नदी उमड़ी हुई है गाँव वालो, बचाना हो तो, अपना घर बचा लो …

नदी उमड़ी हुई है गाँव वालो, बचाना हो तो, अपना घर बचा लो …

साहित्य के संसार में एक ऐसा वृक्ष है, जिसने ग्लैमर पसंद न होने के कारण स्वयं को बस्ती और जंगल से भी दूर ऐसे एकांत में समेट लिया है, जहाँ सिर्फ वही है। साहित्य के संसार में उड़ते हर पक्षी को वृक्ष के बारे में पता है, हर पक्षी उसकी साखों पर बैठना चाहता है, […]