डीपीएस खुलेआम कर रहा है महात्मा गांधी के चित्र और नाम का दुरूपयोग

डीपीएस खुलेआम कर रहा है महात्मा गांधी के चित्र और नाम का दुरूपयोग

बदायूं जिले में नियम-कानूनों को तोड़ना सामान्य बात मानी जाती है, यहाँ जघन्य आपराधिक वारदातों के होने पर कोई स्तब्ध नहीं होता, ऐसे में सामान्य नियम-कानूनों के टूटने की चर्चा न होना स्वभाविक ही है। राष्ट्र की गरिमा से जुड़े प्रतीकों, महापुरुषों और व्यक्तियों के चित्र का व्यवसायिक प्रयोग नहीं किया जा सकता लेकिन, यहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के चित्र का खुलेआम दुरूपयोग किया जा रहा है पर, अभी तक पुलिस-प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय प्रतीकों एवं नामों का दुरूपयोग रोकने के लिए “अनुचित प्रयोग रोकथाम कानून-1950” बनाया गया था, इसके अनुसार राष्ट्र से जुड़े प्रतीकों, महापुरुषों और व्यक्तियों के चित्रों व नामों का व्यवसायिक प्रयोग नहीं किया जा सकता। अगर, कोई कानून का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो, आर्थिक दंड के साथ कड़ी सजा का भी प्रावधान रखा गया है। कानून के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र का प्रकाशन निजी विज्ञापन में नहीं कराया जा सकता लेकिन, यहाँ खुलेआम महात्मा गांधी के चित्र को विज्ञापन में प्रकाशित कराया गया है पर, अभी तक दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

जी हाँ, बदायूं शहर में दिल्ली पब्लिक स्कूल की ब्रांच खोलने की तैयारियां चल रही हैं। अगले सत्र में एडमिशन करने का दावा किया जा रहा है, इसी से संबंधित होर्डिंग्स लगाये गये हैं। लाबेला चौक से कचहरी की ओर जाने वाले रास्ते पर रजिस्ट्री ऑफिस के सामने एक होर्डिंग्स लगा है, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बड़ा सा चित्र उनके विचार के साथ लगा हुआ है, जो प्रतीक और नाम अनुचित प्रयोग रोकथाम कानून- 1950 का खुला उल्लंघन ही है लेकिन, अभी तक पुलिस-प्रशासन की ओर से दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

यह भी बता दें कि शहरी क्षेत्र में होर्डिंग्स लगाने के लिए नगर पालिका परिषद द्वारा अनुमति दी जाती है और अनुमति देते समय विज्ञापन संबंधी कई शर्तें रखी जाती हैं। सवाल यह है कि प्रभारी अधिशासी अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट ने डिजायन देखे बिना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र का व्यवसायिक प्रयोग करने की अनुमति कैसे दे दी?

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