मीडिया की रंडी नाम मिलने पर भी चरित्र में नहीं हुआ सुधार

मीडिया की रंडी नाम मिलने पर भी चरित्र में नहीं हुआ सुधार

बदायूं जिले के बिल्सी क्षेत्र में घूम रहे ठगों की तो पोल खुल ही गई है, इनका सरगना विक्षिप्त हो गया है, जो कभी भी ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है, इन ठगों से भी बड़ा चोर जिला मुख्यालय पर है, इसके बाप रिश्वतखोरी से कमाया धन छोड़ कर मर गये एवं पत्नी सरकारी जॉब करती है, यह चोर बाप और पत्नी की कमाई पर ऐश कर रहा है, साथ ही स्वयं को प्रतिष्टित दर्शाने के लिए पत्रकार बन बैठा है, यह दिन भर पुलिस-प्रशासन और अपनी जाति के नेताओं के बीच बैठ कर पत्रकारों की निंदा करता है।

पत्नी की कमाई पर पल रहे इस चोर को ससुराल और अन्य रिश्तेदारों के बीच सड़क छाप होने के कारण ग्लानि होती थी। ससुराल पड़ोस के ही मोहल्ले में है, इसलिए सालियों को आकर्षित करने को चोर पत्रकार बन बैठा। पत्रकारिता का क, ख, ग भी नहीं आता, चोर को पत्रकारिता का ज्ञान न होने से कोई अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि खबरों में उसकी कोई रूचि नहीं है, बाप की अवैध कमाई और पत्नी की कमाई घर चलाने को काफी है, इस सबके बीच शराब पीने के लिए हर दिन शाम तक मुर्गा फंसा ही लेता है। पत्रकारिता के चलते तमाम अफसरों के बीच बैठता है, जिसका सीधा लाभ पत्नी को भी मिलता है, वह कभी ड्यूटी पर नहीं जाती, घर बैठ कर वेतन लेती है, इसलिए वह भी खुशी-खुशी चोर पति को चार-छः हजार रूपये महीने जेब खर्च दे देती है।

इस चोर का मूल कार्य पुलिस-प्रशासन और अपनी जाति के नेताओं के बीच बैठ कर पत्रकारों की निंदा करने का है। हर पत्रकार की निंदा करता है, जिससे कई बार सार्वजनिक रूप से पिटा है और आये दिन पिटने के हालात बनते रहते हैं, इसकी घृणित मानसिकता के चलते एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस चोर का उपनाम “मीडिया की रंडी” रख दिया था। नाम रखने वाला वरिष्ठ पत्रकार अब नोयडा में कार्यरत है लेकिन, इस चोर को आज भी सब “मीडिया की रंडी” नाम से ही पुकारते हैं, इतनी फजीहत होने के बावजूद इसकी हरकतों में सुधार नहीं है, यह अभी भी पुलिस-प्रशासन और अपनी जाति के नेताओं के पास बैठ कर निंदा और आलोचना निरंतर कर रहा है। बेशर्मी की हद तो यह है कि एक बार धोखे से मान्यता कार्ड बन गया था, जो बाद में निरस्त हो गया लेकिन, उसी कार्ड को दिखा कर स्वयं को सरकारी पत्रकार बताता है।

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