के लिए माँ ही होती है, जो उसका पालन करती है, वह गर्व की अनुभूति कराती है, उसे देख कर किसान को लगता है कि कुछ भी हो गया हो पर, अभी उसके पास उसकी माँ है। जमीन के टुकड़े के सहारे किसान हर दर्द सह लेता है, हर गम भूल जाता है लेकिन, प्रशासन ने किसानों की भावनाओं का ख्याल तक नहीं किया। तमाम किसान बर्बाद हो चुके हैं, उनके घरों में चूल्हा नहीं जला है, चारों ओर मातमी सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है।

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