राजनैतिक दल की मदद के बिना आबिद रजा ने 150 गांवों में चौपाल लगा कर इतिहास रचा

राजनैतिक दल की मदद के बिना आबिद रजा ने 150 गांवों में चौपाल लगा कर इतिहास रचा

बदायूं जिले में विधान सभा चुनाव की गतिविधियाँ तेज होने लगी हैं लेकिन, सभी दलों के अधिकांश नेता टिकट लेने के प्रयास कर रहे हैं, वे रात-दिन शीर्ष नेतृत्व को खुश करने में जुटे हुए हैं लेकिन, जिले में तीन नेता ऐसे हैं, जो क्षेत्र में रात-दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सदर विधान सभा क्षेत्र में आबिद रजा, सहसवान विधान सभा क्षेत्र में ब्रजेश यादव और दातागंज विधान सभा क्षेत्र में डॉ. शैलेश पाठक रात-दिन गाँव-गाँव जाकर लोगों से मिल रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं, उनके दुःख-दर्द में शामिल हो रहे हैं।

फिलहाल बात करते हैं बदायूं सभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी पूर्व मंत्री आबिद रजा की। आबिद रजा हाल-फिलहाल किसी दल के सदस्य तक नहीं हैं लेकिन, वे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं सांसद आजम खां के करीबी माने जाते हैं, जिससे कहा जाता है कि उनका टिकट समाजवादी पार्टी से ही होगा, वहीं उनके विरोधी लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उनका टिकट समाजवादी पार्टी से नहीं होगा। आबिद रजा किस दल से लड़ेंगे?, इसका जवाब देने की जगह या, टिकट मिलने की चिंता करने की जगह वे क्षेत्र में कूद पड़े हैं और बिना बैनर के लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं, उनके कार्यक्रमों में आम जनता उमड़ती दिखाई दे रही है, जिससे लोग स्तब्ध दिखाई दे रहे हैं।

आबिद रजा ने किसी भी बैनर का सहारा लिए बिना दर्जनों जातिगत सम्मेलन आयोजित किये, जिनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पिछले दिनों उन्होंने आदिद रजा चले, गाँव की चौपाल कार्यक्रम शुरू किया, जिसके अंतर्गत उन्होंने सदर विधान सभा क्षेत्र के 150 से अधिक गांवों में चौपाल लगाई, साथ ही वे शहर के अधिकांश मोहल्लों में चौपाल लगा चुके हैं, जहाँ उन्होंने आम जनता से सीधा संवाद किया।

आबिद रजा ने आज भी चौपाल लगाई, जिसमें उन्होंने कहा चुनाव को अब पौने पांच साल पूरे होने वाले हैं। आपके गांव में कितने विकास कार्य कराए गए, यह आप हमसे बेहतर जानते हैं, जबकि वर्तमान विधायक सरकार में नगर विकास मंत्री हैं, उनके विभाग का काम ही सड़कें बनवाना है, शहरों में सड़कें बनाने के बजाये उन्होंने लाबेला चौक पर व्यापारियों की दुकानें, जालंधरी सराय चौराहे पर गरीबों के घर और गद्दी चौक पर गरीब लोगों की दुकानें तोड़ने का काम किया है। आबिद रजा हिन्दू-मुस्लिम एकता पर विशेष जोर देते दिखाई दे रहे हैं। किसी भी राजनैतिक दल का सहारा लिए बिना व्यक्तिगत तौर पर इतने कार्यक्रम आयोजित कर देने से लोग उनका लोहा मानने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं।

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