कुकर्मों का पश्चाताप करने और ग्लानि महसूस करने की जगह नेता जी ने स्वयं को बताया हरिश्चंद्र

कुकर्मों का पश्चाताप करने और ग्लानि महसूस करने की जगह नेता जी ने स्वयं को बताया हरिश्चंद्र

बदायूं के एक नेता जी के हाईकमान ने दांत तोड़ दिए और जिले भर ने दांत टूटने का जश्न मनाया तो, उन्हें अहसास हुआ कि उनके द्वारा दिनदहाड़े डाली जा रही डकैती की जानकारी बच्चे-बच्चे को थी। ग्लानि महसूस करने की जगह, पश्चाताप करने की जगह नेता जी ने स्वयं को हरिश्चंद्र घोषित कराने को पत्रकारों को बुलाया और दावा किया कि वे तो जन्मजात महान व्यक्ति हैं पर, कुछ लोग उनकी छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।

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कारनामों की पोल खुल गई हो तो, हालातों के अनुसार मौन धारण कर लेना चाहिए लेकिन, बेशर्मी की सीमाओं को लांघते हुए नेता जी ने पत्रकारों को आमंत्रित कर लिया। नेता जी के दुस्साहस की पत्रकार ही दाद दे रहे हैं, क्योंकि अहंकार और बदले आर्थिक हालातों की जानकारी पत्रकारों से ज्यादा किसे हो सकती है। अचानक से साधारण कपड़े ब्रांड्स में बदल गये। जिस घर में बैठने को जगह नहीं थी, जिस घर में खाने को अच्छे बर्तन तक नहीं थे, उस घर में लगातार मजदूर काम कर रहे हैं। दिल्ली, लखनऊ, बरेली से क्रॉकरी आ गई है। अलादीन का चिराग तो हाथ लगा नहीं था, जिसके घिसने से नोट निकल रहे थे। सीधी सी बात है कि दलाली की दुकान खोल रखी थी।

हालाँकि कुछ लोगों को लगता है कि नेता जी ने बुढ़ापा सही कर लिया तो, अच्छा ही किया, इसके अलावा उन्हें कोई और ऐसा अवसर नहीं मिलना था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाती। अच्छे मन और सच्चे हृदय के लोगों का यह भी कहना है कि उम्र भर एक ही पार्टी में रहे, उन्हें कुछ मिला भी नहीं था, ऐसे में चार-पांच करोड़ की दलाली कर भी ली तो, क्या बुरा किया।

खैर, हालातों के अनुसार जो किया है, वह भी ठीक ही है। भूखे पेट सिद्धांतों की बात करना भी सही नहीं होता। सिद्धांत चूल्हे पर नहीं पकाये जा सकते। जो लोग सिद्धांतों के लिए जीते रहे हैं, जिन्होंने सिद्धातों के लिए मृत्यु को चुना, जिस हरिश्चंद्र ने सिद्धांत के लिए युवा बेटे के दाह-संस्कार के लिए पत्नी की धोती फड़वा दी, वे सब तो नेता जी की दृष्टि में मूर्ख होंगे, क्योंकि नेता जी ने दलाली पर ग्लानि की अनुभूति करने की जगह पत्रकारों को बुला कर स्वयं को हरिश्चंद्र बताया आज, ऐसा दावा करते हुए उन्हें यह भी ध्यान नहीं आया कि जिस फॉर्च्यूनर कार से वे घूम रहे थे, उसे उनसे फॉर्च्यूनर कार वाला छीन ले गया है, अब नेता जी फॉर्च्यूनर में नहीं दिखेंगे तो, लोग क्या सोचेंगे पर, सवाल यह है कि जिसकी आँखों में पानी बचा होता, वह दलाली ही क्यों कर रहा होता?

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