कठघरे में खड़ी पुलिस को दे दिया न्याय करने का विशेषाधिकार

कठघरे में खड़ी पुलिस को दे दिया न्याय करने का विशेषाधिकार

बदायूं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार फर्जी नामजदगी को लेकर अभियान चलवा रहे हैं, जिसके अंतर्गत निर्दोष लोगों को विवेचना में दोष मुक्त करार दिया जा रहा है। सैकड़ों लोगों को न्याय देने का दावा किया जा रहा है। पुलिस ने सोमवार को 52 झूठे मुकदमों को निरस्त करने का दावा किया है, जिसको लेकर वाह-वाही लूटी जा रही है लेकिन, सवाल यह है कि निर्दोष साबित करने का आधार क्या है?

पुलिस पर हर सरकार और हर अफसर के कार्यकाल में आरोप लगते रहे हैं। कभी मुकदमा दर्ज न करने का आरोप लगता है, कभी तहरीर बदलने का आरोप लगता है, कभी झूठा फंसाने का आरोप लगता है, यह सब आरोप अब भी लग रहे हैं, इसी वातावरण में उसी पुलिस को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने विशेषाधिकार दे दिया है कि वह निर्दोष लोगों को दोष मुक्त कर दे।

मुकदमों में फर्जी नामजदगी कराई जाती रही हैं, तहरीर बढ़ा-चढ़ा कर लिखी जाती रही है लेकिन, पुलिस भी फंसाये गये लोगों को दोष मुक्त करती रही है, गलत धाराओं को हटाती रही है, यह सब करते समय विवेचनाधिकारी बेहद सतर्क रहते थे, क्योंकि बिना तथ्य के किसी को लाभ पहुँचाने पर सीओ, एएसपी और एसएसपी पकड़ लेते थे, वह डर पुलिस में इस समय नजर नहीं आ रहा है।

इस अभियान पर सवाल इसलिए उठ रहा है कि पुलिस ने किसी को निर्दोष करार दे दिया तो, पीड़ित का दायित्व बन जाता है कि निर्दोष साबित हुए व्यक्ति के विरुद्ध साक्ष्य एसएसपी के समक्ष प्रस्तुत करे। अभी लोगों को सीआरपीसी और आईपीसी में अंतर नहीं पता, ऐसे में गाँव का गरीब व्यक्ति साक्ष्य कैसे जुटा सकता है, साथ ही इंस्पेक्टर रैंक पर तो विश्वास किया जा सकता है, जहाँ टू-स्टार थाना संभाल रहे हैं, वे थाने परचून की दुकान से भी बदतर स्थिति में हैं, उन पर विश्वास कैसे किया जा सकता है।

एसएसपी अशोक कुमार की सोच अच्छी हो सकती है लेकिन, तरीका सही नहीं है, क्योंकि विवेचना थाना पुलिस ही कर रही है। एसएसपी किसी और से विवेचना कराते और उसकी निगरानी भी कड़ाई से हो रही होती तो, सवाल नहीं उठता। पुलिस जिन लोगों को निर्दोष साबित कर रही है, उनमें से बहुत सारे लोग निर्दोष ही होंगे लेकिन, सबके सब निर्दोष नहीं हो सकते, इसके अलावा जब एसएसपी निर्दोष साबित करने का अभियान चला रहे हैं तो, फिर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किये जा रहे? पुलिस मुकदमा दर्ज करे और झूठा पाये जाने पर निरस्त कर दे। बिल्सी में एक व्यक्ति से रंगदारी वसूली गई, उसे बेरहमी से पीटा गया लेकिन, बिल्सी पुलिस ने एनसीआर तक दर्ज नहीं की। जरीफनगर क्षेत्र के नाधा से बाइक चोरी हुई, बाइक स्वामी ने चोर पहचान लिया लेकिन, पुलिस ने गिरफ्तार कर के चोर छोड़ दिया, इसी तरह उघैती क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार की विधवा का यौन उत्पीड़न हुआ पर, मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, इसी तरह के असंख्य प्रकरण हैं, जिनको लेकर पुलिस कठघरे में खड़ी दिख रही है।

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