14वीं लोकसभा के सबसे छोटे सांसद धर्मेन्द्र यादव बन चुके हैं गंभीर और प्रखर वक्ता

14वीं लोकसभा के सबसे छोटे सांसद धर्मेन्द्र यादव बन चुके हैं गंभीर और प्रखर वक्ता

भारतीय राजनीति में सर्वाधिक शक्तिशाली परिवारों में से एक है मुलायम सिंह यादव का परिवार, इस परिवार में मुलायम सिंह यादव के बाद वर्तमान में सर्वाधिक लोकप्रिय चेहरा हैं अखिलेश यादव और उनके बाद युवाओं में दूसरा नाम धर्मेन्द्र यादव का ही आता है। विरासत में राजनीति मिलने के बावजूद धर्मेन्द्र यादव ने जमीन पर कड़ी मेहनत की है और सफल राजनेता के रूप में वे अपनी पहचान बना चुके हैं।

बदायूं लोकसभा क्षेत्र से सांसद धर्मेंद्र यादव का आज जन्मदिन है, उनका जन्म सैफई में 3 फरवरी 1979 को हुआ था, उनके पिता का नाम अभयराम यादव और माता का नाम जय देवी है। सैफई में कक्षा- आठ तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद धर्मेन्द्र यादव को उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद भेज दिया गया, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक की डिग्री के साथ एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की है।

मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक जीवन से प्रेरणा लेकर पल-बढ़ रहे धर्मेन्द्र यादव को इलाहाबाद में जनेश्वर मिश्र का सानिध्य मिला, तो वे राजनीति में पारंगत होते चले गये, उन्हें जनेश्वर मिश्र के सहायक के रूप में भी जाना जाता है। इलाहाबाद की छात्र राजनीति में समाजवादियों का झंडा बुलंद किया, तभी धर्मेंद्र यादव के चचेरे भाई व सैफई के ब्लॉक प्रमुख रणवीर सिंह का हार्ट अटैक से निधन हो गया, जिसके बाद मुलायम सिंह यादव ने धर्मेंद्र यादव को बुला लिया और सैफई विकास क्षेत्र को संभालने का निर्देश दिया, वह वर्ष- 2003 में सैफई ब्लॉक के प्रमुख के पद पर निर्वाचित घोषित हुए, उस समय मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे, इस सीट को उन्होंने छोड़ दिया और फिर यहाँ से धर्मेन्द्र यादव चुनाव लड़े।

धर्मेंद्र यादव 25 साल की उम्र में मैनपुरी से चुनाव लड़े और रिकॉर्ड मतों से विजयी घोषित हुए, साथ ही 14वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का उन्होंने रिकार्ड बनाया, इसके बाद धर्मेंद्र यादव ने 15वीं लोकसभा के लिए बदायूं से चुनाव लड़ा और माफिया डॉन डीपी यादव के सामने विजयी घोषित हुए, वर्तमान में भी बदायूं लोकसभा क्षेत्र से धर्मेन्द्र यादव सांसद हैं और मोदी लहर में रिकॉर्ड मतों से जीत कर अपनी अलग पहचान कायम कर चुके हैं, इसके अलावा वे महत्वपूर्ण संसदीय समिति के अध्यक्ष और कई अन्य समितियों के सदस्य हैं, साथ ही वर्ष- 2005 से 2007 तक यूपी को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रह चुके हैं।

धर्मेन्द्र यादव लंबी राजनैतिक पारी खेलने के बाद परिपक्व और सफल नेता के रूप में पहचान स्थापित कर चुके हैं। अक्टूबर- 2012 में धर्मेन्द्र यादव ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिन्दी में संबोधित कर धूम मचा दी थी और हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया था, वे वर्तमान में संसद में सरकार को घेरने वाले नेताओं में प्रमुख स्थान बना चुके हैं और तीखे सवाल और जोरदार भाषण के द्वारा सरकार में बैठे नेताओं को असहज करते रहते हैं, वे संसद में किये गये सवालों को लेकर भी रिकॉर्ड बना चुके हैं।

पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को लेकर घमासान हुआ, तो उन्होंने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सेतु बनने का कार्य किया, लेकिन हालात जब विकल्पहीन हो गये, तो उन्होंने अखिलेश यादव को चुन लिया और उनके सबसे विश्सनीय योद्धा बन गये। स्वयं को समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता मानने वाले धर्मेन्द्र यादव हाल-फिलहाल समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक हैं और अखिलेश यादव को पुनः मुख्यमंत्री बनाने के लिए रात-दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

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