शहर में बिना लाइसेंस के चल रहे हैं 14 निजी अस्पताल, ओटी है पर, डॉक्टर किसी के पास नहीं

शहर में बिना लाइसेंस के चल रहे हैं 14 निजी अस्पताल, ओटी है पर, डॉक्टर किसी के पास नहीं

बदायूं के स्वास्थ्य विभाग के हालात बेहद खराब बताये जा रहे हैं। सब कुछ भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गया है, जिससे निजी अस्पतालों द्वारा पीड़ित आम आदमी दिनदहाड़े लूटा जा रहा है। हालात इतने खराब हो चले हैं कि एक दर्जन से अधिक निजी अस्पताल बिना डॉक्टर और बिना लाइसेंस के खुलेआम चल रहे हैं लेकिन, भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते लुटेरे संचालकों को कोई टोकने वाला तक नहीं है।

बताते हैं कि शहर में नबादा चौराहे पर, सिविल लाइंस क्षेत्र में, अलापुर मार्ग पर, दातागंज मार्ग पर, ककराला मार्ग पर निजी अस्पतालों के नाम पर लूट के अड्डे खुलेआम चल रहे हैं। एक दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों के पास लाइसेंस नहीं है, इन लूट के अड्डों पर ऑपरेशन थियेटर हैं पर, किसी भी अस्पताल में एमबीबीएस और एमएस नहीं है, ट्रेंड स्टाफ तक नहीं है। निजी अस्पतालों में ट्रीटमेंट प्लांट अनिवार्य रूप से होना चाहिए पर, एक भी निजी अस्पताल में नहीं है, फिर भी कोई रोकने और टोकने वाला नहीं है।

बताते हैं कि निजी अस्पतालों के संचालकों को 31 मार्च तक समस्त औपचारिकतायें पूर्ण कर स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस लेना होता है लेकिन, पुनः मार्च माह आने वाला है पर, एक दर्जन से अधिक अस्पताल शहर में बिना लाइसेंस के दिनदहाड़े चल रहे हैं, इन कथित अस्पतालों में आये दिन जच्चा-बच्चा की जान जाती रहती है, हंगामा होता है, शिकायतें होती हैं पर, विभाग के साथ सेटिंग के चलते पुलिस भी कुछ नहीं करती। फर्जी तौर पर चल रहे निजी अस्पताल न सिर्फ राजस्व की हानि कर रहे हैं बल्कि, आम जनता की जान से भी खेल रहे हैं, इसी तरह जिले के तमाम कस्बों में भी फर्जी निजी अस्पताल चल रहे हैं। शहर के फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है, ऐसे में कस्बों में खुले फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई न होना स्वाभाविक ही है। मुख्यालय के बाद सहसवान ऐसी जगह है, जहाँ सर्वाधिक फर्जी निजी अस्पताल चल रहे हैं पर, वहां भी कोई देखने वाला नहीं है।

इसके अलावा एक वीके मिश्रा नाम का चीफ फार्मासिस्ट है, यह सीएमएसडी का इंचार्ज था, इस दौरान वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया गया तो, सीएमओ डॉ. यशपाल सिंह ने इसके विरुद्ध शासन को पत्र लिख दिया, जिस पर इसका जिला इटावा के लिए तबादला हो गया, इसकी कार्यप्रणाली की जाँच की जा रही थी। बड़ा घोटाला प्रकाश में आ रहा था, जिससे माना जा रहा था कि वीके मिश्रा के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी लेकिन, राजनैतिक दबाव में पूरे मामले को ठंडे बसते में डाल दिया गया है, जिससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद बताये जा रहे हैं।

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