कोठी का विकल्प नहीं बन पाया कोई, धर्मेन्द्र की लोकप्रियता बढ़ी

कोठी का विकल्प नहीं बन पाया कोई, धर्मेन्द्र की लोकप्रियता बढ़ी

बदायूं जिले की राजनीति में हाल-फिलहाल कोठी का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। जी हाँ, कोठी मतलब, सांसद धर्मेन्द्र यादव, उनके प्रति लोगों का विश्वास निरंतर बढ़ रहा है। पुलिस की आम जनता पर हो रही मनमानी और विकास कार्यों पर लगे ब्रेक ने सांसद धर्मेन्द्र यादव की लोकप्रियता विपक्ष में रहते हुए और बढ़ा दी है।

विपक्ष के विधायक और विपक्ष के सांसद के आवासों पर सन्नाटा पसरा रहता है लेकिन, सांसद धर्मेन्द्र यादव के साथ ऐसा नहीं है, उनके आने का कार्यक्रम सार्वजनिक होते ही न सिर्फ बदायूं लोकसभा क्षेत्र बल्कि, आस-पास के हजारों लोगों उमड़ पड़ते हैं, वे भीड़ के बीच ऐसे ही घिरे रहते हैं, जैसे सपा सरकार के दौरान घिरे रहते थे, इसके पीछे कई कारण हैं। एक तो यही कि धर्मेन्द्र यादव का व्यक्तित्व आकर्षित है, वे मृदुभाषी हैं, छोटे और बड़े स्तर के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को समान दृष्टि से देखते हुए सभी को एक समान सम्मान देते हैं, सबकी बात सुनते हैं और संभव निराकरण भी करते हैं।

इसके अलावा बदायूं लोकसभा क्षेत्र में धर्मेन्द्र यादव की छवि विकास पुरुष के रूप में बनी हुई है, उन्होंने हर क्षेत्र में व्यक्तिगत रूचि लेकर क्रांतिकारी विकास कार्यों को कराया, जिसमें ओवरब्रिज, मेडिकल कॉलेज और बाई-पास प्रमुख हैं लेकिन, प्रदेश में सरकार बदलते ही विकास कार्यों पर प्रतिबंध सा लग गया। पिछड़ा बदायूं विकसित होने की दिशा में तेजी से दौड़ रहा था, वही बदायूं अब जहां का तहां थम सा गया है। हालाँकि सदर क्षेत्र के भाजपा विधायक महेश चन्द्र गुप्ता विकास की गति को बनाये रखने को संघर्ष करते नजर आ रहे हैं, उनके प्रयासों से बाई-पास को धन मिल गया। सपा सरकार में स्वीकृत हुआ रोडवेज के वर्कशॉप को धन लाने में भी वे सफल साबित हुए हैं, वहीं सीवर लाइन लाने में जुटे हुए हैं पर, वे भी सांसद धर्मेन्द्र यादव का विकल्प नहीं बन सकते, क्योंकि सांसद सिर्फ सदर विधान सभा क्षेत्र में नहीं बल्कि, जिला संभल तक विकास की गंगा बहा रहे थे, वे लखनऊ से मेरठ तक फोर-लेन हाईवे स्वीकृत करा चुके थे, जिसके बारे में अब कुछ नहीं कहा जा सकता।

विकास कार्यों के अलावा धर्मेन्द्र यादव के रहते किसी भी वर्ग के व्यक्ति का शोषण नहीं हो पाया। पुलिस ने किसी पर फर्जी मुकदमा दर्ज किया, अथवा किसी भी क्षेत्र में मनमानी करने का प्रयास किया और प्रकरण धर्मेन्द्र यादव के संज्ञान में पहुंचा तो, उन्होंने उसकी तत्काल मदद की पर, पीड़ित वर्ग की सुनने वाला अब कोई नेता ऐसा नहीं है, जो जिले भर में हस्तक्षेप कर उसे राहत दिला दे, ऐसे वर्ग का धर्मेन्द्र यादव के प्रति विश्वास और अधिक बढ़ गया है।

सांसद धर्मेन्द्र यादव 8 अप्रैल को बदायूं पहुंचे तो, उनके पहुंचने से हजारों लोग उनकी कोठी पर जमा हो गये। देर रात वे निजी कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। देर रात में कोठी पर पहुंचे तो, आराम करने की जगह उपस्थित लोगों से मिले। सुबह सोकर उठे तो, सैकड़ों लोग जमा थे। लोगों ने पुलिस और प्रशासन से संबंधित तमाम समस्याओं को साझा किया तो, उन्होंने संबंधित अफसरों से बात की और कहा कि विधि के अनुरूप कार्य करिये, सरकारें आती और जाती रहती हैं पर, जनता का शोषण नहीं होना चाहिए।

सांसद ने आवास पर ही कहा कि जनपद सहित पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल व्याप्त है, विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो चुके हैं, किसान, नौजवान, छात्र, दलित सहित समाज का हर वर्ग प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकारों से बुरी तरह परेशान है। उन्होंने जनपद के अधिकारियों के बारे में बताया कि सभी अधिकारी पूरी ईमानदारी व मेहनत से जनता की सेवा करें, किसी भी व्यक्ति का शोषण कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यदि किसी भी स्तर पर ऐसा हुआ तो, समाजवादी पार्टी सड़कों पर संघर्ष करेगी, इस मौके पर सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव, पूर्व विधायक आशुतोष मौर्य, प्रेमपाल सिंह, सुरेश पाल सिंह चौहान, सलीम अहमद, मोतशाम सिद्दीकी, उदयवीर शाक्य, किशोरी लाल शाक्य, महेंद्र प्रताप सिंह, अवधेश यादव, विपिन यादव, स्वाले चौधरी, नरोत्तम सिंह, राजू यादव, प्रदीप गुप्ता, सुमित गुप्ता, गुड्डू भाई और प्रभात अग्रवाल सहित तमाम कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

यह भी बता दें कि सांसद धर्मेन्द्र यादव के लाखों लोग दीवाने हैं लेकिन, उनके समर्थकों को उनके प्रतिनिधियों से अक्सर निराशा मिलती है, वे फोन नहीं उठाते, सांसद के न होने पर आम जनता को कोठी के अंदर घुसने नहीं दिया जाता और खुद लंबा इंतजार करा कर बाहर आते हैं, साथ ही दोनों प्रतिनिधियों ने अपना-अपना मोर्चा बना रखा है, अपने-अपने चहेतों के साथ बैठ कर गप्पें मारते रहते हैं लेकिन, सांसद के करीबी से कह देते हैं कि आप उनसे सीधे बात कर लीजिये, प्रतिनिधियों के इस तरह के व्यवहार से कुछेक लोग निराश भी दिखते हैं, जबकि प्रतिनिधियों की व्यक्तिगत रूचि होनी ही नहीं चाहिए, उनके पास लोग सांसद के प्रतिनिधि के चलते आते हैं, न कि उनके कारण। उम्मीद है कि धर्मेन्द्र यादव इस कमजोरी को भी ठीक करने का प्रयास करेंगे।

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