गमगीन माहौल में कवियों ने कही लोगों के मन की बात, रो पड़े श्रोता

गमगीन माहौल में कवियों ने कही लोगों के मन की बात, रो पड़े श्रोता

बदायूं क्लब में राष्ट्रीय गीतकार डॉ. उर्मिलेश स्मृति उत्सव- 2019 के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मेेलन व मुशायरा आयोजित किया गया, जिसे शहीदों को समर्पित कर दिया गया। गमगीन वातावरण में कवियों व शायरों की ओजस्वी रचनाओं और वाणी से श्रोताओं के आंसू छलक आए।

सादगी पूर्ण समारोह में सुप्रसिद्ध ओज कवि विनीत चौहान को डॉ. उर्मिलेश स्मृति ओजस्वी स्वर सम्मान, सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग कवि सर्वेश अस्थाना को डॉ. उर्मिलेश स्मृति साहित्य चेतना सम्मान और सुप्रसिद्ध ओजस्वी कवियत्री कविता तिवारी को डॉ. उर्मिलेश स्मृति युवा स्वर सम्मान दिया गया। समारोह में वरिष्ठ नेता व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी वागीश पाठक को राष्ट्रीय गीतकार डॉ. उर्मिलेश स्मृति बदायूं रत्न सम्मान से नवाजा गया।

मुख्य अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता व बदायूं लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी वागीश पाठक, विशिष्ट अतिथि बिल्सी पालिका परिषद के अध्यक्ष अनुज वार्ष्णेय, दातागंज के पूर्व पालिकाध्यक्ष व भाजपा नेता राजीव कुमार गुप्ता, एसपी सिटी जितेंद्र श्रीवास्तव ने मां सरस्वती की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्जवित किया। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का माला पहना कर, शॉल ओढ़ा कर और प्रतीक चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और समिति के सदस्यों ने संयुक्त रूप से दोनों कवियों व एक कवियत्री को शॉल ओढ़ा कर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

देश के वरेण्य ओजस्वी कवि विनीत चौहान के ओजपूर्ण संचालन में कवि सम्मेलन की शुरुआत देश में वीर रस की सर्वाधिक प्रिय कवियत्री कविता तिवारी की ओजस्वी वंदना से हुई। उन्होंने कहा कि लगन जो देशहित जागी, वह हरगिज सो नहीं सकती, जिस्म के खाक होने पर भी शौहरत खो नहीं सकती, भले दौलत की ताकत से खरीदो सारी दुनिया को, मगर शहादत की कोई कीमत हो नहीं सकती। इसके पश्चात बहुत संजीदगी एवं शाइस्तगी से अपनी शायरी को लोगों के दिल तक पहुँचाने वाले देवबंद के शायर नदीम शाद ने अपना शेर देश के सपूतों को समर्पित करते हुए कहा कि
अब ये तो नहीं कहते कि मरने के नहीं हम,
मर जायेंगे पर आपसे डरने के नहीं हम।

आज तक न्यूज चैनल में सीनियर डायरेक्टर एवं मूलतः बिसौली के निवासी पंकज शर्मा ने आतंकियों को ललकारते हुए जब कविता पाठ किया तो, लोगों ने करतल ध्वनि से उनका समर्थन किया…
मरहम न कोई हो रहम
सम्वाद न कोई बोली हो
जिनके हाथों में पत्थर हो
उनकी छाती में गोली हो।

जबलपुर से आये देश के सर्वाधिक व्यस्त एवं मंच के सिद्धहस्त कवि सुदीप भोला की मार्मिक कविता सुनकर श्रोताओं की आँखें छलक उठीं … दाहिनी कलाई पर है,गाँव भर की राखियाँ
बायीं जेब में रखी हैं,बेटियों की चिट्ठियां
ओढ़कर कर तिरंगा जा रही हैं देशभक्तियाँ
कोई क्या मिटायेगा शहादतों की हस्तियाँ
अब कभी लगाएंगे न छुट्टियों की अर्जियाँ
वर्दियाँ, वर्दियाँ, वर्दियाँ ये वर्दियाँ

कविता तिवारी ने जब ओज की हुंकार भरी तो, एक-एक हाथ उनके समर्थन में तालियाँ बजाते हुए नजर आया उन्होंने कहा कि
सैनिकों की मौत देख धैर्य रो पड़ा
लाशों से लिपट तिरंगा रो पड़ा
रो रहा तिरंगा कुछ तो पसीजिये
देना हो तो खून का हिसाब दीजिये

लखनऊ से आये हास्य व्यंग के बड़े कवि सर्वेश अस्थाना के तेवर आज बिल्कुल अलग नजर आये उन्होंने कहा कि
मेरे प्राणों से बढ़कर बस स्वदेश की माटी है
यह मेरा उद्घोष नहीं है यह अपनी परिपाटी है

आगरा से आईं गीत की बड़ी कवियत्री डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने सैनिकों की पत्नियों की पीड़ा को अपने गीत में पिरो कर श्रोताओं की तालियां हासिल कीं …
लाल महावर लगे मेरे इन पाँव की चिंता मत करना ।
सीमा पर जागे रहना तुम गाँव की चिंता मत करना ।
ठिठुरन हो या कड़ी धूप हो छाँव की चिंता मत करना ।
लगे युद्ध में चोट अगर तो घाव की चिंता मत करना ।।

हास्य व्यंग्य के बड़े कवि सुरेंद्र दुबे भी आज कुछ अलग रंग में नजर आये । डॉ. उर्मिलेश और शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि …
उर्मिलेश जी की
कविता हर युग मे
दुहराई जाती है
जब चवालीस जवानों
की कुर्बानी से आँखे
नाम हो जाती है
इस हमले से जन गण है नम
गाएंगे गाएंगे
हम वंदे मातरम

अंत में कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे वीर रस के बड़े कवि विनीत चौहान ने अपनी गरजती आवाज में कविता पाठ करके श्रोताओं को अपने काव्यपाठ से अभिभूत कर दिया। तालियों के रूप में उन्हें घनघोर समर्थन मिला उन्होंने कहा कि …
बहुत हो चुका मोदी जी ये मौन तुम्हारे खलते हैं
रोज सैनिकों की लाशों से जिगर हमारे जलते हैं
छप्पन इंची सीना है तो उसका भी इजहार करो
सेना को आदेश थमा दो आर करो या पार करो

डॉ. उर्मिंलेश जनचेतना समिति के सचिव डॉ. अक्षत अशेष ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी के सहयोग से खराब मौसम के बावजूद कवि सम्मेलन व मुशायरा सफल हो सका। इस मौके पर सूर्यप्रकाश वैश्य, समिति की अध्यक्ष मंजूल शंखधार, प्रसिद्ध कवियत्री सोनरूपा विशाल, डॉ. रामबहादुर व्यथित, ऋचा अशेष, डॉ. इसहाक तबीब, अंजलि अग्रवाल, महेश मित्र, शारदेंदु पाठक, डॉ. सुधाकर आशावादी, रामप्रकाश आहूजा, विपिन अग्रवाल, सरदार हरमेश सिंह, अशोक भारती, सुधांशु शर्मा, मुनीष अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, अनूप रस्तोगी, भाजपा नेता परविंदर सिंह दुआ, रेनू सिंह, विशाल रस्तोगी, भुवनेश माहेश्वरी, प्रवीन सक्सेना, रविंद्र मोहन सक्सेना, नरेश चंद्र शंखधार, सुमित मिश्रा, नितिन गुप्ता, अशोक मिश्रा, चितरंजन गुप्ता, राहुल चौबे, राहुल भारद्वाज, डॉ. इजहार, भानुप्रताप शाक्य, कुमार आशीर, मनोज मून, शिखर देव, अभिषेक गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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