होटल कंट्री इन के प्रकरण में तहसीलदार ने दूसरी जांच रिपोर्ट भी दबाई

होटल कंट्री इन के प्रकरण में तहसीलदार ने दूसरी जांच रिपोर्ट भी दबाई
लाल घेरे वाली भूमि कब्रिस्तान की है, जिस पर होटल कंट्री इन के मालिक ने कब्जा कर लिया है।

बदायूं में कब्रिस्तान की जमीन कब्जा कर बनाये गये होटल कंट्री इन की दूसरी टीम द्वारा की गई जांच रिपोर्ट को भी तहसीलदार ने दबा लिया है। तहसीलदार शिकायतकर्ताओं को संतोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहे हैं, जिससे शिकायतकर्ता तरह-तरह की आशंका व्यक्त करते नजर आ रहे हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि तीन दिन के अंदर कार्रवाई नहीं की, तो वे मुख्यमंत्री को प्रकरण से अवगत कराने लखनऊ जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि आरिफपुर नबादा के रकवे में कब्रिस्तान की जमीन कब्जा कर होटल कंट्री इन बनाया गया है। होटल के पीछे जिम, स्पा वगैरह भी है, जिसकी ओर जाने वाला पूरा रास्ता कब्रिस्तान की जमीन पर ही है। प्रदेश सरकार सरकारी भूमि से अवैध कब्जे हटाने को बेहद गंभीर है। सरकार ने एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स भी बनाया है, लेकिन एक भाजपा विधायक ही कब्रिस्तान की भूमि कब्जा कराने में होटल कंट्री इन के मालिक की मदद करते नजर आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि एक भाजपा विधायक जब भी जिले में आते हैं, तब वे होटल कंट्री इन में ही ठहरते हैं। भू-माफिया होटल स्वामी ने भाजपा विधायक के लिए एक लग्जरी रूम आरक्षित कर रखा है, इसी स्वार्थ में भाजपा विधायक भू-माफिया की सिफारिश कर रहे हैं। विधायक के दबाव में ही जाँच में दोष सिद्ध होने के बावजूद तहसीलदार ने दूसरी कमेटी गठित कर दी।

शिकायतकर्ता सपा नेता स्वाले चौधरी और अन्य तमाम लोगों का कहना है कि प्रशासन रास्ते को कब्जा मुक्त करा दे, तो जिम व स्पा की ओर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो जायेगा, इसीलिए भू-माफिया किसी भी हद तक जाने को तैयार है। माफिया के दबाव में पहली जाँच रिपोर्ट तहसीलदार ने अकारण निरस्त कर दूसरी टीम गठित कर दी। दूसरी टीम ने भी जांच कर रिपोर्ट प्रेषित कर दी, लेकिन तहसीलदार जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। स्वाले चौधरी ने बताया कि उन्होंने एसडीएम को भी रिपोर्ट दबाने की जानकारी दे दी है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है। सपा नेता स्वाले चौधरी और अन्य तमाम शिकायतकर्ताओं का कहना है कि तहसीलदार ने तीन दिन के अंदर कार्रवाई नहीं की, तो वे लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे और पूरे प्रकरण से अवगत करायेंगे कि सरकारी भूमि को कब्जा मुक्त कराने का दावा भी हवाई है। यह भी बता दें कि भू-माफिया ने विवादित भूमि का बैनामा कराते समय ही बराबर में कब्रिस्तान का उल्लेख नहीं किया है, इससे स्पष्ट है कि भू-माफिया की नीयत भूमि खरीदते समय ही खराब थी।

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