एससी/एसटी संशोधन विधेयक पारित, कठघरे में खड़ी की सरकार

एससी/एसटी संशोधन विधेयक पारित, कठघरे में खड़ी की सरकार

लोकसभा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम विधेयक- 2018 पारित हो गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये। विपक्ष के नेताओं ने कहा कि भाजपा चुनाव के डर से विधेयक लाई है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदर्शन किया था, उसी समय जवाब दे दिया होता तो, दलित आंदोलन नहीं करते। बोले- यह चुनावी चाल है, उन्होंने दलितों पर लिखे मुकदमा वापस लेने की भी बात कही।उन्होंने कहा कि एक ओर हिंदुओं को इकट्ठा करना चाहते हो, वहीं दलितों को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया जाता, कूआं से पानी नहीं लेने दिया जाता, मूछ नहीं रहने दी जाती। यह तब समझ आयेगा, जब मेरी जाति में जन्म लोगे।

समाजवादी पार्टी के धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी संशोधन विधेयक का समर्थन करती है लेकिन, सरकार की मंशा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भूल स्वीकार की है तो, हम सभी समाजवादी इसका स्वागत करते है। बोले- एससी/एसटी की आबादी 25 प्रतिशत के आस-पास है और इसमें पिछड़ी जाति व अल्पसंख्यकों को जोड़ दिया जाए तो, ये कुल आबादी लगभग 75 प्रतिशत हो जाती है, जब समाज के इतने बड़े हिस्से का सम्मान व सहयोग इन्हें नहीं मिलेगा तो, किसी भी राष्ट्र का निर्माण संभव नहीं है।

धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से हटे तो, वर्तमान मुख्यमंत्री ने आवास को गंगाजल से धुलवाया। बोले- अखिलेश यादव का गुनाह सिर्फ इतना था कि वे पिछड़ी जाति में पैदा हुए हैं, एक किसान के घर में पैदा हुए हैं, इस सोच को बदलने की जरूरत है। हमीरपुर में भाजपा दलित विधायक मंदिर चली गईं तो, मूर्तियाँ संगम में गईं, आज हम आजादी के 70 साल के बाद इस पर चर्चा कर रहे हैं, देश की 1 फीसदी आबादी के पास 73 फीसदी संपदा है और 99 फीसदी आबादी के पास 27 फीसदी संपदा है, इस भेदभाव को समाप्त करना पड़ेगा। उन्होंने आंदोलन के दौरान दलितों पर दर्ज हुए मुकदमा वापस लेने की भी मांग की।

धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि बीते समय में समाज के एक बड़े हिस्से के साथ अत्याचार व अन्याय हुआ है, बहुत सी घटनायें हैं, चाहे सहारनपुर की हो, ऊना की हो, फरीदाबाद की हो, जिसमें दलितों के साथ अत्याचार हुआ है। दलित परिवार का एक नौजवान जब विवाह करना चाहता है, उस पर क्षत्रिय समुदाय के द्वारा अत्याचार किया जाता है, इस सोच को जब तक नहीं बदला जाता है तब तक, एक उन्नत समाज का निर्माण नहीं हो सकता है।

एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि शाह बानो के मामले में जो कांग्रेस ने किया था, वही आज भाजपा सरकार दलितों के मामले में कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी वोट की खातिर तुष्टीकरण किया था और भाजपा ने भी वही किया है। भाजपा की ओर से किरीट सोलंकी ने कहा कि सरकार ने यह विधेयक लाकर दिखाया है कि वह दलितों और गरीबों के हित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में दलितों के अधिकार कमजोर हो गये थे, जिससे यह विधेयक महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह बड़ी दुख की बात है कि हम आजादी के इतने साल बाद भी दलित समुदाय को समानता नहीं दे पाये हैं। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में दलित समुदाय के न्यायाधीश होने चाहिए, इसके लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) का गठन करना चाहिए।

आम आदमी पार्टी के हरिंदर सिंह खालसा ने कहा कि अनुसूचित जाति के मुद्दे पर राजनीतिक हथकंडे अपनाने बंद होने चाहिए। भाजपा के भागीरथ प्रसाद ने कहा कि संविधान की रूपरेखा में संसद सर्वोपरि है और इस विधेयक से इस बात को भी प्रमाणित किया जा रहा है। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि अगर, उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर दलितों का विरोध नहीं होता तो, सरकार यह विधेयक लेकर नहीं आती। राकांपा के तारिक अनवर ने कहा कि यह मजबूरी और दबाव में लाया गया संशोधन है। टीआरएस के बाल्का सुमन ने कहा कि इस विषय पर फैसला देने वाले न्यायाधीश को एनजीटी के अध्यक्ष पद से तत्काल हटाया जाए।

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