पुलिस की आत्मा जाग गई लेकिन, औरों की मर ही गई

पुलिस की आत्मा जाग गई लेकिन, औरों की मर ही गई

बदायूं जिले में अतिक्रमण हटवाने की बात होती है और बात, बात तक ही सीमित रह जाती है, धरातल पर नहीं उतर पाती। कभी रूपये लेकर तो, कभी राजनैतिक दबाव में अतिक्रमण हटाने का कार्य नहीं हो पाता, जिसका दुष्परिणाम आम जनता भुगतती रहती है।

पिछले दिनों कचहरी मार्ग को अतिक्रमण से मुक्त करने की बात शुरू हुई थी। अति उत्साह में पुलिस ने अपनी चौकी तुड़वा दी, जिसको लेकर पुलिस की जनता के बीच वाह-वाह भी हुई लेकिन, राजनैतिक दबाव के चलते अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी, जिससे प्रशासन व नगर पालिका की जमकर फजीहत हो रही है।

अतिक्रमण हटवाने में पुलिस की भूमिका सिर्फ सुरक्षा मुहैया कराने की होती है। अतिक्रमण हटवाने का निर्णय नगर पालिका और प्रशासनिक अफसरों का होता है। पुलिस ने नैतिकता के आधार पर अपनी पुलिस चौकी सर्व प्रथम इसलिए तोड़ दी कि कोई पुलिस पर अंगुली न उठाये लेकिन, प्रशासन व नगर पालिका के संबंधित लोगों में नैतिकता नहीं है, अतिक्रमणकारियों की तरह ही उनकी भी आत्मायें मर चुकी हैं तभी, तमाम तरह की बातें भी बेअसर साबित हो रही हैं।

बता दें कि नगर पालिका ने लाबेला चौक पर भी क्रॉस लगाया था लेकिन, बंद कमरे में क्रॉस को मिटाने का निर्णय ले लिया गया, इसी तरह कचहरी मार्ग के बारे में भी संभावना जताई जा रही है कि अब अतिक्रमण नहीं हटाया जायेगा, जबकि अतिक्रमण के चलते हर व्यक्ति त्रस्त है। जाम के चलते कचहरी मार्ग से निकलना लोगों के लिए बड़ा सिर दर्द साबित होता रहा है, इस ओर प्रशासनिक अफसरों को हस्तक्षेप कर अतिक्रमण तत्काल हटवाना चाहिए।

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