समाजवादी पार्टी में मुस्लिमों का अहित होने से जिला सचिव का त्याग पत्र

समाजवादी पार्टी में मुस्लिमों का अहित होने से जिला सचिव का त्याग पत्र

बदायूं जिले में समाजवादी पार्टी के अंदर सब कुछ सही नहीं चल रहा है। गुटबाजी खुल कर सामने आने लगी है। सांसद धर्मेन्द्र यादव का गुट शक्तिशाली माना जाता है, उनके प्रतिनिधि उनके गुट के मान-सम्मान का भरपूर ध्यान रखते हैं लेकिन, जो प्रतिनिधियों के संपर्क में नहीं रहता है, वह भले ही मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का चहेता हो पर, उनके किसी काम का नहीं है। हालातों से आहत अल्पसंख्यक सभा के जिला सचिव नजमुल हसन ने त्याग पत्र दे दिया है।

नजमुल हसन ने सांसद धर्मेन्द्र यादव की मुस्लिम विरोधी नीतियों के कारण त्याग पत्र दिया है। नजमुल हसन ने सांसद धर्मेन्द्र यादव को भेजे पत्र में लिखा है कि वह एक सच्चा मुसलमान है, उसका ईमान ही उसकी ताकत है। कुछ ऐसे मामले जिले में हो रहे हैं, जिसके रहते उसका समाजवादी पार्टी (अल्पसंख्यक सभा) का जिला सचिव रहना मुसलमानों के साथ ना-इंसाफी होगा।

पत्र में लिखा है कि 29 जुलाई को एक निजी बैंकट हॉल में आयोजित किये गये सम्मेलन में वह भी मौजूद था, आप मुख्य अतिथि थे और आपकी मौजूदगी में देवेन्द्र शाक्य ने मंच पर मुसलमानों को दो बार “कटुआ” कहा, उसको पार्टी से निकालने की जगह उसकी सफाई में एक फर्जी वीडियो जारी करा गया, जिसमें न उसका चेहरा दिखाई दे रहा है और न ही वीडियो में यह पता चल रहा है कि कौन बोल रहा है, अब मुसलमान इतना भी बेबकूफ नहीं है, जो फर्जी वीडियो पर यकीन कर ले, देवेन्द्र शाक्य को पार्टी से निकालने की बजाय आप ने उसे समाजवादी पार्टी (पिछड़ा वर्ग) का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया, जिससे मुसलमानों में आपके प्रति बहुत रोष है।

पत्र में आगे लिखा है कि रामेश्वर यादव ने हुजूर की शान में गुस्ताखी की, उसकी जमानत पर पूरे जिले का मुसलमान आश्चर्यचकित रह गया है, एक तरफ आप को लोग बहुत बड़ा नेता मानते थे, आप मौजूदा सांसद भी हैं, आपको सांसद बनाने में मुसलमानों का अहम योगदान रहा है। 5 लाख मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं से जिस रामेश्वर यादव ने खिलवाड़ किया, आप उसको एक दिन को भी जेल नहीं भिजवा भेज पाए।

उक्त दोनों प्रकरण मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए हैं, इसमे आम मुसलमान उसे ताना देते हैं, सवाल करते हैं और उसके पास कोई जवाब नहीं होते, इसलिए सोच-समझ कर यह फैसला किया है। अगर, आप इन दोनों मामलों में मुसलमानों के जज्बातों के साथ इंसाफ नहीं कर सकते तो, आप हमारा जिला सचिव (अल्पसंख्यक सभा) पद से इस्तीफा मंजूर कर लें, इसके बावजूद वह अखिलेश यादव, आजम खां और आबिद रजा के निर्देश पर काम करते रहेंगे।

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