जी हाँ! मंदिर बनाने से पहले ट्रस्ट बनाये भाजपा सरकार

जी हाँ! मंदिर बनाने से पहले ट्रस्ट बनाये भाजपा सरकार

उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ ने उच्च न्यायालय- इलाहाबाद की पीठ के आदेश को निरस्त किया है लेकिन, गंभीरता से देखा जाये तो, उच्चतम न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के विचार को ही और सीमित करते हुए ही ऐसा निर्णय सुनाया है, जिससे विवाद थम सकता है। उच्च न्यायालय भी किसी को निराश करना नहीं चाहता था, वही प्रयास उच्चतम न्यायालय ने किया है पर, अब इस निर्णय का ही हृदय से स्वागत और सम्मान होना चाहिए, इस आदेश को ही प्रभावी किया जाना चाहिए ताकि, देश आगे बढ़ सके।

उच्चतम न्यायालय ने भाजपा सरकार को ट्रस्ट बनाने का दायित्व दिया है, जिस पर गंभीरता से विचार किया जाये तो, इस आदेश के बहुत बड़े मायने हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बनी संवैधानिक पीठ ने 40 दिन निरंतर चली सुनवाई के बाद 9 नंबवर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। विवादित जमीन पर रामलला का अधिकार मान लिया गया है। मस्जिद के विध्वंस को कानून का उल्लंघन माना गया है, जिससे सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए कहीं और पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। निर्मोही अखाड़ा अपनी भूमिका सिद्ध नहीं कर पाया लेकिन, सरकार चाहे तो, उसे ट्रस्ट में सम्मिलित कर सकती है, इसी तरह शिया वक्फ बोर्ड के दावे को भी निरस्त कर दिया गया है।

पूरे प्रकरण में सबसे अच्छी बात यह रही कि संविधान पीठ ने धार्मिक साहित्य को विशेष गंभीरता से नहीं लिया। पीठ ने संविधान के अनुसार निर्णय सुनाया है। पीठ ने पुरातत्व विभाग और सरकारी कागजों में दर्ज बातों को विशेष महत्व देते हुए 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को सौंपी है, जिस पर केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बना कर मंदिर के निर्माण की रूप-रेखा तैयार करेगी। यहाँ विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार को ट्रस्ट (न्यास) बनाने का दायित्व दिया गया है लेकिन, भाजपा सरकार को अब ट्रस्ट (विश्वास) बनाने पर अतिरिक्त ध्यान चाहिए। हालाँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “सबका साथ, सबका विकास” की बात करते ही हैं पर, राम मंदिर को लेकर नारा समय-समय पर छिन्न-भिन्न होता ही रहा है, अब राम मंदिर विवाद सुलझ गया है तो, ट्रस्ट (न्यास के साथ विश्वास) गंभीरता से बनायें और देश को इस मुद्दे से आगे ले जाने की दिशा में कार्य करें, साथ ही श्रीराम को भी पुनः वही सम्मान दिलाने का प्रयास करें।

त्याग, समर्पण और उदारता के प्रतीक श्रीराम किसी के लिए घृणा के पात्र भी हो सकते हैं, इसकी कल्पना करना भी दुःखद है। श्रीराम भारत की परंपरा और संस्कृति के प्रतीक हैं, उनके नाम से भोर और शाम होती रही है तभी, अल्लामा इक़बाल ने लिखा था कि …

लबरेज है शराब-ए-हकीक़त से जाम-ए-हिंद
सब फलसफी हैं ख़ित्ता-ए-मगरिब के राम-ए-हिंद

ये हिन्दियों की फिक्र-ए-फलक-रस का है असर
रिफअत में आसमाँ से भी ऊँचा है बाम-ए-हिंद

इस देस में हुए हैं हजारों मलक-सरिश्त
मशहूर जिन के दम से है दुनिया में नाम-ए-हिंद
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज
अहल-ए-नजर समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद

एजाज इस चराग-ए-हिदायत का है यही
रौशन-तर-अज-सहर है जमाने में शाम-ए-हिंद
तलवार का धनी था शुजाअश्त में फर्द था
पाकीजगी में जोश-ए-मोहब्बत में फर्द था

बी.पी. गौतम
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