डॉ. उर्मिलेश की याद में काव्य संध्या आयोजित कर नये कवियों को दिया अवसर

डॉ. उर्मिलेश की याद में काव्य संध्या आयोजित कर नये कवियों को दिया अवसर

बदायूं क्लब में सुप्रसिद्ध गीतकार, कवि स्वर्गीय डाॅ. उर्मिलेश की 14वीं पुण्यतिथि पर जिले के नवांकुर कवियों के लिए “कविता के नये स्वर” नाम से काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिले के लगभग ड़ेढ दर्जन नवांकुर कवियों द्वारा एक से बढ़कर एक काव्यमय प्रस्तुति दी गई। नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के लिए समिति की सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। देर रात तक चली काव्य संध्या में नयी प्रतिभाओं के काव्य पाठ को सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।

काव्य संध्या में मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी आईएएस निशा अनंत ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर एवं डाॅ. उर्मिलेश के चित्र पर पुष्प अर्पित कर शुभारम्भ किया। विशिष्ट अतिथि के रुप में समाजसेवी रजनीश गुप्ता एवं श्यामजी शर्मा रहे, अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. रामबहादुर व्यथित ने की। समिति की ओर से सभी अतिथियों एवं कवियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर सीडीओ निशा अनंत ने डाॅ. उर्मिलेश को श्रद्धांजलि देते हुये आयोजन की सराहना की, साथ ही उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की रचना का काव्य पाठ भी किया।

इससे पूर्व काव्य संध्या में माँ सरस्वती वंदन अजीत सुभाषित ने प्रस्तुत की। काव्यसंधा में काव्य पाठ प्रारम्भ हुआ। आशीष शर्मा ने डाॅ. उर्मिलेश को नमन करते हुये कहा कि कविता गुरु महान उर्मिलेश जी, कविता का हिन्दुस्तान उर्मिलेश जी। उज्जवल वशिष्ठ ने कहा कि बड़ी मुश्किल से बनती हैं दीवारें चार इक घर की, ये दीवारें बस इक पल में विरासत तोड़ देती हैं। उझानी के विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि हवा को देख नहीं सकती हमारी आंखें, इसीलिए तो चिरागों पे नज़र रखते हैं। बरेली से पधारी डाॅ. कविता अरोरा ने कहा कि बूटे कविता के ग़ज़लों के बन उर्मिलेश का है ये चमन।

डाॅ. दीप्ती जोशी ने कहा कि तुम झूठे हो, सांस ढलें नैन चुराकर रीतें पग दौड़े जाते हो। बिसौली के प्रवीन नादान ने कहा कि मेरे सारे तीर्थ हो जायें जो चरणो का उसमें घ्यान करुॅं, मेरी कलम में इतनी शक्ति कहां, जो मां के गुणों का बखान करुं। आयुष शर्मा ने कहा कि बजीर ए आलम से भी दरखास्त है मेरी, सबको मिले समान अधिकार की चप्पल। शिखर देव ने कहा कि सभ्यता और संस्कृति वाले शब्दों को खो चुके हैं हम, दिलों में सबके नफरतों के बीजों को बो चुके हैं हम। दातांगज के पुष्पराज यादव ने कहा कि किसी गरीब की बेटी को ब्याह लाउंगा, और उसके माथे की बिन्दी में जगमगांउंगा।

डाॅ. रविभूषण पाठक ने कहा कि रम्जां कई गुज़रे, यहां जगं ए हिलाल में, हुआ चांद मुकद्दर, ईद जाने के बाद। सचिन शास्वत ने कहा कि परिदों से ज़रा सीखो, ज़मीनों से जुड़े रहना, वो अम्बर रोज़ छूते हैं धरा पर लौट आते हैं। उसहैत के सत्यदेव श्रीवास्तव ने कहा कि आज पृथम मत और वंश हो गये हैं, आकृति मनुष्य की पर कंस हो गये हैं। मयंक चौहान ने कहा कि घने कोहरी सी अगम्य मेरी भावना, पाले की बूंद से टपकते ख्बाब मेरे। बिसौली के कवि अवजीत अवि ने कहा कि चरणों में जन्नत बसे, वाणी में आशीष, मात पिता के चरण में सदा झुकावें शीष। संचालन कर रहे अभिषेक अनंत ने कहा कि जरा सा गुनगुना लो तुम, कि हम भी गीत हो जायें।

डाॅ. सोनरुपा विशाल ने कहा, जीवन से लबरेज हिमालय जैसे थे पुरजोर पिता। अंजलि शर्मा, फिरोज खां ,हर्ष मिश्रा दीपक मिश्रा, अंकिता सागर ने भी काव्य पाठ प्रस्तुत किया। अध्यक्षता कर डाॅ. रामबहादुर व्यथित ने आयोजन को नवोदित कवियों के लिए एक मील का पत्थर मानते हुए सर्वोत्तम आयोजन कहा। गोष्ठी के अन्त में संयोजक डाॅ. अक्षत अशेष ने सभी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि यह आयोजन नवांकुर कवियों के लिए और उनकी प्रतिभा को समृद्ध करने के लिए आयोजित किया गया ताकि, भविष्य इन्ही में कोई डाॅ. उर्मिलेश पैदा हो।

अन्त में डाॅ. उर्मिलेश की कालजयी रचना गायेंगे गायेंगे वन्देमातरम् के साथ काव्य संध्या का समापन हुआ, इस अवसर पर कार्यक्रम में अन्जू शर्मा, सतीश चन्द मिश्रा, गुरुचरण मिश्रा, उपेन्द्र गुप्ता, रविन्द्र मोहन सक्सेना, ज्वाला प्रसाद गुप्ता, मणी गुप्ता, अनूप रस्तोगी, सुरेश चन्द्र जौहरी, डाॅ. कमला माहेश्वरी, कमलेश ज्ञानी, अवधेश माहेश्वरी, महेश मित्र, महेन्द्र वर्मा, अरविन्द गुप्ता, अशोक मिश्रा, नंदकिशोर, राहुल चौबे, अमित पाठक, संजय आर्य, सुमित मिश्रा, नरेश चन्द्र शंखधार, नवीन सक्सेना, नितिन गुप्ता, इकबाल असलम, इजहार अहमद, प्रीती अरोरा, सौरभ शंखधार, पंकज शर्मा, ब्रजेश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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