मैं राजनीति हूं

मैं राजनीति हूं

मैं राजनीति हूं। मेरा नाम सुनते ही जैसे आपने मुंह सिकोड़ लिया, वैसे ही बाक़ी सब भी नाक-भौं सिकोडऩे लगते हैं, पर आपने कभी यह सोचा कि मेरी गलती क्या है? आप क्यूं सोचेंगे, मेरी गलती के बारे में, क्योंकि आप तो उन्हीं लोगों की संतान हो, जो बलात्कारी से ज्यादा पीड़ित महिला से घृणा […]

लापरवाह नागरिक बनाना चाहते हैं आदर्श राष्ट्र

लापरवाह नागरिक बनाना चाहते हैं आदर्श राष्ट्र

एक से अधिक व्यक्तियों के जुड़ने से एक परिवार बनता है, परिवारों के मिलने से मोहल्ला, नगर और समाज का निर्माण का होता है। इसी क्रम में कुछ गांवों को मिला कर एक विकास खंड बना है, कुछ विकास क्षेत्रों को मिला कर एक तहसील और कई तहसीलों को मिला कर एक जनपद बना है। […]

महिलाओं को ही करने होंगे खुद के सम्मान के प्रयास

महिलाओं को ही करने होंगे खुद के सम्मान के प्रयास

सृष्टि का विस्तार हुआ, तो पहले स्त्री आई और बाद में पुरुष। सर्वाधिक सम्मान देने का अवसर आया, तो मां के रूप में एक स्त्री को ही सर्वाधिक सम्मान दिया गया। ईश्वर का कोई रूप नहीं होता, पर जब ईश्वर की आराधना की गयी, तो ईश्वर को भी पहले स्त्री ही माना, तभी कहा गया […]

स्वराज के नाम पर आम आदमी को ठगा

स्वराज के नाम पर आम आदमी को ठगा

जनता का शासन जनता लिए कहने, सुनने, बोलने और पढ़ने को ही है। वास्तव में शासन राजनेता और अफसर कर रहे हैं और जनता की स्थिति गुलामों जैसी ही है, इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि वास्तविक प्रजातंत्र स्थापित करने की दिशा में कार्य करने वाला दूर तक कोई नज़र भी नहीं […]

दोहरा व्यवहार करने वाले संविधान की वर्षगांठ कैसे मनाये पीड़ित वर्ग?

वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना के उद्देश्य से गहन मंथन के बाद दो वर्ष ग्यारह माह और अठारह दिन में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़े लिखित संविधान की रचना की गयी, जिसे 26 जनवरी 1950 को देश में विधिवत लागू कर दिया गया। संविधान का मूल स्वरूप वास्तव में उत्तम ही है, क्योंकि संविधान की […]

सचिन की नीयत पर सवाल उठाने वाले ईर्ष्यालु

सचिन की नीयत पर सवाल उठाने वाले ईर्ष्यालु

दुनिया को रंगमंच की तरह देखा जाए, तो यहाँ प्रत्येक इंसान रंगमंच की तरह ही भूमिका निभाता नज़र आता है। प्रत्येक इंसान के ऊपर अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने का स्वाभाविक दबाव रहता है। जानबूझ कर कोई असफल नहीं होना चाहता, फिर भी कुछ लोग कुछ भूमिकाओं को बेहतर ढंग से निभाने में […]

देविका ने युसूफ को बनाया दिलीप कुमार

हिन्दुस्तान और पकिस्तान में बराबर सम्मान पाने वाले दिलीप कुमार जैसे सौभाग्यशाली लोग बहुत कम होते हैं। हिंदुस्तान के ट्रेजडी किंग और पाकिस्तान के निशान-ए-इम्तियाज दिलीप कुमार उर्फ युसूफ खान का जन्म आज ही के दिन 11 दिसम्बर 1922 को वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित पेशावर शहर में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका परिवार […]

एफडीआई के दूरगामी परिणाम बेहद घातक

विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफडीआई) देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन आम आदमी एफडीआई के बारे में इतना सब होने के बाद भी कुछ ख़ास नहीं जानता। असलियत में एफडीआई को लेकर आज जो कुछ हो रहा है, उसकी नींव वर्ष 1991 में ही रख दी गई थी। विदेशी निवेश की […]

संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान

संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान

बचपन में कहानियों के माध्यम से सिखाया जाता रहा है कि संगठन में बहुत बड़ी शक्ति  होती है। एक लकड़ी को सामान्य व्यक्ति भी तोड़ सकता है, पर इकट्ठी लकड़ियों को शक्तिशाली व्यक्ति भी नहीं तोड़ सकता। धागे को बच्चा भी तोड़ सकता है और कई धागों से मिल कर बनी रस्सी से हिंसक जानवर […]

विश्वास पर खरे नहीं उतरे अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में चल रही उत्तर प्रदेश सरकार की समीक्षा करने का समय अब आ गया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिये थे, उनका यह कहना भ्रम ही कहा जाएगा, क्योंकि चुनाव […]