कार्यकर्ता न मिलने के कारण संभावित प्रत्याशी ने वोट बढ़वाने को दिया पैसों का ऑफर

कार्यकर्ता न मिलने के कारण संभावित प्रत्याशी ने वोट बढ़वाने को दिया पैसों का ऑफर

बदायूं लोकसभा क्षेत्र से एक संभावित प्रत्याशी को कार्यकर्ता खोजे से नहीं मिल रहे हैं, सो उन्होंने वोट बढ़वाने के लिए रूपये देने का ऑफर दिया है, जिसकी जमकर चर्चा की जा रही है। बेरोजगार युवा ऑफर का लाभ ले सकते हैं। हालात इतने खराब हैं कि संभावित प्रत्याशी को कोई गांवों में अपने घर पर चाय तक पिलाने को तैयार नहीं है।

प्रत्येक चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग अभियान चला कर मतदाता सूची को अपडेट कराता है। मृतकों के नाम काटे जाते हैं, वहीं बालिगों के नाम सूची में जोड़े जाते हैं। मतदाता सूची अपडेट करने का कार्य जिला निर्वाचन अधिकारी अर्थात, डीएम की निगरानी में होता है, जिससे मतदाता सूची को अपडेट करने में पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता बरती जाती है।

भारत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को गंभीरता से अपडेट कराता है, इस कार्य में राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता अपनी विचारधारा के लोगों को वोट बटवाने को प्रेरित करते हैं। कई बार कार्यकर्ता अनपढ़ वर्ग का फॉर्म भी भरते हैं पर, एक संभावित प्रत्याशी को कार्यकर्ता नहीं मिल रहे हैं, सो वे अपनी बुद्धि का उपयोग करने से नहीं चूके। हालाँकि अत्यधिक बुद्धि होने के कारण ही वे सांसद से प्रत्याशी रह गये हैं।

खैर, फिलहाल बात करते हैं ऑफर की तो, सूत्रों का कहना है कि संभावित प्रत्याशी ने कहा है कि जो भी वोट बढ़वाने का साक्ष्य देगा, उसे वे दस रूपये देंगे। मतलब प्रति व्यक्ति दस रुपया देंगे। अगर, कोई सौ फॉर्म भरवाता है तो, वो उनसे जाकर हजार रूपये ले सकता है, इस ऑफर की लोकसभा क्षेत्र में व्यापक स्तर पर चर्चा की जा रही है।

राजनीति में रूचि रखने वालों का कहना है कि जिस व्यक्ति के पास उत्साहित कार्यकर्ता तक नहीं हैं, वो व्यक्ति चुनाव क्या लड़ेगा, ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ना ही नहीं चाहिये। सूत्रों का कहना है कि संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र में राहू-केतु पूर्व परिचितों को कॉल कर रहे हैं और गांवों में नुक्कड़ सभा कराने को कह रहे हैं पर, लोग अपनी बैठक पर बैठा कर चाय तक पिलाने को तैयार नहीं हैं।

राजनैतिक दृष्टि से अभी हालात कई बार बदलेंगे पर, हाल-फिलहाल संभावित प्रत्याशी की हालत बेहद खराब बताई जा रही है। मायूसी उनके चेहरे से स्पष्ट झलक रही है, इसीलिए कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है, वे झूठ की मशीन कहे जाते हैं, सो महत्वाकांक्षी कार्यकर्ता भी इस बार झांसे में आने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।

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