भाजपा को जितेन्द्र, भगवान सिंह और हरीश ही जिता सकते हैं

भाजपा को जितेन्द्र, भगवान सिंह और हरीश ही जिता सकते हैं

बदायूं लोकसभा क्षेत्र में चुनावी गतिविधियाँ शुरू हो चुकी हैं। भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाहने वालों की सूची बेहद लंबी है। बारिश के मौसम की तरह ही चुनावी मौसम के आने से पहले कई कुकुरमुत्ते भी उग आये हैं, जो फेसबुक और वाट्सएप से ही भाजपा का टिकट लेकर सांसद बनने का सपना देख रहे हैं, ऐसे लोगों ने 10-12 लड़कों का गिरोह बना लिया है, जिनके द्वारा वे अपनी ब्रांडिंग करने का भी प्रयास करते नजर आ रहे हैं लेकिन, पूर्व में चुनाव लड़ने से हुई खराब छवि सुधर पाना ना-मुमकिन ही है, ऐसे लोगों के बारे में यह भी चर्चा है कि यह विरोधी दलों से मिल कर वोट काटने को सक्रिय हुए हैं। अभी भाजपा से टिकट मांगने का ढिंढोरा पीटेंगे और टिकट नहीं ही मिलेगा तो, पहले की ही तरह किसी और दल से चुनाव लड़ कर आम जनता के सामने रोयेंगे, जिससे 10-20 हजार वोटों का नुकसान कर ही देंगे। हालाँकि जमीनी स्तर पर ऐसे लोगों की कोई पकड़ नहीं है और न ही भारतीय जनता पार्टी में ऐसे लोगों के नाम पर कोई विचार होगा। हार चुके लोगों पर भाजपा दांव नहीं लगायेगी, इसलिए लोकसभा क्षेत्र की स्थिति और जनता की सोच के बारे में बात करना सही रहेगा।

बदायूं लोकसभा क्षेत्र की स्थिति के अनुसार सबसे मजबूत दावेदारों में से एक हैं जितेन्द्र यादव। जितेन्द्र यादव लोकसभा क्षेत्र के अधिकांश गांवों में व्यक्तिगत पकड़ रखते हैं, वे निरंतर जनता के बीच बने रहते हैं, उनके पास युवाओं की बेहद मजबूत टीम है। समाजवादी पार्टी की सरकार में विधान परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने से उनकी छवि और बेहतर हुई है लेकिन, वे डीपी यादव के भतीजे हैं और उनका बदायूं में आवास नहीं है, जिसका उन्हें नुकसान हो सकता है। डीपी यादव का भतीजा होना गुनाह नहीं है लेकिन, उन्हें राजनीति करनी है तो, बाहरी होने का कलंक धोने के लिए उन्हें सर्व प्रथम आवास ले लेना चाहिए। हालाँकि बिल्सी में उनका आवास है।

पूर्व राज्यमंत्री भगवान सिंह शाक्य बेहद मजबूत माने जा रहे दावेदारों में से एक हैं, उन्हें टिकट मिला तो, वे विरोधियों में झाड़ू लगा सकते लगा सकते हैं लेकिन, वे आंवला लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधान सभा क्षेत्र शेखूपुर के मूल निवासी हैं, जहाँ उनका बेटा धर्मेन्द्र कुमार शाक्य वर्तमान में भाजपा से विधायक है, वे शेखूपुर विधान सभा क्षेत्र के साथ दातागंज विधान सभा क्षेत्र में भी लोकप्रिय हैं, जो बदायूं लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं है, वे बदायूं लोकसभा क्षेत्र में कम सक्रिय रहे हैं, साथ ही एक बार उनकी पत्नी लोकसभा सदस्य का चुनाव लड़ चुकी हैं, वे दमदारी से चुनाव लड़ी थीं लेकिन, अब परिसीमन के चलते लोकसभा क्षेत्र बदल गया है, जिसमें संभल जिले के गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र से पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।

तीसरे सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य। हरीश कुमार शाक्य युवा हैं, वे युवाओं के चहेते हैं, वे जिले भर में सक्रिय हैं, सरकार आने के बाद उनकी छवि भी खराब नहीं हुई है, उनका पहला चुनाव होगा, इसलिए उन्हें किसी के विरोध का कोई सामना नहीं करना पड़ेगा। जातिगत दृष्टि से हरीश का पलड़ा भारी है, युवा उन्हें टिकट देने की मांग भी कर रहे हैं लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि हरीश कुमार शाक्य टिकट के लिए आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। भाजपा हाईकमान उच्च स्तरीय सर्वे करा रहा है, उसके आधार पर ही टिकट दिया जायेगा, जिसके बारे में घोषणा के बाद ही खुलासा हो सकेगा लेकिन, इतना तय है कि उक्त तीनों व्यक्तियों के अलावा जिले में ऐसा कोई नेता नहीं है, जो भाजपा को सम्मानजनक स्थिति में भी पहुंचा सके।

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