कुख्यात छविराम और खूंखार कलुआ के दौर में लौट रहा है बदायूं

कुख्यात छविराम और खूंखार कलुआ के दौर में लौट रहा है बदायूं

गंगा की कटरी के बारे में कहा जाता है कि कटरी बदमाशों से कभी खाली नहीं हो सकती पर, पिछले एक दशक में पुलिस को अंकुश लगाने में कामयाबी हासिल हुई है। हाल-फिलहाल कोई ऐसा बदमाश नहीं है, जिसके भय से आम जनता थरथराती हो। कटरी में यूं तो बदमाश पलते-बढ़ते ही रहे हैं, जिनका लंबा इतिहास है पर, पिछले पचास-साठ वर्षों के इतिहास में छविराम से शुरू होकर दहशत की दास्ताँ कलुआ पर आकर थम जाती है।

चंबल से लेकर बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, एटा और बरेली की कटरी तक कभी छविराम के नाम से लोग कांपते थे। छविराम दुस्साहसी डकैत था। प्रतिष्ठा पर सवाल उठने पर पुलिस को चुनौती देकर भी वारदातें करने में माहिर था। गरीबों की मदद करने के चलते आम जनता का समर्थन ही नहीं मिलता था बल्कि, आम जनता उसे नेता जी कहती थी। छविराम के बाद सर्वाधिक भयानक नाम कटरी में कलुआ का ही छाया। कलुआ साधारण इंसान ही था। हालाँकि भैंस चोरी की वारदात में संलिप्त रहा था। एक जमीनी विवाद में प्रभावशाली व्यक्ति के भाई ने कलुआ को बेरहमी से पीटा। मरणासन्न हालत करने के बाद राजनैतिक प्रभाव से कलुआ को पुलिस द्वारा भी प्रताड़ित कराया, इसी घटना के बाद कलुआ ने कटरी की राह पकड़ ली। जिसने कलुआ को सार्वजनिक तौर पर पीटा था, उसकी वर्ष- 1997 में कलुआ ने हत्या कर अपराध की दुनिया में आमद कराई थी। पुलिस की प्रताड़ना के चलते कलुआ पुलिस से घृणा करता था। कहा जाता है कि पहली बार जिस इंस्पेक्टर ने दबाव में उसे पीटा था, उसकी कुछ वर्ष बाद उसने मुठभेड़ के दौरान हत्या कर दी। कलुआ ने 20 से ज्यादा पुलिस वालों को मौत के घाट उतारा, मारने के बाद रायफल भी ले जाता था, जिससे कलुआ का खौफ पुलिस के अंदर भी घुस गया था। गश्ती पुलिस एक सीमा से आगे नहीं जाती थी। अफसरों के नेतृत्व में कई थानों की पुलिस और पीएसी ही कटरी में जाती थी।

कई बड़ी आपराधिक वारदातें करने के बाद कलुआ कुख्यात हो गया, उसके नाम से धनाढ्य खौफ खाने लगे, उसके गिरोह में सदस्य शामिल होते चले गये, उसके गिरोह में आस-पास के हर जिले के बदमाश थे, फिर उसने स्थानीय आम जनता को छेड़ना बंद कर दिया तो, उसे आम जनता से मदद मिलने लगी। जाति का भी नायक बन गया तो, उसे राजनैतिक संरक्षण भी मिलने लगा। नेताओं से गठबंधन हुआ तो, उसके पास अत्याधुनिक हथियार और पर्याप्त गोलियां पहुंचने लगीं। कहा तो यहाँ तक जाता है कि राजनैतिक संरक्षण के बाद कलुआ पुलिस लाइन तक आने लगा था, उस क्षेत्र में उसके चहेते थानेदार तैनात किये जाने लगे थे, जो उसे कांबिंग की सूचना पहले ही दे देते थे। पुलिस ने जहरीली शराब भेज कर कलुआ को मारने की योजना बनाई थी पर, कलुआ के पास यह सूचना पहले से ही पहुंच गई थी, जिससे कलुआ ने शराब लाने वाले को ही शराब पिला दी थी। एक बार कलुआ को भगाने के आरोप में एक थाना प्रभारी बर्खास्त भी हुआ था लेकिन, सत्ता बदलने के बाद उसे पुनः बहाल कर दिया गया। बदायूं में हुए कारतूस घोटाले के तार कलुआ से ही जुड़े थे, जिसका खुलासा आज तक नहीं हुआ है। कलुआ अपराध की दुनिया में उतरा था तब, किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि वह जघन्य वारदातों का शतक मार देगा।

बीस से ज्यादा पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने से कलुआ की दहशत दूर-दूर तक फैल गई थी लेकिन, उसके गिरोह द्वारा सर्वाधिक खूंखार घटना एटा जिले में वर्ष- 2000 में अंजाम दी गई, पटियाली क्षेत्र के निकट नरथर हॉल्ट पर मरुधर एक्सप्रेस गिरोह ने न सिर्फ लूटी बल्कि, एक इंस्पेक्टर, एक सब-इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों की हत्या कर दी। हालाँकि एक बदमाश भी मारा गया था पर, कलुआ बदमाश का सिर काट कर ले गया था और लाश को कटरी में जला गया था। कलुआ के आधुनिक हथियार, उसके राजनैतिक संबंध, जातीय समर्थन के साथ उसकी ताकत उसकी घोड़ी भी थी, जो उसके इशारे पर चलती थी, जिसके कारण वह कई बार बच निकला था। ताकतवर होने के बाद पुलिस और मीडिया उसे कलुआ ही कहते रहे पर, उसके सामने उसे सभी पहलवान कहते थे, वह शक्तिशाली होने के बाद धार्मिक भी हो गया था। कटरी क्षेत्र से गाय-बैलों की तस्करी नहीं होने देता था, एक बार उसने दर्जन भर तस्करों के पैरों में गोली मार दी थी और बैल छुड़वा कर जंगल की ओर भगा दिए थे, इसी तरह गंगा में उसने मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था और स्वयं मछलियों को चारा खिलाता था।

कलुआ की बढ़ती ताकत पुलिस के लिए चिंता का विषय थी, पुलिस की फजीहत भी हो रही थी पर, राजनैतिक संरक्षण के चलते पुलिस बड़ा अभियान नहीं चला पा रही थी। कलुआ पर एक लाख का इनाम घोषित हो गया, साथ ही सत्ता बदल गई तो, पुलिस ने एक रणनीति के तहत 16 जनवरी 2006 को कलुआ को मार गिराया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार मारने की कहानी कुछ और है पर, स्थानीय जनता उस कहानी पर विश्वास नहीं करती। लोगों का आज भी यही मानना है कि उसे धोखे से पकड़ने के बाद मारा गया था लेकिन, अब इस पर बहस करने का कोई औचित्य नहीं है, उसकी अंत्येष्टि बदायूं स्थित श्मशान घाट पर की गई थी। एक कुख्यात डकैत की अंत्येष्टि के लिए क्षेत्र की जनता गाँव से ईंधन लेकर आई थी। अंत्येष्टि होने तक पुलिस ने बेहद सतर्कता बरती थी।

अपराध की दुनिया में कलुआ युग रहा है लेकिन, इसके अलावा भी कई खूंखार डकैत हुए हैं। कृष्णा काछी गैंग भी बेहद खतरनाक था, इसने जर्मन महिला से गैंगरेप की वारदात को अंजाम देकर देश भर में सनसनी फैला दी थी। राम खिलौना, चंद्रसेन गैंग, बड़े लल्ला, रानी ठाकुर, नरेशा गूजर, नरेशा धीमर, जोगिया, जयपाल और देवेन्द्र का भी आतंक रहा है। राजेंद्र उर्फ नज्जू गूजर सनसनीखेज वारदात को अंजाम देकर अपराधी बना था। नौटंकी में नर्तकी “नथुनिया पे गोली मारे सैंया हमार” गा रही थी तभी, नज्जू ने नर्तकी की नथुनिया पर ही गोली मार दी थी, जिससे नर्तकी की मौत हो गई थी, इस घटना के बाद वह कल्लू गैंग का सदस्य बन गया था।

खैर, लंबे संघर्ष के बाद डकैत पुलिस ने मार दिए अथवा, पकड़ लिए अथवा, आत्म समर्पण कर गये, जिसके बाद कटरी दहशत से मुक्त हो गई। परंपरागत आपराधिक वारदातें भी थम गईं। डकैती, अपहरण और रंगदारी जैसे अपराध लगभग खत्म ही हो गये। बसपा और सपा शासन के दस वर्षों में परंपरागत आपराधिक वारदातें अँगुलियों पर गिनने लायक ही हुई हैं। सपा की सरकार में आपराधिक वारदात घटित हो भी जायें तो, लोगों का मानना रहता है कि इस सरकार में तो अपराध होंगे ही पर, भाजपा के शासन में परंपरागत आपराधिक वारदातें घटित होने की कोई कल्पना तक नहीं करता।

दौर भी बदल गया है, ट्रेंड भी बदल गया है, डकैती, रंगदारी और अपहरण जैसे जोखिम लेने की जगह आपराधिक मानसिकता के महत्वाकांक्षी लोग भ्रष्टाचार, दलाली, ठेकेदारी और तस्करी जैसे धंधे करने लगे हैं, इन धंधों में पैसा अकूत है और जान का जोखिम बिल्कुल भी नहीं है, इसके सबके अलावा तकनीक भी आगे आ गई है, जिससे दो नंबर के धंधों में और भी क्रान्ति आ गई है। अब ऑन लाइन अपराध बढ़ गये हैं, यह सब बदायूं, यूपी और देश ही नहीं बल्कि, दुनिया भर में बदला है लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि बदायूं में आपराधिक वारदातों का डेढ़-दो दशक पुराना वाला ट्रेंड पुनः लौट रहा है, यहाँ इस दौर में भी डकैती पड़ने लगी हैं, रंगदारी मांगी जाने लगी, न देने पर बदमाश गोली तक मारने लगे हैं, इससे भी बड़ा दुःखद पहलू यह है कि पुलिस इस सबको लेकर बिल्कुल भी चिंतित नजर नहीं आ रही है।

(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)

Leave a Reply