गन्ना अधिकारी की मिलीभगत से किसानों को लूट रही है मिल

गन्ना अधिकारी की मिलीभगत से किसानों को लूट रही है मिल

बदायूं जिले की यदु सुगर मिल तिहाड़ जेल में सजा काट रहे माफिया डीपी यादव की है, इसका निदेशक डीपी यादव बेटा कुनाल यादव है, इस परिवार की भूख अभी भी शांत नहीं हुई है। पहले फर्जी तरीके से मिल स्थापित की और अब सिस्टम का हिस्सा बन कर किसानों को लूटा जा रहा है। गन्ना अधिकारी खुली मदद कर रहे हैं, जिससे प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है। हालाँकि डीएम ने आज गन्ना अधिकारी को जमकर हड़काया, लेकिन जाँच भी गन्ना अधिकारी को ही सौंप दी, ऐसे में सवाल उठता है कि कुनाल यादव से गिफ्ट लेने वाले और उसके हाथों सम्मानित होने वाले गन्ना अधिकारी क्या जाँच करेंगे?

शनिवार को कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता और शेखूपुर क्षेत्र के विधायक धर्मेंद्र कुमार शाक्य की उपस्थिति में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने किसानों की समस्या सुनीं। डीएम ने किसानों की समस्या सुनते हुए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अजय कुमार श्रीवास्तव को निर्देश दिए कि ग्राम गौरामई एवं गन्ना क्रय केंद्र गुलड़िया का लेखपालों द्वारा स्थलीय सत्यापन कराया जाए। उन्होंने कहा कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारी एवं लोगों को किसी भी दशा में छोड़ा न जाए और तत्काल दोषी लोगों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेजें।

डीएम को जिला गन्ना अधिकारी एवं चीनी मिल के जनरल मैनेजर गन्ना पिराई का प्रतिशत पूछने पर संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जीएम ने बताया कि 63 प्रतिशत पिराई हो चुकी है, जब किसानों के पर्चियो की जांच की गई, तो सिर्फ 33 प्रतिशत ही पिराई हो सकी। उन्होंने निर्देश दिए कि चीनी मिलों ने 63 प्रतिशत पिराई कर ली है और किसानों का गन्ना 33 प्रतिशत ही सप्लाई हुआ है, जिससे स्पष्ट है कि गन्ना बाहर से आया है, उन्होंने कहा दूसरे जनपद से आने वाले गन्ने पर रोक लगाई जाए और जनपद के किसानों के गन्ने की खरीद की जाए।

उन्होंने जिला गन्ना अधिकारी दिलीप कुमार सैनी को निर्देश दिए कि तत्काल जीएम के साथ बैठक कर किसानों की समस्या को हल करें। उन्होंने समस्त चीनी मिल्स जनरल मैनेजरों को निर्देश दिए कि मैदान में बैठकर किसानों की समस्या सुनें। किसानों को इधर-उधर भटकना न पड़े। उन्होंने जीएम को निर्देश दिए कि किसानों को समय से पर्ची उपलब्ध कराकर उनके गन्ने की खरीद करें।

यह भी बता दें कि डीपी यादव ने मिल की स्थापना धोखे से हथियाई गयी जमीन पर की है। पहले उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने यहां काम करने वाले गुलाम रूपी नौकरों के नाम फर्जी पट्टे आवंटित कराये और बाद में सभी पट्टों का श्रेणी परिवर्तन करा कर यदु शुगर मिल के नाम बैनामा करा लिया, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि पट्टे जिस उद्देश्य से दिये गये हैं, वह उद्देश्य पट्टाधारक पूरा नहीं कर रहा हो, तो पट्टे नियमानुसार निरस्त कर दिये जाने चाहिए, साथ ही पट्टे गलत सूचना के आधार पर जारी किये गये हैं, क्योंकि समस्त पट्टाधारक पहले से ही धनाढ्य हैं और बड़े शहरों में निवास करते हैं, लेकिन सभी को बिसौली तहसील क्षेत्र के गांव सुजानपुर का निवासी दर्शाया गया है।

फर्जी पट्टे संजीव कुमार, जयप्रकाश, सत्यपाल, देवेन्द्र, राकेश, लोकेश, नरेश कुमार, विजय, जितेन्द्र, सत्तार, सतेन्द्र, विक्रांत, बीना, सरिता, विजय कुमार, मंजीद, विकास यादव, कुनाल यादव, रमेश, राजेन्द्र, नरेश, भूदेव, नवरत्न, दीपक, विवेक, भारत यादव, पवन, विजय, विवेक, अरुण यादव, मनोज, धर्मेन्द्र और अभिषेक के नाम पर थे, इन सभी को गाँव सुजानपुर का मूल निवासी दर्शाया गया था, जबकि यह सब बदायूं जिले के भी निवासी नहीं है, साथ ही एक पट्टाधारक कुनाल यादव ही आज मिल का निदेशक है, इसके अलावा विकास यादव भी डीपी यादव का बेटा है, लेकिन बैनामा कराते समय वह जेल में था, तो दूसरा व्यक्ति विकास यादव बना दिया गया।

उक्त पट्टों से संबंधित रिकॉर्ड कभी गायब हो जाता है, तो कभी मिल जाता है।  अफसर डर में और रूपये लेकर प्रकरण को दबाने में ज्यादा शक्ति लगाते हैं। राजस्व अभिलेखागार की ओर से 30 मई 2011 को स्पष्ट रिपोर्ट लगाई गयी कि पट्टों से संबंधित कोई रिकॉर्ड उसके पास नहीं है, लेकिन बाद में फाइल प्रकट हो गयी, पर तब तक संबंधित लेखपाल और तहसीलदार जीवित ही नहीं थे, वहीं संबंधित एसडीएम सेवानिवृत हो गये थे। सूत्रों का कहना है कि डीपी यादव ने सेटिंग के चलते फर्जी पत्रावली तैयार कराई। लेखपाल रमेश और तहसीलदार चिंतामणी के कार्यकाल के पट्टे दर्शाये गये हैं, जिनका निधन हो चुका है, ऐसे में वह आकर गवाही नहीं दे सकते, साथ ही एसडीएम रामदीन सरल हस्ताक्षर करते थे, उनके हस्ताक्षर फर्जी बनाये गये हैं, इस सबसे स्पष्ट है कि मिल किसानों को लूटने को ही स्थापित की थी और खुलेआम किसानों को लूटा भी जा रहा है। गन्ना अधिकारी कुनाल यादव से गिफ्ट लेते हैं और उसके हाथों सम्मानित होते हैं, इससे स्पष्ट है कि गन्ना अधिकारी दिलीप कुमार सैनी का खुला संरक्षण प्राप्त है। 15 फरवरी को आक्रोशित किसानों ने बड़ा आंदोलन किया था, लेकिन जिला गन्ना अधिकारी की मिलीभगत के चलते अभी भी फर्जी सेंटर चल रहे हैं एवं किसानों को पर्चियां नहीं मिल रही हैं।

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