स्वामी प्रसाद मौर्य और वीएल वर्मा से फजीहत का बदला चाहते हैं भाजपा कार्यकर्ता

स्वामी प्रसाद मौर्य और वीएल वर्मा से फजीहत का बदला चाहते हैं भाजपा कार्यकर्ता

बदायूं जिला समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। ब्लॉक प्रमुख, विधायक, एमएलसी, सांसद, विभिन्न समितियों के चेयरमैन और जिला पंचायत अध्यक्ष का पद समाजवादी पार्टी के ही कब्जे में रहता आया है। अब चारों दिशाओं में भगवा लहरा रहा है। भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी से अधिकांश पद छीन चुकी है लेकिन, जिला पंचायत में आज भी समाजवादी पार्टी का परचम लहरा रहा है, यहाँ कब्जा करने के प्रयास में भाजपा की जमकर फजीहत भी हो चुकी है।

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भाजपा की केंद्र के बाद प्रदेश में भी प्रचंड बहुमत की सरकार बन गई, जिससे उत्साहित भाजपाई सपा के प्रभाव वाले हर क्षेत्र में विजय पताका फहराने का सपना देखने लगे, इसी आशा के साथ भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया। 24 अगस्त 2017 को धर्मेन्द्र यादव स्वयं आ गये और भाजपा के सपनों पर पूरी तरह पानी फेर गये। सरकार होने के बावजूद भाजपाईयों का कद धर्मेन्द्र यादव के सामने छोटा पड़ जाता था पर, अब धर्मेन्द्र यादव भी चुनाव हार चुके हैं।

धर्मेन्द्र यादव को संघमित्रा मौर्य ने हराया है, जो कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। जिले के ही मूल निवासी वीएल वर्मा प्रांतीय उपाध्यक्ष और दर्जा राज्यमंत्री हैं। सरकार और संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले नेता कार्यकर्ताओं के पीछे खड़े हैं, इसलिए अब हर कार्यकर्ता जिला पंचायत में हुई फजीहत का बदला लेना चाहता है। स्वामी प्रसाद मौर्य और वीएल वर्मा ने विचार कर लिया तो, भगवा जिला पंचायत में भी फहरने में देर नहीं लगेगी। पिछ्ली बार भाजपा के ही कुछ नेताओं ने गद्दारी भी की थी लेकिन, अब बड़े नेताओ की मौजूदगी के चलते गद्दारी करने की कोई कल्पना तक नहीं कर पायेगा।

भाजपा हाल ही में चुनाव जीती है, केंद्र सरकार का गठन चल रहा है, जिससे भाजपाई व्यस्त हैं। विरोधी भाजपाईयों की व्यस्तताओं का लाभ उठाना चाहते हैं, सो तेजी से लगभग 27 करोड़ रूपये के टेंडर जारी कर दिए गये हैं। सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों को टेंडर दिए जाने हैं, उनसे एक दलाल ने 15% की दर से चुनाव पूर्व ही अवैध उगाही कर ली है। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में जिला पंचायत के पास लगभग साठ करोड़ रुपया है, इस सबका बन्दरबाँट हो, उससे पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य और वीएल वर्मा को सक्रिय होना होगा।

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